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नौणी–भराड़ीघाट फोरलेन : दो सर्विस लेने से जुड़ेगा एम्स बिलासपुर का अंडरपास

संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर Updated Sat, 27 Sep 2025 05:07 PM IST
सार

बिलासपुर में एम्स परिसर को फोरलेन, अंडरपास और सर्विस लेन से सीधे जोड़ने की योजना बनाई गई है। इससे मरीजों और तीमारदारों की पहुंच सुगम व सुरक्षित होगी। नई कनेक्टिविटी से आपातकालीन सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा को भी लाभ मिलेगा।

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AIIMS Bilaspur will be directly connected to Nauni-Bharadighat four lane
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मरीजों, तीमारदारों को एम्स ओपीडी तक पहुंचने के लिए नहीं होगी परेशानी
अंडरपास से होकर सीधे एम्स परिसर पहुंचेगी बस स्टॉप से बनने वाली सर्विस लेन
एम्स प्रबंधन ने एनएचएआई और जिला प्रशासन के समक्ष रखा था मुद्दा
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। निर्माणाधीन नौणी–भराड़ीघाट फोरलेन से एम्स बिलासपुर को सीधे जोड़ा जाएगा। इसके लिए दो सर्विस लेन से बिलासपुर एम्स का अंडरपास जोड़ा जाएगा। नई योजना के तहत 2 और 3 नंबर गेट से अंडरपास बनाया जा रहा है। एम्स के पास बस स्टॉप से एक सर्विस लेन बनेगी, जो अंडरपास से होकर सीधे एम्स परिसर के भीतर जाएगी। वहीं, शिमला की दिशा में ब्रह्मपुखर की ओर जाने वाले तीन नंबर गेट से भी एक सर्विस लेन तैयार होगी, जो सीधे परिसर में प्रवेश करेगी।
एम्स प्रबंधन ने एनएचएआई और जिला प्रशासन के समक्ष यह मुद्दा रखा था कि वर्तमान व्यवस्था में बस से आने वाले मरीजों को बस अड्डे से ऑडिटोरियम के सामने गेट तक लगभग आधा किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। नई योजना के तहत अंडरपास और सर्विस लेन के माध्यम से यह दूरी खत्म होगी। मैनुअल एंट्री सीधे उसी मार्ग से संभव होगी। फोरलेन से जुड़ने के बाद एम्स तक पहुंच और भी सुरक्षित व आसान होगी, जिससे मरीजों, संस्थान के फैकल्टी और प्रशिक्षुओं को बेहतर सुविधा मिलेगी। अंडरपास बनने के बाद बस से उतरते ही मरीज, उनके तीमारदार और बुजुर्ग सीधे अस्पताल के भीतर सुरक्षित पहुंच पाएंगे।
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एम्स प्रबंधन ने जिला प्रशासन और एनएचएआई के सामने बात रखी थी कि संस्थान की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कनेक्टिविटी को प्राथमिकता दी जाए। इसके साथ ही यातायात का दबाव बढ़ने पर भी मरीजों, विद्यार्थियों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित रहेगी। बताते चलें कि फोरलेन कनेक्टिविटी पूरी होने के बाद शिमला, मंडी, कांगड़ा सहित अन्य जिलों से एम्स आने वाले मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। बेहतर सड़क संपर्क से न केवल आपातकालीन सेवाओं की गति बढ़ेगी बल्कि चिकित्सा शिक्षा और शोध कार्यों में भी रुकावट नहीं आएगी।
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