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गांव बलियाली में फायरिंग मामला: मेयर जीती सिद्धू समेत दो आरोपी बरी, एक दोषी करार

Chandigarh Bureau चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:54 PM IST
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Baliyali village firing incident: Mayor Jeeti Sidhu and two others acquitted, one convicted
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मोहाली। साल 2010 के बहुचर्चित गांव बलियाली फायरिंग केस में शनिवार को सीबीआई कोर्ट मोहाली ने मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू, गांव के पूर्व सरपंच कुलवंत सिंह और जतिंदर सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। लगभग 15 वर्षों तक चले इस लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आए फैसले को मोहाली की राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है।
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अदालत को आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे तीन वकीलों ने बताया कि कोर्ट ने सबूतों का गहनता से परीक्षण करने के बाद मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू और कुलवंत सिंह को निर्दोष करार दिया है। कोर्ट ने आरोपी दिलबर सिंह को दोषी ठहराकर उस पर लगे हत्या के आरोप (धारा 302) को गैर इरादतन हत्या (धारा 304) में तब्दील कर दिया। दिलबर सिंह को दी जाने वाली सजा पर फैसला 24 दिसंबर को सुनाया जाएगा। इसके अलावा कोर्ट ने विपक्ष के सात लोगों को भी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 148 और 149 के तहत दोषी ठहराया और उन पर जुर्माना लगाया।
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यह है मामला
बलियाली गांव में 18 दिसंबर 2010 को एक ही परिवार के बीच आपस में फायरिंग की घटना हुई थी। यह वारदात राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और पुरानी पारिवारिक व संपत्ति से जुड़ी रंजिश का नतीजा बताई गई। गांव की एक ही गली में रहने वाले एक ही परिवार के सदस्य शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। इससे तनाव लगातार बना हुआ था। वाहन पार्क करने को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसक झड़प में बदल गया और गोलियां चलने लगीं थी। फायरिंग के दौरान शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ता रत्तन सिंह को सिर में गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना में कई अन्य लोग भी घायल हुए। गोली लगने से कुलविंदर कौर, हरजिंदर सिंह, हरप्रीत सिंह, अमरिक सिंह, गुरप्रीत सिंह और दिलबर सिंह घायल बताए गए। इस घटना के बाद मामला राजनीतिक रंग लेता चला गया और वर्षों तक अदालत में चला।




मृतक के बेटे की शिकायत पर दर्ज हुआ था मामला
मृतक रत्तन सिंह के बेटे हरजिंदर सिंह की शिकायत पर बालोंगी पुलिस ने मामला दर्ज किया था। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 148, 149 और 120-बी के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धाराओं 25, 27, 54 और 59 के तहत एफआईआर दर्ज की। इस मामले में कांग्रेस विधायक बलबीर सिंह सिद्धू, उनके भाई अमरजीत सिंह जीती सिद्धू, कुलवंत सिंह, दिलबर सिंह और जतिंदर सिंह को नामजद किया गया था। मामले की गंभीरता और राजनीतिक प्रभाव के आरोपों को देखते हुए वर्ष 2012 में जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने साजिश और राजनीतिक दबाव के एंगल से मामले की गहन जांच की। जांच के दौरान .12 बोर की डबल बैरल बंदूकें और कई कारतूस बरामद किए गए। घटना के पांच दिन बाद दिलबर सिंह को गिरफ्तार किया गया था। ट्रायल के दौरान दिलबर सिंह ने अदालत में आत्मरक्षा का दावा किया। उसने कहा कि पहले दूसरे पक्ष ने हमला किया, जिसके बाद उसने जवाबी फायरिंग की। यह मामला वर्षों तक अदालत में चला।
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