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आशीष धौंचक: मैं कितना शरीफ हूं, यह बात आतंकवादी ही बताएंगे... दोस्तों से कहते थे मेजर; मां ने कही ये बड़ी बात

अमर उजाला नेटवर्क, पानीपत Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 15 Sep 2023 08:21 AM IST
सार

दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने बताया कि मेजर आशीष शुरू से ही शरीफ थे। शराफत उनके चेहरे पर साफ झलकती थी। परिजनों ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें राजौरी सेक्टर में पोस्टिंग मिली तो उनके दोस्त कहते थे कि तू इतना शरीफ है। वहां आतंकवादी क्षेत्र में क्या करेगा? किसी दूसरी जगह तबादला करा ले। इस पर आशीष एक ही बात कहते थे कि मैं कितना शरीफ हूं, ये बात तो आतंकवादी ही बताएंगे। 

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Ashish dhaunchak Only terrorists will tell how noble I am Major used to say to his friends
शहीद मेजर आशीष के पिता लालचंद। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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मैंने एक शेर बेटे को जन्म दिया है। मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मैं रोऊं कौन्या, मैं अपने बेटे को सैल्यूट करूंगी। बेटे का स्वागत करूंगी। बेटे को अपनी झोली में लूंगी। हमको रोता हुआ छोड़कर चला गया। शहीद मेजर आशीष की मां कमला देवी के करुण रुदन के साथ ये शब्द वहां मौजूद लोगों की आंखें नम कर दे रहे थे।
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सेक्टर-7 स्थित शहीद मेजर आशीष धौंचक के घर में मां का यह दर्द दिन में कई बार गूंजा। महिलाएं उन्हें ढांढस बंधाती, लेकिन रह-रहकर बेटे की याद मन में हूक बनकर उठती और वह बिलख पड़तीं। यही हाल आशीष की पत्नी ज्योति का था। 
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शहीद की तीनों बहनों का तो मानों संसार ही उजड़ गया। पिता लालचंद अपने भतीजे मेजर विकास के आते ही गले लगकर रोने लगे। मेजर विकास भी खुद को नहीं रोक पाए। पिता लालचंद बोले, मेरा बेटा देश के नाम शहीद हो गया। 

हम ही क्या, पूरा देश उनकी कुर्बानी को नहीं भूलेगा। वे इतना कहकर शांत हो जाते। कभी अंदर जाते तो कभी बाहर आते। मानो चाहकर भी अपने आंसू नहीं बहा पा रहे हों। खुद को रोकते हुए मन ही मन अपनी पीड़ा जाहिर करते रहे।

दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने बताया कि मेजर आशीष शुरू से ही शरीफ थे। शराफत उनके चेहरे पर साफ झलकती थी। परिजनों ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें राजौरी सेक्टर में पोस्टिंग मिली तो उनके दोस्त कहते थे कि तू इतना शरीफ है। वहां आतंकवादी क्षेत्र में क्या करेगा? किसी दूसरी जगह तबादला करा ले। 

'मैं कितना शरीफ हूं, ये बात तो आतंकवादी ही बताएंगे'

इस पर आशीष एक ही बात कहते थे कि मैं कितना शरीफ हूं, ये बात तो आतंकवादी ही बताएंगे। हुआ भी ऐसे ही। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मेजर आशीष ने कर्नल मनप्रीत का पूरा साथ दिया। 

 

वे आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। आशीष के जीजा सुरेश दूहन ने बताया कि आशीष से कुछ दिन पहले बात हुई थी। वह काफी खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने बताया कि था कि चार-पांच दुश्मनों को निपटा दिया है। बाकियों को भी निपटाकर घर आऊंगा।
 

पिता बोले- चार दिन पहले ही हुई थी बेटे से बात

पिता लालचंद पूरे दिन लोगों से घिरे बैठे रहे। दोपहर बाद बाहर निकले तो हर नजर उनकी तरफ थी। वे बोले कि सब कुछ होकर भी कुछ नहीं दिखाई देता। उन्होंने कहा कि चार दिन पहले ही बेटे आशीष से बात हुई थी। उसने अधिकतर समय मकान के काम के बारे में में ही बातचीत की। वैसे तो अक्सर बात होती थी, लेकिन उस दिन उनकी बातों को सुनने का भी मन कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि अनहोनी यह दिन दिखा देगी।
 
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