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Haryana: सजा के साथ स्किल भी, जेलों में पॉलिटेक्निक डिप्लोमा और ITI कोर्स की होगी शुरुआत
अमर उजाला ब्यूरो, चंडीगढ़
Published by: शाहिल शर्मा
Updated Thu, 04 Dec 2025 05:00 PM IST
सार
इस पहल का उद्देश्य कैदियों को उद्योग-अनुकूल कौशल, आत्मविश्वास व अनुशासन प्रदान कर रिहाई के बाद सम्मानजनक रोजगार दिलाना तथा पुनः अपराध की दर घटाना है। जेलों को अब सजा के साथ-साथ सुधार और क्षमता निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है।
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हरियाणा की जेलों में शुरू होंगे पॉलिटेक्निक डिप्लोमा और ITI कोर्स
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, हरियाणा सरकार के साथ मिलकर प्रदेश की विभिन्न जेलों में कौशल विकास केंद्रों, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों और आईटीआई स्तरीय व्यावसायिक प्रशिक्षण की शुरुआत करेगा। इसका उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सूर्यकांत द्वारा 6 दिसंबर 2025 को जिला जेल, गुरुग्राम में किया जाएगा।
इस अवसर पर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शील नागू तथा उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश भी मौजूद रहेंगे। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी की अध्यक्षता वाली विचाराधीन जेल कैदियों के पुनर्वास एवं कौशल विकास संबंधी समिति के निरंतर प्रयासों ने इस पहल को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका साझा दृष्टिकोण इस विश्वास को रेखांकित करता है कि जेलों को सुधार, क्षमता निर्माण और मानवीय गरिमा के संस्थानों के रूप में विकसित होना चाहिए।
हरियाणा की जेलों में पॉलिटेक्निक और कौशल विकास कार्यक्रमों का उद्घाटन सुधारात्मक न्याय के प्रति राज्य के दृष्टिकोण में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है। इस पहल के तहत कैदियों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग सहायक, वेल्डर, प्लंबर, ग्रेस मेकर, इलेक्ट्रीशियन, बुडवर्क टेक्नीशियन, सिलाई तकनीक और कॉस्मेटोलॉजी जैसे व्यवसायों में आईटीआई पाठ्यक्रम और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा शामिल है। इस पहल का उद्देश्य कैदियों को वर्तमान उद्योग की मांगों के अनुरूप रोजगारपरक कौशल से परिपूर्ण करना है। इन कार्यक्रमों की न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के लिए बल्कि कैदियों में आत्मविश्वास, अनुशासन और उद्देश्य का संचार करने के लिए भी रूपरेखा तैयार की गयी है।
इस कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिहाई के बाद, कैदियों पर सामाजिक अस्वीकृति या आर्थिक अनिश्चितता का बोझ न पड़े, बल्कि उन्हें सार्थक रोजगार पाने के लिए आवश्यक कौशल और योग्यताएं प्रदान की जाएं। यह इस सिद्धांत का प्रतीक है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसके पिछले कर्म कुछ भी हों, अपने भीतर सुधार, विकास और पुनः एकीकरण की क्षमता रखता है। इन शैक्षिक और व्यावसायिक हस्तक्षेपों के माध्यम से कार्यक्रम का उद्देश्य फिर से अपराध करने की दर को घटाना, वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और कैदियों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सशक्त बनाना है।
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इस अवसर पर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शील नागू तथा उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश भी मौजूद रहेंगे। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी की अध्यक्षता वाली विचाराधीन जेल कैदियों के पुनर्वास एवं कौशल विकास संबंधी समिति के निरंतर प्रयासों ने इस पहल को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका साझा दृष्टिकोण इस विश्वास को रेखांकित करता है कि जेलों को सुधार, क्षमता निर्माण और मानवीय गरिमा के संस्थानों के रूप में विकसित होना चाहिए।
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हरियाणा की जेलों में पॉलिटेक्निक और कौशल विकास कार्यक्रमों का उद्घाटन सुधारात्मक न्याय के प्रति राज्य के दृष्टिकोण में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है। इस पहल के तहत कैदियों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग सहायक, वेल्डर, प्लंबर, ग्रेस मेकर, इलेक्ट्रीशियन, बुडवर्क टेक्नीशियन, सिलाई तकनीक और कॉस्मेटोलॉजी जैसे व्यवसायों में आईटीआई पाठ्यक्रम और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा शामिल है। इस पहल का उद्देश्य कैदियों को वर्तमान उद्योग की मांगों के अनुरूप रोजगारपरक कौशल से परिपूर्ण करना है। इन कार्यक्रमों की न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के लिए बल्कि कैदियों में आत्मविश्वास, अनुशासन और उद्देश्य का संचार करने के लिए भी रूपरेखा तैयार की गयी है।
इस कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिहाई के बाद, कैदियों पर सामाजिक अस्वीकृति या आर्थिक अनिश्चितता का बोझ न पड़े, बल्कि उन्हें सार्थक रोजगार पाने के लिए आवश्यक कौशल और योग्यताएं प्रदान की जाएं। यह इस सिद्धांत का प्रतीक है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसके पिछले कर्म कुछ भी हों, अपने भीतर सुधार, विकास और पुनः एकीकरण की क्षमता रखता है। इन शैक्षिक और व्यावसायिक हस्तक्षेपों के माध्यम से कार्यक्रम का उद्देश्य फिर से अपराध करने की दर को घटाना, वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और कैदियों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सशक्त बनाना है।