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केयू के विद्यार्थियों को मिलेगा को मर्सी चांस
Updated Fri, 11 Dec 2015 12:51 AM IST
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केयू की शैक्षणिक परिषद (एसी)ने वीरवार को कई घंटे तक चली बैठक के बाद विद्यार्थियों को बड़ी राहत दे दी। जरूरतमंद विद्यार्थियों को मर्सी चांस देने का फैसला लिया गया।
इसके साथ ही एमफिल करने वाले विद्यार्थियों को एमफिल की थीसिस जमा कराने और वायवा देने के बाद पीएचडी के लिए मान्य मानने पर भी सहमति बन गई। अब ऐसे छात्र पीएचडी के आवेदन कर सकेंगे। बैठक में इंटरनल एसेसमेंट में पास होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। हालांकि, थ्योरी में उन्हें पासिंग मार्क्स लाने होंगे।
एसी बैठक में हिसार के दोनों प्राध्यापकों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला अगली बैठक के लिए डेफर कर दिया गया है। तीन घंटे से भी ज्यादा देर तक चली बैठक में 29 मुद्दों पर चर्चा की। इनमें 20 एजेंडे शामिल थे। नौ एजेंडे ऑन द टेबल लाए गए।
बैठक की अध्यक्षता कार्यवाहक कुलपति हरदीप कुमार ने की। बैठक में कुलसचिव, सभी विभागों के डीन आदि सदस्य भी मौजूद रहे।
केयू के सिनेट हॉल में दोपहर तीन बजे के बाद 117वीं शैक्षणिक परिषद (एसी) की बैठक शुरू हुई। इसमें पहले एजेंडे में शामिल 20 मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में यूनिवर्सिटी ने मर्सी चांस देने का फैसला लिया गया। विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से संपर्क किया था कि उन्हें मर्सी चांस दिया जाए, क्योंकि सरकारों ने नौकरियों में पास प्रतिशत बढ़ा दिया है। वे अपने नंबर बढ़ाना चाहते हैं।
ऐसे में यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2000 बैच तक के विद्यार्थियों को 15 हजार रुपये फीस और कोर्स फीस साथ में देने की शर्त रखते हुए मर्सी चांस को स्वीकृति दे दी।
एमफिल वाले कर सकेंगे पीएचडी
परिषद ने फैसला छात्रों के हित में किया है। अभी तक ऐसे विद्यार्थी जो एमफिल पूरा करने के लिए अपनी थीसिस जमा कर देते हैं, लेकिन उनकी डिग्री अवार्ड नहीं हो पाती, तो उन्हें पीएचडी में दाखिला देने के लिए मान्य नहीं किया जाता था। वीरवार को एसी की बैठक में ऐसे विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए मान्य कर दिया गया है।
इंटरनल एसेसमेंट में पास होना जरूरी नहीं
इंटरनल एसेसमेंट में पास होना अब अनिवार्य नहीं होगा। पहले नियमानुसार 20 नंबर का इंटरनल एसेसमेंट होता था। इसमें पांच नंबर हाजिरी के, पांच नंबर टेस्ट के और 10 नंबर एसाइनमेंट के होते थे। बाद में थ्योरी में 35 प्रतिशत अंक लाना भी अनिवार्य था।
पूर्व में इंटरनल में पास होना अनिवार्य होता था। अब बैठक में इंटरनल में पास होने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अब छात्र को कुल 35 प्रतिशत अंक लाने होंगे। ऑनर्स में 40 प्रतिशत अंक लाने होंगे।
डीबार शिक्षकों पर फैसला लटका
हिसार के सीआरएम जाट कॉलेज के दो प्राध्यापकों को परीक्षा ड्यूटी के लिए डी-बार कर दिया गया था। उन दोनों प्राध्यापकों को रीइंस्टेट करने का फैसला अगली बैठक के लिए डेफर कर दिया गया है। बैठक में उनके पक्ष में कुछ ही लोग रहे, जबकि अधिकतर लोग इस फैसले के विरोध में रहे।
एमपीएड और बीपीएड की परीक्षा के ऑर्डिनेंस को लेकर पहले एनसीटीई की टीम का दौरा करने और उनकी रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने की बात कही गई। अनफेयर मिस केसिस के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। विभिन्न स्लेबस को मंजूरी प्रदान की गई। बेचलर ऑफ वोकेशन की परीक्षा के लिए नए ऑर्डिनेंस पर सहमति की मुहर लगाई गई। वन ईयर पीजी डिप्लोमा इन साइकोथेरेपी एंड रिहेबिलिटेशन का नया कोर्स 2015-16 शैक्षणिक सत्र से शुरू करने को भी अनुमति मिल गई है।
