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Sirsa News: शोध कार्यों की गुणवत्ता जांच कमेटी ने जारी की एडवाइजरी
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सीडीएलयू का मुख्य गेट नंबर दो।

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सिरसा। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में शोध कार्य की गुणवत्ता पर कुलपति के सवालिया निशाने लगाने के बाद गठित की गई गुणवत्ता जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर विवि की वेबसाइट पर एडवाइजरी जारी की गई है।
दरअसल, पीएचडी की डिग्री देने से पहले कुलपति प्रो. नरसी बिश्नोई ने कुछ छात्रों की थीसिस अपने पास मंगवाई और उनकी गुणवत्ता को जांचा। गुणवत्ता में बड़े स्तर पर कमी देखने को मिली थी।
इसके बाद कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने एक कमेटी गठित कर आदेश जारी किए कि शोध कार्यों की गुणवत्ता को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके साथ ही शोध किस स्तर का होना चाहिए। उसकी भी जांच होनी जरूरी है।
गौरतलब है कि डीएन एकेडमिक प्रो. एसके गहलावत डीन रिसर्च प्रो. प्रियंका सिवाच, संबंधित संकाय के डीएन और विभाग के अध्यक्ष की संयुक्त कमेटी गठित की गई थी। इसी गठित कमेटी को शोध कार्यों के लिए अपने रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
यह होगा लाभ
शोध कार्यों के लिए गुणवत्ता होना बेहद जरूरी है, तभी पीएचडी करने वालों का पीएचडी करने का फायदा होगा। इसलिए अब शोध करने वाले शोधार्थियों की थीसिस को बारीकी से जांची जाएगी। बता दें कि सीडीएलयू में राजनेताओं की विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े लोग शोध कर रहे हैं। ऐसे में शोध कार्य की जांच होने पर ही सही मायने में पता चलेगा कि जो शोध कार्य उन्होंने किया है, वह सार्वजनिक मंच पर रखने लायक है या नहीं। क्योंकि उनके शोध कार्य को बड़े स्तर पर छात्र पढ़ना चाहेंगे। इसलिए कुलपति ने शोध कार्यों में गंभीरता दिखाने का निश्चय किया है।
यह एडवाइजरी की है जारी
- पीएचडी थीसिस में प्रमाण पत्रों का क्रम विश्वविद्यालय के मानदंडों व साहित्यिक चोरी नीति के अनुसार होना चाहिए।
- साहित्यिक चोरी रिपोर्ट पर पर्यवेक्षक की ओर से हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।
- संदर्भ और ग्रंथ सूची शैली एक समान और एकल पैटर्न में होनी चाहिए।
- संदर्भों व ग्रंथ सूची में कोई दोहराव नहीं होना चाहिए।
- थीसिस में सभी संदर्भों की अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और सूची के साथ-साथ पाठ में मिलान किया जाना चाहिए।
- थीसिस का प्रारूप अध्यादेश 2022-23 के अनुलग्नक-तीन के अनुसार होना चाहिए।
-- थीसिस की सभी प्रतियों में रंगीन आंकड़े शामिल किए जाने चाहिए।
- थीसिस का शीर्षक अंग्रेजी संस्करण में शीर्षक केस में होना चाहिए।
-- -- -- -- -- -- शोध कार्यों में गुणवत्ता होना बेहद जरूरी है। इसलिए कमेटी का गठन किया था। शोध कार्य हर विश्वविद्यालय का आधार होता है। शोध कार्य की गुणवत्ता के साथ कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
- प्रो नरसीराम बिश्नोई, कुलपति, सीडीएलयू ें
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दरअसल, पीएचडी की डिग्री देने से पहले कुलपति प्रो. नरसी बिश्नोई ने कुछ छात्रों की थीसिस अपने पास मंगवाई और उनकी गुणवत्ता को जांचा। गुणवत्ता में बड़े स्तर पर कमी देखने को मिली थी।
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इसके बाद कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने एक कमेटी गठित कर आदेश जारी किए कि शोध कार्यों की गुणवत्ता को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके साथ ही शोध किस स्तर का होना चाहिए। उसकी भी जांच होनी जरूरी है।
गौरतलब है कि डीएन एकेडमिक प्रो. एसके गहलावत डीन रिसर्च प्रो. प्रियंका सिवाच, संबंधित संकाय के डीएन और विभाग के अध्यक्ष की संयुक्त कमेटी गठित की गई थी। इसी गठित कमेटी को शोध कार्यों के लिए अपने रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
यह होगा लाभ
शोध कार्यों के लिए गुणवत्ता होना बेहद जरूरी है, तभी पीएचडी करने वालों का पीएचडी करने का फायदा होगा। इसलिए अब शोध करने वाले शोधार्थियों की थीसिस को बारीकी से जांची जाएगी। बता दें कि सीडीएलयू में राजनेताओं की विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े लोग शोध कर रहे हैं। ऐसे में शोध कार्य की जांच होने पर ही सही मायने में पता चलेगा कि जो शोध कार्य उन्होंने किया है, वह सार्वजनिक मंच पर रखने लायक है या नहीं। क्योंकि उनके शोध कार्य को बड़े स्तर पर छात्र पढ़ना चाहेंगे। इसलिए कुलपति ने शोध कार्यों में गंभीरता दिखाने का निश्चय किया है।
यह एडवाइजरी की है जारी
- पीएचडी थीसिस में प्रमाण पत्रों का क्रम विश्वविद्यालय के मानदंडों व साहित्यिक चोरी नीति के अनुसार होना चाहिए।
- साहित्यिक चोरी रिपोर्ट पर पर्यवेक्षक की ओर से हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।
- संदर्भ और ग्रंथ सूची शैली एक समान और एकल पैटर्न में होनी चाहिए।
- संदर्भों व ग्रंथ सूची में कोई दोहराव नहीं होना चाहिए।
- थीसिस में सभी संदर्भों की अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और सूची के साथ-साथ पाठ में मिलान किया जाना चाहिए।
- थीसिस का प्रारूप अध्यादेश 2022-23 के अनुलग्नक-तीन के अनुसार होना चाहिए।
- थीसिस का शीर्षक अंग्रेजी संस्करण में शीर्षक केस में होना चाहिए।
- प्रो नरसीराम बिश्नोई, कुलपति, सीडीएलयू ें