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कांग्रेस कुलदीप शर्मा को बना सकती है करनाल से उम्मीदवार
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पानीपत। करनाल लोकसभा सीट से भाजपा ने 2014 व 2019 में पंजाबी उम्मीदवार मैदान में उतारा है। 2014 में मोदी लहर में भाजपा के अश्विनी चोपड़ा ने कांग्रेस के अरविंद शर्मा को मात दी थी। इस बार भी भाजपा ने इस सीट से पंजाबी दांव खेला है। क्योंकि पानीपत में पंजाबी 80 हजार वोट है, जबकि पूरे लोकसभा में 2 लाख 8 हजार वोट हैं। इनके अलावा भाजपा सिख समाज के 82900 वोट पर निशाना साध रही है। खुद सीएम मनोहर लाल भी पंजाबी जाति से संबंध रखते हैं और करनाल में उनका प्रभाव है। इसलिए भाजपा ने पंजाबी पर दांव खेला है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस यहां से ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतारने का मन बना चुकी है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा का नाम लगभग फाइनल हो चुका है। रविवार को उनके नाम का ऐलान हो सकता है। कांग्रेस ब्राह्मण व दलित वोट बैंक से सीट को जीतने का प्रयास करेगी। लेकिन कांग्रेस की मुश्किलें आप-जजपा बढ़ाने की तैयारी कर चुकी है। करनाल से दोनों पार्टियां आप के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद को उतारने का मन बना चुकी है। इसलिए नवीन जयहिंद लगातार पानीपत व करनाल में बैठक कर चुके हैं। नवीन जयहिंद भी ब्राह्मण समाज से हैं। इसलिए ब्राह्मण वोट बैंक में ध्रुवीकरण हो सकता है। यहां मराठा वोट बैंक भी 1 लाख 78 हजार है, इसके साथ साथ दलित वोट बैंक सबसे अधिक 2 लाख 58 हजार हैं। इन्हीं को साधने के लिए बसपा व लोसुपा ने यहां से मराठा समाज के प्रदीप चौधरी को टिकट दी है। यहां से 1 लाख 69 हजार वोट वाले जाट समुदाय को साधने के लिए इनेलो ने जाट उम्मीदवार मैदान में उतारा है। इनेलो से बलबीर पाढा चुनाव लड़ रहे हैं।
1952 से 2014 तक 18 बार लोकसभा चुनाव हुए है। इन चुनाव में 14 बार ब्राह्मण उम्मीदवारों को जीत मिली है। इसलिए करनाल लोकसभा को ब्राह्मण सीट भी कहा जाता है। ब्राह्मण समाज से पंडित चिरंजी लाल लगातार यहां से सर्वाधिक लगातार तीन बार सांसद बने हैं। जबकि अरविंद शर्मा, एमराम शर्मा व आईडी स्वामी दो-दो बार यहां से सांसद बने हैं। जाट उम्मीदवार के रूप में मात्र मोहिंद्र लाठर को 1979 में जीत मिली थी। इस बार इस सीट पर जातिगत आधार पर चुनाव होने की आसार बने हुए हैं, लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां की जनता पार्टी की लहर के साथ चलती है।
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