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Sonipat News: किसान की होगी यूनिक आईडी, सोनीपत से हुई शुुरुआत
संवाद न्यूज एजेंसी, सोनीपत
Updated Fri, 19 Dec 2025 02:16 AM IST
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सोनीपत। कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत राज्य में एग्री स्टैक परियोजना को धरातल पर उतार दिया है। इसके तहत जिले के प्रत्येक किसान की यूनिक डिजिटल किसान आईडी तैयार की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश में इसकी शुरुआत सोनीपत से की जा रही है। इसके पहले चरण में पोर्टल पर किसान की रजिस्ट्री को अपलोड किया जाएगा।
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से न केवल किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा और पारदर्शी लाभ मिलेगा बल्कि कृषि अधिकारी अधिक प्रभावी, सटीक और जवाबदेह बनेगा। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत एग्री स्टैक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को राज्यों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
यह प्रणाली ओपन सोर्स, इंटर ऑपरेबल और ओपन एपीआई आधारित होगी। इससे कृषि क्षेत्र में सुरक्षित, प्रमाणित और सहमति आधारित डाटा साझा किया जा सकेगा। इसके तहत किसानों की प्रमाणित और गतिशील डिजिटल पहचान सुनिश्चित की जाएगी।
एग्री स्टैक के तहत तीन प्रमुख रजिस्ट्रियां तैयार की जाएंगी
1-किसान रजिस्ट्री : प्रत्येक किसान की यूनिक पहचान
2-गांवों की डिजिटल मैपिंग : भूमि और लोकेशन की सटीक जानकारी।
3-फसल बिजाई रजिस्ट्री : बिजी गई फसल का रियल टाइम डिजिटल रिकॉर्ड।
इससे फसल पैटर्न, क्षेत्रफल और उत्पादन से जुड़ा डाटा तुरंत उपलब्ध होगा। इससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन संभव हो सकेगा। एग्री स्टैक केंद्र सरकार का डिजिटल इको सिस्टम है जो भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक खुला और एकीकृत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है। इसका उद्देश्य किसानों का डाटा, जिसमें पहचान, भूमि, फसल, ऋण को एक जगह लाना है। उन्हें सस्ता ऋण, सटीक सलाह, बाजारों तक पहुंच की जानकारी आसानी से दी जा सकेगी।
प्रत्येक तहसील से दो गांवों का चयन, कैंप लगाकर होगा पंजीकरण
पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोनीपत जिले की गोहाना, खरखौदा, राई, गन्नौर और सोनीपत तहसीलों से दो-दो गांवों का चयन किया जाएगा। परियोजना में राजस्व विभाग मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी होगा जबकि कृषि निदेशक नोडल अधिकारी की भूमिका निभाएंगे। किसानों के पंजीकरण के लिए तहसील स्तर पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे। मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसान रजिस्ट्री का डाटा 3 से 10 दिनों के भीतर साझा किया जाएगा।
कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक में बनी रणनीति
परियोजना को सफल बनाने के लिए लघु सचिवालय परिसर में कृषि एवं राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक हुई। दोनों विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने आपसी समन्वय के साथ योजना को धरातल पर उतारने की रणनीति पर मंथन किया। बैठक में जल्द ही चयनित गांवों में कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया।
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत किसानों की यूनिक आईडी बनाई जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत प्रत्येक तहसील के दो गांवों से की जा रही है। इससे किसानों को योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। -डॉ. पवन शर्मा, कृषि उपनिदेशक, सोनीपत।
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डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से न केवल किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा और पारदर्शी लाभ मिलेगा बल्कि कृषि अधिकारी अधिक प्रभावी, सटीक और जवाबदेह बनेगा। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत एग्री स्टैक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को राज्यों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
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यह प्रणाली ओपन सोर्स, इंटर ऑपरेबल और ओपन एपीआई आधारित होगी। इससे कृषि क्षेत्र में सुरक्षित, प्रमाणित और सहमति आधारित डाटा साझा किया जा सकेगा। इसके तहत किसानों की प्रमाणित और गतिशील डिजिटल पहचान सुनिश्चित की जाएगी।
एग्री स्टैक के तहत तीन प्रमुख रजिस्ट्रियां तैयार की जाएंगी
1-किसान रजिस्ट्री : प्रत्येक किसान की यूनिक पहचान
2-गांवों की डिजिटल मैपिंग : भूमि और लोकेशन की सटीक जानकारी।
3-फसल बिजाई रजिस्ट्री : बिजी गई फसल का रियल टाइम डिजिटल रिकॉर्ड।
इससे फसल पैटर्न, क्षेत्रफल और उत्पादन से जुड़ा डाटा तुरंत उपलब्ध होगा। इससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन संभव हो सकेगा। एग्री स्टैक केंद्र सरकार का डिजिटल इको सिस्टम है जो भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक खुला और एकीकृत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है। इसका उद्देश्य किसानों का डाटा, जिसमें पहचान, भूमि, फसल, ऋण को एक जगह लाना है। उन्हें सस्ता ऋण, सटीक सलाह, बाजारों तक पहुंच की जानकारी आसानी से दी जा सकेगी।
प्रत्येक तहसील से दो गांवों का चयन, कैंप लगाकर होगा पंजीकरण
पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोनीपत जिले की गोहाना, खरखौदा, राई, गन्नौर और सोनीपत तहसीलों से दो-दो गांवों का चयन किया जाएगा। परियोजना में राजस्व विभाग मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी होगा जबकि कृषि निदेशक नोडल अधिकारी की भूमिका निभाएंगे। किसानों के पंजीकरण के लिए तहसील स्तर पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे। मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसान रजिस्ट्री का डाटा 3 से 10 दिनों के भीतर साझा किया जाएगा।
कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक में बनी रणनीति
परियोजना को सफल बनाने के लिए लघु सचिवालय परिसर में कृषि एवं राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक हुई। दोनों विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने आपसी समन्वय के साथ योजना को धरातल पर उतारने की रणनीति पर मंथन किया। बैठक में जल्द ही चयनित गांवों में कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया।
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत किसानों की यूनिक आईडी बनाई जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत प्रत्येक तहसील के दो गांवों से की जा रही है। इससे किसानों को योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। -डॉ. पवन शर्मा, कृषि उपनिदेशक, सोनीपत।