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इसके साथ ही एमफिल करने वाले विद्यार्थियों को एमफिल की थीसिस जमा कराने और वायवा देने के बाद पीएचडी के लिए मान्य मानने पर भी सहमति बन गई। अब ऐसे छात्र पीएचडी के आवेदन कर सकेंगे। बैठक में इंटरनल एसेसमेंट में पास होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। हालांकि, थ्योरी में उन्हें पासिंग मार्क्स लाने होंगे।
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एसी बैठक में हिसार के दोनों प्राध्यापकों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला अगली बैठक के लिए डेफर कर दिया गया है। तीन घंटे से भी ज्यादा देर तक चली बैठक में 29 मुद्दों पर चर्चा की। इनमें 20 एजेंडे शामिल थे। नौ एजेंडे ऑन द टेबल लाए गए।
बैठक की अध्यक्षता कार्यवाहक कुलपति हरदीप कुमार ने की। बैठक में कुलसचिव, सभी विभागों के डीन आदि सदस्य भी मौजूद रहे।
केयू के सिनेट हॉल में दोपहर तीन बजे के बाद 117वीं शैक्षणिक परिषद (एसी) की बैठक शुरू हुई। इसमें पहले एजेंडे में शामिल 20 मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में यूनिवर्सिटी ने मर्सी चांस देने का फैसला लिया गया। विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से संपर्क किया था कि उन्हें मर्सी चांस दिया जाए, क्योंकि सरकारों ने नौकरियों में पास प्रतिशत बढ़ा दिया है। वे अपने नंबर बढ़ाना चाहते हैं।
ऐसे में यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2000 बैच तक के विद्यार्थियों को 15 हजार रुपये फीस और कोर्स फीस साथ में देने की शर्त रखते हुए मर्सी चांस को स्वीकृति दे दी।
एमफिल वाले कर सकेंगे पीएचडी
परिषद ने फैसला छात्रों के हित में किया है। अभी तक ऐसे विद्यार्थी जो एमफिल पूरा करने के लिए अपनी थीसिस जमा कर देते हैं, लेकिन उनकी डिग्री अवार्ड नहीं हो पाती, तो उन्हें पीएचडी में दाखिला देने के लिए मान्य नहीं किया जाता था। वीरवार को एसी की बैठक में ऐसे विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए मान्य कर दिया गया है।
इंटरनल एसेसमेंट में पास होना जरूरी नहीं
इंटरनल एसेसमेंट में पास होना अब अनिवार्य नहीं होगा। पहले नियमानुसार 20 नंबर का इंटरनल एसेसमेंट होता था। इसमें पांच नंबर हाजिरी के, पांच नंबर टेस्ट के और 10 नंबर एसाइनमेंट के होते थे। बाद में थ्योरी में 35 प्रतिशत अंक लाना भी अनिवार्य था।
पूर्व में इंटरनल में पास होना अनिवार्य होता था। अब बैठक में इंटरनल में पास होने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अब छात्र को कुल 35 प्रतिशत अंक लाने होंगे। ऑनर्स में 40 प्रतिशत अंक लाने होंगे।
डीबार शिक्षकों पर फैसला लटका
हिसार के सीआरएम जाट कॉलेज के दो प्राध्यापकों को परीक्षा ड्यूटी के लिए डी-बार कर दिया गया था। उन दोनों प्राध्यापकों को रीइंस्टेट करने का फैसला अगली बैठक के लिए डेफर कर दिया गया है। बैठक में उनके पक्ष में कुछ ही लोग रहे, जबकि अधिकतर लोग इस फैसले के विरोध में रहे।
एमपीएड और बीपीएड की परीक्षा के ऑर्डिनेंस को लेकर पहले एनसीटीई की टीम का दौरा करने और उनकी रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने की बात कही गई। अनफेयर मिस केसिस के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। विभिन्न स्लेबस को मंजूरी प्रदान की गई। बेचलर ऑफ वोकेशन की परीक्षा के लिए नए ऑर्डिनेंस पर सहमति की मुहर लगाई गई। वन ईयर पीजी डिप्लोमा इन साइकोथेरेपी एंड रिहेबिलिटेशन का नया कोर्स 2015-16 शैक्षणिक सत्र से शुरू करने को भी अनुमति मिल गई है।