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Rewari News: रेवाड़ी-गुरुग्राम के बीच मल्टी-सर्किट ट्रांसमिशन लाइन बनाने के लिए सर्वे शुरू
संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी
Updated Wed, 17 Dec 2025 12:00 AM IST
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रेवाड़ी में लगी बिजली की लाइन। संवाद
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धारूहेड़ा। हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (एचवीपीएन) ने धारूहेड़ा शहर और इंडस्ट्री की बिजली ओवरलोडिंग समस्या को कम करने के लिए धारूहेड़ा-मऊ (गुरुग्राम) के बीच 66 केवी मल्टी-सर्किट ट्रांसमिशन लाइन बनाने का फैसला लिया है। एजेंसी ने सर्वे अब शुरू कर दिया है।
निगम की यह परियोजना 35 करोड़ की है। दरअसल 220 केवी मऊ सबस्टेशन से धारूहेड़ा को बिजली सप्लाई की जाती है। मगर इनमें से लाइन
जर्जर हो चुकी है। इसकी क्षमता भी कम है। इसको देखते हुए निगम ने दोनों जिलों के बीच अब लाइन 66 केवी की मल्टी-सर्किट बिछाने का फैसला किया है जिसके चलते एक पुरानी लाइन को खत्म कर दिया जाएगा और दूसरी पुरानी लाइन को आपातकाल स्थिति में रख लिया जाएगा। बिजली सप्लाई पूरी तरह इसी नई लाइन के ऊपर निर्भर रहेगी।
निगम के मुताबिक इस परियोजना के लिए निगम की तरफ से एक प्राइवेट एजेंसी को करीब 35 करोड़ का ठेका दिया गया है। एजेंसी ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। इस नई लाइन के बनने से एक तरफ तो औद्योगिक क्षेत्र को मिलने वाली बिजली के लिए और दूसरी तरफ शहर क्षेत्र की बिजली के लिए सिस्टम को ओवरलोडिंग से काफी राहत मिलेगी।
इंसेट
प्रभावित भू-मालिकों को 200 फीसदी मिलेगा मुआवजा
हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम की ओर से ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी जिससे प्रभावित क्षेत्र के भू-मालिकों की जमीन का सस्कार द्वारा 200 फीसदी मुआवजा दिया जाएगा जिसमें खंभों से बाहर 1 मीटर दायरे तक की जमीन शामिल होगी। ट्रांसमिशन लाइन करीब 100 से अधिक किसानों के खेतों से होकर गुजरेगी जिन्हें टावर के दायरे की जमीन का 200% व लाइन कॉरिडोर (तारों के नीचे का हिस्सा) के दायरे की जमीन का 30% मुआवजा मिलेगा। भू-मालिकों को मुआवजा पटवारी की रिपोर्ट के अनुसार मिलेगा जिसका जिला स्तरीय मुआवजा कमेटी निरीक्षण करेगी।
इंसेट
11.25 किमी लंबी रहेगी बिजली लाइन
यह लाइन 2 हिस्सों में डिवाइड की गई है। एक हिस्सा टावर पर रहेगा दूसरा अंडरग्राउंड भी रहेगी। 66 केवी सब-स्टेशन धारूहेड़ा (आईई) से 220 केवी मऊ के बीच 4.6 किलोमीटर हिस्सा टावर पर रहेगा। 1.25 किलोमीटर हिस्सा केबल के जरिए अंडरग्राउंड रखा जाएगा। दूसरी तरफ 66 केवी धारूहेड़ा आईई (इंडस्टि्रयल) से 66 केवी धारूहेड़ा (नंदरामपुर रोड) के बीच 1.4 किलोमीटर केबल के जरिए बिजली लाइन अंडरग्राउंड की जाएगी। इसके अलावा 4 किलोमीटर लंबी टावर के जरिए लाइन बिछाई जाएगी। इसके बाद पुरानी एक लाइन को खत्म कर दिया जाएगा और दूसरी लाइन को आपातकाल के दौरान इस्तेमाल किया जाएगा यानी लोड पूरी तरह नई लाइन पर निर्भर रहेगा। यह टावर और भूमिगत केबल का मिश्रण सुनिश्चित करेगा कि बिजली की आपूर्ति न केवल विश्वसनीय हो बल्कि शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता की बाधा को भी पार कर सके, जिससे वितरण क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार आएगा।
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वर्जन:
