{"_id":"68c5cc9ced14b6dce20f4b64","slug":"lord-shri-krishna-was-incarnated-to-end-atrocities-shastri-kurukshetra-news-c-45-1-knl1024-142057-2025-09-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"अत्याचार को समाप्त करने के लिए हुआ भगवान श्री कृष्ण का अवतार : शास्त्री","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
अत्याचार को समाप्त करने के लिए हुआ भगवान श्री कृष्ण का अवतार : शास्त्री
संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:27 AM IST
विज्ञापन

कुरुक्षेत्र। कथा में श्रद्धालुओं के साथ कथावाचक अनिल शास्त्री । विज्ञप्ति
- फोटो : डलमऊ कोतवाली में फरियादियों की शिकायतें सुनते अधिकारी।
विज्ञापन
संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। पितृ पक्ष के अवसर पर श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में विष्णु कॉलोनी के ट्यूबवेल पार्क में श्रीमद्भागवद कथा जारी रही। इस में कथावाचक अनिल शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे ।
उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की चचेरी बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- ''''''''''''''''हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।'''''''''''''''' यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा ''''''''''''''''मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है। कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके छः बच्चे हुए और उनको को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। एवं सातवें में भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का आगमन हुआ। एवं आठवां संतान होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था।
उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी।जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए।

Trending Videos
कुरुक्षेत्र। पितृ पक्ष के अवसर पर श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में विष्णु कॉलोनी के ट्यूबवेल पार्क में श्रीमद्भागवद कथा जारी रही। इस में कथावाचक अनिल शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे ।
उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की चचेरी बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- ''''''''''''''''हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।'''''''''''''''' यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा ''''''''''''''''मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है। कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके छः बच्चे हुए और उनको को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। एवं सातवें में भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का आगमन हुआ। एवं आठवां संतान होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था।
विज्ञापन
विज्ञापन
उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी।जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए।