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कैग रिपोर्ट में खुलासा : हिमाचल प्रदेश में बिना मंजूरी 3.06 करोड़ से बनाए पांच विश्राम गृह, जानें विस्तार से

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 26 Aug 2025 05:00 AM IST
सार

CAG Report : हिमाचल प्रदेश में बिना पूर्व अनुमोदन और कार्ययोजना के 3.06 करोड़ रुपये की लागत से पांच नए विश्राम गृह बना दिए गए। ये खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। 

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CAG report disclosed Five rest houses built in Himachal without approval at a cost of Rs 3.06 crore
कैग। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिमाचल प्रदेश में वन संरक्षण अधिनियम की अनदेखी कर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। बिना पूर्व अनुमोदन और कार्ययोजना के 3.06 करोड़ रुपये की लागत से पांच नए विश्राम गृह बना दिए गए। इनमें वीआईपी कमरों सहित आठ कमरे शामिल हैं। वहीं अटल टनल रोहतांग से जुड़ी 12.09 करोड़ की मलबा पुनर्वास योजना को मंजूरी के 13 साल बाद भी लागू नहीं किया जा सका।

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रिपोर्ट के मुताबिक राज्य प्राधिकरण की बैठकें समय पर नहीं हुईं। इसके अलावा प्रतिपूरक वनीकरण कोष का उपयोग अधूरा रहा। वर्ष 2016-17 से 2021-22 के बीच राष्ट्रीय प्राधिकरण से मिली निधियों में से 169.73 करोड़ यानी करीब 20 फीसदी खर्च ही नहीं हो पाया। जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए वर्ष 2019-20 और 2020-21 में अवक्रमित वन भूमि के विकास की बजाय 6.51 करोड़ रुपये ईको और नेचर पार्कों पर खर्च कर दिए गए।
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कैग ने बताया कि विभिन्न प्रयोक्ता एजेंसियों से वन मंजूरी के लिए 1,018 मामले आए। इनमें से 766 लंबित रहे। इनमें से 17 प्रतिशत राज्य वन विभाग और शेष एजेंसियों के स्तर पर अटके रहे। विभाग प्रयोक्ता एजेंसियों से प्रतिपूरक वनीकरण की 3.29 करोड़ की वसूली करने में भी नाकाम रहा।

ग्लोबल वार्मिंग पर भी अधूरी योजना
कैग रिपोर्ट के अनुसार 1.01 करोड़ रुपये व्यय करने के बाद भी वन विभाग हाई एल्टीट्यूड ट्रांजिशन जोन के तहत वृक्षारोपण नहीं कर सका। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए 500 हेक्टेयर हाई एल्टीट्यूड ट्रांजिशन जोन स्थापित करने की अतिरिक्त शर्त भी पूरी नहीं हुई। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की शर्तों का चार वर्षों तक उल्लंघन करने के कारण प्रयोक्ता एजेंसी को 3.29 करोड़ के सामान्य निवल वर्तमान मूल्य के दोगुने के बराबर दंड का भुगतान करना था, लेकिन विभाग इसकी वसूली करने में विफल रहा।

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