35 करोड़ की लागत से बनने वाली यह ट्रांसमिशन लाइन मल्टी सर्किट वाली होगी। यदि एक सर्किट में कोई तकनीकी खराबी आती है या किसी कारण से मेंटेनेंस के लिए बंद करना पड़ता है तब भी दूसरा सर्किट चालू रहेगा और बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होगी। इसे काफी लाभ होगा।-- - संजय यादव, एक्सईएन एक्वीपीएन, रेवाड़ी।
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निगम की यह परियोजना 35 करोड़ की है। दरअसल 220 केवी मऊ सबस्टेशन से धारूहेड़ा को बिजली सप्लाई की जाती है। मगर इनमें से लाइन
जर्जर हो चुकी है। इसकी क्षमता भी कम है। इसको देखते हुए निगम ने दोनों जिलों के बीच अब लाइन 66 केवी की मल्टी-सर्किट बिछाने का फैसला किया है जिसके चलते एक पुरानी लाइन को खत्म कर दिया जाएगा और दूसरी पुरानी लाइन को आपातकाल स्थिति में रख लिया जाएगा। बिजली सप्लाई पूरी तरह इसी नई लाइन के ऊपर निर्भर रहेगी।
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निगम के मुताबिक इस परियोजना के लिए निगम की तरफ से एक प्राइवेट एजेंसी को करीब 35 करोड़ का ठेका दिया गया है। एजेंसी ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। इस नई लाइन के बनने से एक तरफ तो औद्योगिक क्षेत्र को मिलने वाली बिजली के लिए और दूसरी तरफ शहर क्षेत्र की बिजली के लिए सिस्टम को ओवरलोडिंग से काफी राहत मिलेगी।
इंसेट
प्रभावित भू-मालिकों को 200 फीसदी मिलेगा मुआवजा
हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम की ओर से ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी जिससे प्रभावित क्षेत्र के भू-मालिकों की जमीन का सस्कार द्वारा 200 फीसदी मुआवजा दिया जाएगा जिसमें खंभों से बाहर 1 मीटर दायरे तक की जमीन शामिल होगी। ट्रांसमिशन लाइन करीब 100 से अधिक किसानों के खेतों से होकर गुजरेगी जिन्हें टावर के दायरे की जमीन का 200% व लाइन कॉरिडोर (तारों के नीचे का हिस्सा) के दायरे की जमीन का 30% मुआवजा मिलेगा। भू-मालिकों को मुआवजा पटवारी की रिपोर्ट के अनुसार मिलेगा जिसका जिला स्तरीय मुआवजा कमेटी निरीक्षण करेगी।
इंसेट
11.25 किमी लंबी रहेगी बिजली लाइन
यह लाइन 2 हिस्सों में डिवाइड की गई है। एक हिस्सा टावर पर रहेगा दूसरा अंडरग्राउंड भी रहेगी। 66 केवी सब-स्टेशन धारूहेड़ा (आईई) से 220 केवी मऊ के बीच 4.6 किलोमीटर हिस्सा टावर पर रहेगा। 1.25 किलोमीटर हिस्सा केबल के जरिए अंडरग्राउंड रखा जाएगा। दूसरी तरफ 66 केवी धारूहेड़ा आईई (इंडस्टि्रयल) से 66 केवी धारूहेड़ा (नंदरामपुर रोड) के बीच 1.4 किलोमीटर केबल के जरिए बिजली लाइन अंडरग्राउंड की जाएगी। इसके अलावा 4 किलोमीटर लंबी टावर के जरिए लाइन बिछाई जाएगी। इसके बाद पुरानी एक लाइन को खत्म कर दिया जाएगा और दूसरी लाइन को आपातकाल के दौरान इस्तेमाल किया जाएगा यानी लोड पूरी तरह नई लाइन पर निर्भर रहेगा। यह टावर और भूमिगत केबल का मिश्रण सुनिश्चित करेगा कि बिजली की आपूर्ति न केवल विश्वसनीय हो बल्कि शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता की बाधा को भी पार कर सके, जिससे वितरण क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार आएगा।
वर्जन:
35 करोड़ की लागत से बनने वाली यह ट्रांसमिशन लाइन मल्टी सर्किट वाली होगी। यदि एक सर्किट में कोई तकनीकी खराबी आती है या किसी कारण से मेंटेनेंस के लिए बंद करना पड़ता है तब भी दूसरा सर्किट चालू रहेगा और बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होगी। इसे काफी लाभ होगा।