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Karnal News: मुख्य मार्गों पर खुले पड़े नाले, जिम्मेदार बेपरवाह
संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल
Updated Mon, 15 Dec 2025 01:32 AM IST
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कल्पना चावला की इमेजेंसी के बाहर खुला मेन हॉल संवाद
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करनाल।
नगर निगम की लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। शहर के सबसे व्यस्त और मुख्य मार्गों पर भी नाले खुले हुए हैं। टूटे स्लैब, खुले ड्रेन और चेतावनी संकेतकों के अभाव में ये नाले आमजन की जान के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।
निर्मल कुटिया से गांधी चौक को जाने वाला मुख्य रास्ता शहर की लाइफलाइन माना जाता है। इस सड़क से रोजाना हजारों वाहन, पैदल राहगीर, विद्यार्थी और बुजुर्ग गुजरते हैं। सड़क के दोनों ओर बने नालों पर कई स्थानों पर स्लैब गायब हैं। कुछ जगह टूटे हुए हैं। रात में तो जरा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। लोगों का कहना है कि शनिवार शाम को नीलोखेड़ी में निर्माणाधीन खुले नाले में गिरकर बुजुर्ग की मौत की मौत के बाद तो इस ओर ध्यान दिया ही जाना चाहिए।
कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल के बाहर बने नालों की हालत भी बेहद चिंताजनक है। अस्पताल क्षेत्र में रोजाना मरीज, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और उनके परिजन आते-जाते हैं। यहां खुले नाले न सिर्फ दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रात के समय कई लोग इन नालों में गिरकर चोटिल हो चुके हैं, लेकिन नगर निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
ड्रेन से लेकर जीटी रोड पर भी खुले पड़े हैं नाले
शहर के ड्रेन नंबर के स्लैबों के बीच बड़े-बड़े गैप बने हुए हैं। कई जगह नालों की दीवारें टूट चुकी हैं, जिससे सड़क किनारे चलना भी जोखिम भरा हो गया है। ये ड्रेन शहर की जल निकासी के मुख्य साधन हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजामों के अभाव में ये लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। जीटी रोड के साथ बने नालों की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। जीटी रोड पर दिन-रात भारी ट्रैफिक रहता है। सड़क किनारे खुले नालों के कारण राहगीर और दोपहिया वाहन चालकों के साथ हादसे हो चुके हैं। न तो नालों को ढका गया है और न ही कोई संकेतक या रिफ्लेक्टर लगाए गए हैं।
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नगर निगम की लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। शहर के सबसे व्यस्त और मुख्य मार्गों पर भी नाले खुले हुए हैं। टूटे स्लैब, खुले ड्रेन और चेतावनी संकेतकों के अभाव में ये नाले आमजन की जान के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।
निर्मल कुटिया से गांधी चौक को जाने वाला मुख्य रास्ता शहर की लाइफलाइन माना जाता है। इस सड़क से रोजाना हजारों वाहन, पैदल राहगीर, विद्यार्थी और बुजुर्ग गुजरते हैं। सड़क के दोनों ओर बने नालों पर कई स्थानों पर स्लैब गायब हैं। कुछ जगह टूटे हुए हैं। रात में तो जरा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। लोगों का कहना है कि शनिवार शाम को नीलोखेड़ी में निर्माणाधीन खुले नाले में गिरकर बुजुर्ग की मौत की मौत के बाद तो इस ओर ध्यान दिया ही जाना चाहिए।
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कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल के बाहर बने नालों की हालत भी बेहद चिंताजनक है। अस्पताल क्षेत्र में रोजाना मरीज, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और उनके परिजन आते-जाते हैं। यहां खुले नाले न सिर्फ दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रात के समय कई लोग इन नालों में गिरकर चोटिल हो चुके हैं, लेकिन नगर निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
ड्रेन से लेकर जीटी रोड पर भी खुले पड़े हैं नाले
शहर के ड्रेन नंबर के स्लैबों के बीच बड़े-बड़े गैप बने हुए हैं। कई जगह नालों की दीवारें टूट चुकी हैं, जिससे सड़क किनारे चलना भी जोखिम भरा हो गया है। ये ड्रेन शहर की जल निकासी के मुख्य साधन हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजामों के अभाव में ये लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। जीटी रोड के साथ बने नालों की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। जीटी रोड पर दिन-रात भारी ट्रैफिक रहता है। सड़क किनारे खुले नालों के कारण राहगीर और दोपहिया वाहन चालकों के साथ हादसे हो चुके हैं। न तो नालों को ढका गया है और न ही कोई संकेतक या रिफ्लेक्टर लगाए गए हैं।