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10 गांव, एक बैंक, 13 दिन से नहीं है कैश
palwal
Updated Fri, 25 Nov 2016 04:30 PM IST
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- फोटो : self
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सरकारी फरमान से हुई नोटबंदी लोगों के जी का जंजाल बन चुकी है। अपने ही पैसे को पाने के लिए लोग लाचार बने हुए हैं। बैंक भी लोगों की सुविधाएं देने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि शहर से 10 किलोमीटर दूर 10 गांवों की बैंकिंग करने वाला सर्वहरियाणा ग्रामीण बैंक 13 दिन से किसी को एक रुपया भी नहीं दे पाया है।
शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव अहरवां का सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक एक मात्र बैंक है। यह बैंक साथ लगते 10 गांवों की बैंकिंग जरूरतें पूरी करता है। लेकिन नोटबंदी के दूसरे दिन से ही यहां लगे कंप्यूटर मॉडम में कमी के चलते दिखावा बने हुए हैं। परिणाम स्वरूप बैंक से किसी को कैश नहीं मिल रहा है।
लोगों को छोटी-मोटी जरूरतों के लिए शहर का रुख करना पड़ रहा है। शहर के अधिकांश बैंक भी नगदी बदलने के बजाय केवल अपने ही ग्राहकों को कैश दे रहे हैं। परेशान लोग हर समय शहर का रुख किए रहते हैं, कि कब किसी एटीएम मे कैश डले और वे कम से कम रोजमर्रा की जरूरतें तो पूरी कर सकें।
10 गांवों की बैंकिंग का साधन है एकमात्र बैंक :
गांव अहरवां के लोगों ने बृहस्पतिवार को अमर उजाला को बताया कि इस बैंक से केवल अहरवां की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं, बल्कि साथ के 10 गांव भी इसी पर आश्रित हैं। जिन गांवों की बैंकिंग यहां से होती हैं, उनमें दुर्गापुर, रतीपुर, जलालपुर, नंगली, धामाका, बढ़ा व राखौता आदि गांव शामिल हैं। हालांकि अहरवां में कॉपरेटिव बैंक की भी शाखा है, लेकिन वहां किसी किस्म की नगदी निकासी नहीं हो रही है।
पैसे-पैसे को तरस रहे हैं। परिवार का एक आदमी तो हमेशा इसी ड्यूटी पर रहता है कि शहर में पता चलता रहे कि एटीएम में पैसे आए के नहीं। सरकार को इतना बड़ा कदम उठाने से पहले संपूर्ण व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी।
-अमरजीत सिंह, एडवोकेट
असल में तो नौ नवंबर से ही मॉडम खराब है। फिर भी किसी तरह से 9 व 10 नवंबर को लोगों को कैश दिया था। 11 नवंबर से व्यवस्था पूरी तरह से ठप है। बैंक अधिकारियों को कंप्यूटरों में आई खराबी से अवगत कराया जा चुका है।
-रघुवीर सिंह, ब्रांच मैनेजर

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शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव अहरवां का सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक एक मात्र बैंक है। यह बैंक साथ लगते 10 गांवों की बैंकिंग जरूरतें पूरी करता है। लेकिन नोटबंदी के दूसरे दिन से ही यहां लगे कंप्यूटर मॉडम में कमी के चलते दिखावा बने हुए हैं। परिणाम स्वरूप बैंक से किसी को कैश नहीं मिल रहा है।
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लोगों को छोटी-मोटी जरूरतों के लिए शहर का रुख करना पड़ रहा है। शहर के अधिकांश बैंक भी नगदी बदलने के बजाय केवल अपने ही ग्राहकों को कैश दे रहे हैं। परेशान लोग हर समय शहर का रुख किए रहते हैं, कि कब किसी एटीएम मे कैश डले और वे कम से कम रोजमर्रा की जरूरतें तो पूरी कर सकें।
10 गांवों की बैंकिंग का साधन है एकमात्र बैंक :
गांव अहरवां के लोगों ने बृहस्पतिवार को अमर उजाला को बताया कि इस बैंक से केवल अहरवां की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं, बल्कि साथ के 10 गांव भी इसी पर आश्रित हैं। जिन गांवों की बैंकिंग यहां से होती हैं, उनमें दुर्गापुर, रतीपुर, जलालपुर, नंगली, धामाका, बढ़ा व राखौता आदि गांव शामिल हैं। हालांकि अहरवां में कॉपरेटिव बैंक की भी शाखा है, लेकिन वहां किसी किस्म की नगदी निकासी नहीं हो रही है।
पैसे-पैसे को तरस रहे हैं। परिवार का एक आदमी तो हमेशा इसी ड्यूटी पर रहता है कि शहर में पता चलता रहे कि एटीएम में पैसे आए के नहीं। सरकार को इतना बड़ा कदम उठाने से पहले संपूर्ण व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी।
-अमरजीत सिंह, एडवोकेट
असल में तो नौ नवंबर से ही मॉडम खराब है। फिर भी किसी तरह से 9 व 10 नवंबर को लोगों को कैश दिया था। 11 नवंबर से व्यवस्था पूरी तरह से ठप है। बैंक अधिकारियों को कंप्यूटरों में आई खराबी से अवगत कराया जा चुका है।
-रघुवीर सिंह, ब्रांच मैनेजर