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Bilaspur News: कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर निजी होटल के पास अवैध मलबा डंपिंग की पुष्टि
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Sun, 23 Nov 2025 11:56 PM IST
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जांच के आदेश के बाद लोनिवि झंडूता ने एसडीएम को भेजी जांच रिपोर्ट
1287.81 घन मीटर मलबा गोबिंद सागर झील में मिला
फोरलेन का मरम्मत कार्य करने वाली कंपनी ने खुद को बताया निर्दोष
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान धराड़सानी में निजी होटल के साथ अवैध मलबा डंपिंग का मामला गंभीर होता जा रहा है। सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग झंडूता ने मौके की जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट एसडीएम झंडूता को प्रेषित की है। रिपोर्ट में मौजा धराड़सानी के आरडी नंबर 130/600 के पास गोविंद सागर झील में 1287.81 घन मीटर मलबा डंप होने की पुष्टि की गई है।
इसके साथ ही आरडी 0/000 से 0/040 तक किए गए मापन में क्रॉस सेक्शनल एरिया 28.52, 42.46, 25.07 और 39.75 वर्ग मीटर पाई गई। लंबाई और चौड़ाई 8, 3, 11 और 18 मीटर दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार झील के बाहर पड़े मलबे को भी अभी तक नहीं उठाया गया है, जबकि एक माह के भीतर मलबा निर्धारित डंपिंग साइट पर ले जाने के निर्देश पहले ही जारी किए गए थे।
रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि झील में कितना मलबा जमा हुआ है, इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट अभी लंबित है। बड़ी बात यह है कि होटल मालिक ने इस डंपिंग को भारी मानसून में भूस्खलन का हवाला दिया, लेकिन सवाल उठता है कि यदि इतनी बड़ी भूस्खलन घटना हुई थी, तो होटल को कोई क्षति कैसे नहीं हुई? जांच में यह भी पाया गया कि सारा मलबा फोरलेन का मरम्मत कार्य कर रही कंपनी के संरक्षण में मौजा सुन्नण (तहसील श्री नयना देवी जी) से उठाकर टिपरों व हैवी मशीनरी के माध्यम से मौके पर डंप किया गया। पुलिस संबंधित टिपरों व वाहनों की तलाश कर रही है। उधर, सड़क मरम्मत में लगी कंपनी ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए मलबा डंपिंग से पल्ला झाड़ लिया है। कंपनी ने होटल मालिक का पक्ष लेते हुए भारी बारिश को कारण बताया और पर्यावरण अभियंता के माध्यम से अपनी रिपोर्ट विभिन्न विभागों को भेजी है। फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट में मलबे की मात्रा व फैले क्षेत्र से यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण अभियंता की ओर से सदस्य सचिव को भेजी गई सिर्फ एक लाख रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की सिफारिश नियमों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि नई रिपोर्ट के आधार पर अब यह भी निर्धारित होना चाहिए कि वास्तविक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति कितनी बनती है। उन्होंने यह भी मांग की कि तहसील झंडूता के राजस्व अधिकारियों की ओर से धारा 107 के तहत निशानदेही कर मौके पर निजी, सरकारी, बीबीएमबी व फोरलेन निर्माण की अधिग्रहीत भूमि की सीमाएं चिह्नित कर पक्के पिलर स्थापित किए जाएं। साथ ही सड़क सुरक्षा के मद्देनजर मौके पर की जा रही पार्किंग पर भी कड़ा संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
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1287.81 घन मीटर मलबा गोबिंद सागर झील में मिला
फोरलेन का मरम्मत कार्य करने वाली कंपनी ने खुद को बताया निर्दोष
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान धराड़सानी में निजी होटल के साथ अवैध मलबा डंपिंग का मामला गंभीर होता जा रहा है। सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग झंडूता ने मौके की जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट एसडीएम झंडूता को प्रेषित की है। रिपोर्ट में मौजा धराड़सानी के आरडी नंबर 130/600 के पास गोविंद सागर झील में 1287.81 घन मीटर मलबा डंप होने की पुष्टि की गई है।
इसके साथ ही आरडी 0/000 से 0/040 तक किए गए मापन में क्रॉस सेक्शनल एरिया 28.52, 42.46, 25.07 और 39.75 वर्ग मीटर पाई गई। लंबाई और चौड़ाई 8, 3, 11 और 18 मीटर दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार झील के बाहर पड़े मलबे को भी अभी तक नहीं उठाया गया है, जबकि एक माह के भीतर मलबा निर्धारित डंपिंग साइट पर ले जाने के निर्देश पहले ही जारी किए गए थे।
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रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि झील में कितना मलबा जमा हुआ है, इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट अभी लंबित है। बड़ी बात यह है कि होटल मालिक ने इस डंपिंग को भारी मानसून में भूस्खलन का हवाला दिया, लेकिन सवाल उठता है कि यदि इतनी बड़ी भूस्खलन घटना हुई थी, तो होटल को कोई क्षति कैसे नहीं हुई? जांच में यह भी पाया गया कि सारा मलबा फोरलेन का मरम्मत कार्य कर रही कंपनी के संरक्षण में मौजा सुन्नण (तहसील श्री नयना देवी जी) से उठाकर टिपरों व हैवी मशीनरी के माध्यम से मौके पर डंप किया गया। पुलिस संबंधित टिपरों व वाहनों की तलाश कर रही है। उधर, सड़क मरम्मत में लगी कंपनी ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए मलबा डंपिंग से पल्ला झाड़ लिया है। कंपनी ने होटल मालिक का पक्ष लेते हुए भारी बारिश को कारण बताया और पर्यावरण अभियंता के माध्यम से अपनी रिपोर्ट विभिन्न विभागों को भेजी है। फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट में मलबे की मात्रा व फैले क्षेत्र से यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण अभियंता की ओर से सदस्य सचिव को भेजी गई सिर्फ एक लाख रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की सिफारिश नियमों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि नई रिपोर्ट के आधार पर अब यह भी निर्धारित होना चाहिए कि वास्तविक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति कितनी बनती है। उन्होंने यह भी मांग की कि तहसील झंडूता के राजस्व अधिकारियों की ओर से धारा 107 के तहत निशानदेही कर मौके पर निजी, सरकारी, बीबीएमबी व फोरलेन निर्माण की अधिग्रहीत भूमि की सीमाएं चिह्नित कर पक्के पिलर स्थापित किए जाएं। साथ ही सड़क सुरक्षा के मद्देनजर मौके पर की जा रही पार्किंग पर भी कड़ा संज्ञान लेने की आवश्यकता है।