Haryana: पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का किया भंडाफोड़, चार ठग गिरफ्तार, दिल्ली से साइब क्राइम को देते थे अंजाम
फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 150 से ज्यादा अधिक लोगों को ये ठग अपना शिकार बना चुके थे। ठगी की रकम को बिहार में खुलवाए गए फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता था।

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रेवाड़ी साइबर थाना पुलिस ने दिल्ली के उत्तम नगर में संचालित एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर चार साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह देशभर में 150 से अधिक लोगों को ठग चुका है। गिरफ्तार आरोपियों में गैंग का सरगना अजीत मांझी, उसका साला विकास और दो अन्य सदस्य संदीप व संजय शामिल हैं। अजीत बिहार का निवासी है और पोस्ट ग्रेजुएट है, जबकि विकास ने पहले बैंकिंग क्षेत्र में काम किया है।

वॉइस चेंजर से ठगी
डीएसपी मुख्यालय डॉ. रविंद्र कुमार ने प्रेस वार्ता में बताया कि अजीत मांझी ने लंबे समय तक कॉल सेंटर में काम किया था और वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में माहिर है। वह वॉइस चेंजर का उपयोग कर महिला की आवाज में अंजान नंबरों से कॉल करता था। इस दौरान वह पीड़ितों से बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर लेता था। यह जानकारी वह अपने साले विकास और अन्य सदस्यों संदीप व संजय को देता था, जो ठगी को अंजाम देते थे।
क्रेडिट कार्ड के नाम पर नितेश से ठगी
29 मई को रेवाड़ी के गांव फिदेड़ी निवासी नितेश को अजीत ने क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर उससे खाते की जानकारी हासिल की। इसके बाद विकास, संदीप और संजय ने एक फर्जी ऐप के जरिए नितेश के खाते से 1.30 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए। नितेश की शिकायत पर साइबर पुलिस ने दिल्ली और बिहार में छानबीन शुरू की और उत्तम नगर के फर्जी कॉल सेंटर तक पहुंची। पुलिस ने छापेमारी कर चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
बिहार में फर्जी खातों का जाल
पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वे साल 2022 से हर दिन औसतन चार ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे थे, जिसके आधार पर उन्होंने 150 से अधिक मामलों को अंजाम दिया। रेवाड़ी में भी चार ठगी की घटनाओं को उन्होंने स्वीकार किया। ठगी की रकम को बिहार में खुलवाए गए फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता था। इन खातों के मालिकों को ठगी की राशि का 15-20% कमीशन दिया जाता था। पुलिस ने आरोपियों से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, क्रेडिट कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं।
सट्टे की लत और नौकरी छूटने से बने ठग
डीएसपी डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि अजीत, विकास, संदीप और संजय पढ़े-लिखे हैं और पहले अच्छी नौकरियों में थे। विकास और संदीप ने बैंकिंग क्षेत्र में, जबकि संजय ने कॉल सेंटर में काम किया था। 2021 में नौकरी छूटने और सट्टे की लत के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन चारों ने 2022 में मिलकर यह ठगी का गिरोह बनाया।
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