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बोर्ड के सचिव की नियुक्ति का अधिकार केवल अध्यक्ष को, पूरे बोर्ड को नहीं : बीबीएमबी
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चंडीगढ़। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में सचिव पद पर नियुक्ति को लेकर छिड़े विवाद मामले में बीबीएमबी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता पंजाब सरकार के कर्मचारी हैं, बोर्ड से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े नहीं हैं। ऐसे में वे निजी व्यक्ति हैं और उन्हें बोर्ड के आंतरिक मामलों को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई 14 अक्तूबर तक स्थगित कर दी और तब तक नियुक्ति पर रोक जारी करने का निर्देश दिया है। पंजाब के तीन अभियंताओं ने याचिका लगाई थी। उन्होंने नियुक्ति के लिए बनाए गए मानदंड को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं रमनदीप सिंह बैंस, मनिंदर सिंह और केवल कृष्ण तीनों सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर हैं और पंजाब से ताल्लुक रखते हैं।
उनका आरोप है कि नियुक्ति के मानदंड विशेष रूप से तैयार किए गए हैं ताकि हरियाणा के कार्यकारी अभियंता सुरिंदर सिंह मित्तल की नियुक्ति सुनिश्चित हो सके। इस पर जवाब दाखिल करते हुए बोर्ड ने कहा कि सचिव पद 1976 में सृजित हुआ था और उसकी नियुक्ति का अधिकार बोर्ड अध्यक्ष को है, न कि पूरे बोर्ड को। अध्यक्ष ही मानदंड तय करने और चयन करने में सक्षम हैं।
बोर्ड ने स्पष्ट किया कि सचिव के पद का महत्व केवल इसलिए माना जाता है क्योंकि वह सीधे अध्यक्ष को रिपोर्ट करता है लेकिन यह कोई स्थायी नियुक्ति नहीं होती। सचिव पद पर कार्यरत अधिकारी अंतत: अपने मूल विभाग में लौट जाते हैं। आरोपों को खारिज करते हुए बीबीएमबी ने कहा कि इस पद के लिए कुल 31 आवेदन आए थे, जिनमें से 17 उम्मीदवारों को शार्टलिस्ट किया गया। चयन समिति में हरियाणा के दो सदस्य, केंद्र सरकार का एक सदस्य और पंजाब का एक सदस्य शामिल है।
मामला उस पृष्ठभूमि में उठा है जब मई-जून में पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने से इन्कार कर दिया था और हाईकोर्ट के आदेशों का भी पालन नहीं हुआ था। इस विवाद से जुड़े कई मामले अभी भी हाईकोर्ट में लंबित हैं। अब यह मामला 14 अक्तूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। तब तक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी।

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हाईकोर्ट ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई 14 अक्तूबर तक स्थगित कर दी और तब तक नियुक्ति पर रोक जारी करने का निर्देश दिया है। पंजाब के तीन अभियंताओं ने याचिका लगाई थी। उन्होंने नियुक्ति के लिए बनाए गए मानदंड को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं रमनदीप सिंह बैंस, मनिंदर सिंह और केवल कृष्ण तीनों सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर हैं और पंजाब से ताल्लुक रखते हैं।
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उनका आरोप है कि नियुक्ति के मानदंड विशेष रूप से तैयार किए गए हैं ताकि हरियाणा के कार्यकारी अभियंता सुरिंदर सिंह मित्तल की नियुक्ति सुनिश्चित हो सके। इस पर जवाब दाखिल करते हुए बोर्ड ने कहा कि सचिव पद 1976 में सृजित हुआ था और उसकी नियुक्ति का अधिकार बोर्ड अध्यक्ष को है, न कि पूरे बोर्ड को। अध्यक्ष ही मानदंड तय करने और चयन करने में सक्षम हैं।
बोर्ड ने स्पष्ट किया कि सचिव के पद का महत्व केवल इसलिए माना जाता है क्योंकि वह सीधे अध्यक्ष को रिपोर्ट करता है लेकिन यह कोई स्थायी नियुक्ति नहीं होती। सचिव पद पर कार्यरत अधिकारी अंतत: अपने मूल विभाग में लौट जाते हैं। आरोपों को खारिज करते हुए बीबीएमबी ने कहा कि इस पद के लिए कुल 31 आवेदन आए थे, जिनमें से 17 उम्मीदवारों को शार्टलिस्ट किया गया। चयन समिति में हरियाणा के दो सदस्य, केंद्र सरकार का एक सदस्य और पंजाब का एक सदस्य शामिल है।
मामला उस पृष्ठभूमि में उठा है जब मई-जून में पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने से इन्कार कर दिया था और हाईकोर्ट के आदेशों का भी पालन नहीं हुआ था। इस विवाद से जुड़े कई मामले अभी भी हाईकोर्ट में लंबित हैं। अब यह मामला 14 अक्तूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। तब तक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी।