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Kurukshetra News: चार दिन बाद पहुंचे सोनोलॉजिस्ट, बिजली फॉल्ट से दोपहर तक नहीं हुई जांच
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कुरुक्षेत्र। अल्ट्रासाउंड के लिए केंद्र के बाहर बैठे मरीज। संवाद
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कुरुक्षेत्र। जिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड केंद्र में अव्यवस्थाएं लगातार बनी हुई हैं जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में केवल एक ही सोनोलॉजिस्ट डॉ. गुलशन तैनात हैं, जो वीआईपी ड्यूटी और निजी अवकाश के कारण सप्ताह में तीन से चार दिन केंद्र पर उपलब्ध नहीं रहते। इसके चलते अल्ट्रासाउंड केंद्र सप्ताह में दो से तीन दिन बंद रहता है और रोजाना आने वाले सैकड़ों मरीजों को भटकना पड़ता है। हाल ही में चार दिन बाद जब सोनोलॉजिस्ट पहुंचे तो बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण दोपहर तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो सके। बिजली बहाल होने के बाद ही जांच संभव हो पाई।
अस्पताल में रोजाना 35 से 40 अल्ट्रासाउंड होते हैं जिनमें से कई मामलों में अल्ट्रासाउंड अनिवार्य होता है। ऐसे में डॉक्टर के अवकाश या वीआईपी ड्यूटी पर चले जाने से बड़ी संख्या में मरीजों को अपने तय समय पर जांच नहीं मिल पाती। मजबूरन मरीजों को अगले दिन फिर से अस्पताल आना पड़ता है जिससे उनके इलाज में अनावश्यक देरी हो जाती है। कई मरीजों के लिए आर्थिक और शारीरिक दोनों ही तरह की असुविधा बढ़ जाती है।
मरीजों को लौटना पड़ता है बिना जांच
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, अल्ट्रासाउंड विभाग में तकनीकी संसाधन उपलब्ध हैं, परंतु सोनोलॉजिस्ट की कमी के चलते मशीनें अक्सर बेकार पड़ी रहती हैं। अस्पताल प्रशासन की ओर से बार-बार निर्देश देने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। मरीजों का कहना है कि जब भी डॉक्टर अनुपस्थित होते हैं, उन्हें बिना जांच लौटना पड़ता है। कई गर्भवती महिलाएं और गंभीर चिकित्सकीय स्थिति वाले मरीज घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी निराश होकर लौट जाते हैं।
चार दिन से काट रहे चक्कर, नहीं हुआ अल्ट्रासांउड
शहरवासी सरोज का कहना है कि चिकित्सक ने उनका अल्ट्रासाउंड लिखा था। अल्ट्रासाउंड के लिए चार दिन से जिला अस्पताल के चक्कर काट रही हूं। पहले चिकित्सक नहीं आ रहे थे, आज चिकित्सक आए तो बिजली बाधित रही। दो बजे तक भी उनका अल्ट्रासाउंड नहीं हुआ।
फाॅल्ट के कारण व्यवस्था हुई प्रभावित : डॉ. साराह
पीएमओ डॉ. साराह अग्रवाल का कहना है कि केंद्र की लाइट में फॉल्ट होने के कारण कुछ समय तक अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाए। ऐसे में मरीजों को परेशानी हुई है। समय रहते फाल्ट को ठीक करा दिया गया था। उसके बाद मरीजों के अल्ट्रासाउंड हुए।
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अस्पताल में रोजाना 35 से 40 अल्ट्रासाउंड होते हैं जिनमें से कई मामलों में अल्ट्रासाउंड अनिवार्य होता है। ऐसे में डॉक्टर के अवकाश या वीआईपी ड्यूटी पर चले जाने से बड़ी संख्या में मरीजों को अपने तय समय पर जांच नहीं मिल पाती। मजबूरन मरीजों को अगले दिन फिर से अस्पताल आना पड़ता है जिससे उनके इलाज में अनावश्यक देरी हो जाती है। कई मरीजों के लिए आर्थिक और शारीरिक दोनों ही तरह की असुविधा बढ़ जाती है।
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मरीजों को लौटना पड़ता है बिना जांच
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, अल्ट्रासाउंड विभाग में तकनीकी संसाधन उपलब्ध हैं, परंतु सोनोलॉजिस्ट की कमी के चलते मशीनें अक्सर बेकार पड़ी रहती हैं। अस्पताल प्रशासन की ओर से बार-बार निर्देश देने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। मरीजों का कहना है कि जब भी डॉक्टर अनुपस्थित होते हैं, उन्हें बिना जांच लौटना पड़ता है। कई गर्भवती महिलाएं और गंभीर चिकित्सकीय स्थिति वाले मरीज घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी निराश होकर लौट जाते हैं।
चार दिन से काट रहे चक्कर, नहीं हुआ अल्ट्रासांउड
शहरवासी सरोज का कहना है कि चिकित्सक ने उनका अल्ट्रासाउंड लिखा था। अल्ट्रासाउंड के लिए चार दिन से जिला अस्पताल के चक्कर काट रही हूं। पहले चिकित्सक नहीं आ रहे थे, आज चिकित्सक आए तो बिजली बाधित रही। दो बजे तक भी उनका अल्ट्रासाउंड नहीं हुआ।
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