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Dharamshala : बौद्ध परंपरा से चुने जाएंगे अगले दलाई लामा, चीन की न होगी भूमिका; ड्रैगन ने कहा- फैसला हम करेंगे

अमर उजाला नेटवर्क, धर्मशाला Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 03 Jul 2025 03:56 AM IST
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सार

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि सिर्फ गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास बौद्ध परंपराओं के आधार पर अगले दलाई लामा को मान्यता देने का अधिकार है।

Dharamshala: The next Dalai Lama will be chosen from the Buddhist tradition, China will have no role
दलाई लामा - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

विस्तार
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चीन के अगला दलाई लामा चुनने के दावों के बीच 14वें तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो उर्फ ल्हामा थोंडुप ने स्पष्ट कि उनके उत्तराधिकारी के रूप में 15वें दलाई लामा का चयन 600 साल पुरानी बौद्ध परंपराओं के आधार पर होगा। 

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इसका फैसला उनका ट्रस्ट गादेन फोडरंग ही करेगा, इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। अपने 90वें जन्मदिन से चार दिन पहले शुरू हुए तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में यह बयान देकर दलाई लामा ने इस अनिश्चितता को समाप्त कर दिया कि उनके बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। साथ ही अपने बयान से चीन के साथ नए सिरे से टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। 
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बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि सिर्फ गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास बौद्ध परंपराओं के आधार पर अगले दलाई लामा को मान्यता देने का अधिकार है। इस मामले में किसी और को हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। 

उन्होंने कहा, मुझे दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले तिब्बतियों और तिब्बती बौद्धों से विभिन्न चैनलों के माध्यम से संदेश मिले हैं, जिसमें अनुरोध किया गया है कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाना चाहिए। इसके बाद मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। उन्होंने कहा, गादेन फोडरंग ट्रस्ट, तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और दलाई लामाओं की वंशावली से अभिन्न रूप से जुड़े और शपथ लेने वाले विश्वसनीय धर्म रक्षकों से परामर्श करेगा। परंपरा के अनुसार खोज और पहचान की प्रक्रिया को पूरा करेगा।

चीन में पैदा हुआ व्यक्ति नहीं हो सकता उत्तराधिकारी 
दलाई लामा ने कहा कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा हुआ होना चाहिए। उन्होंने अपने अनुयायियों से बीजिंग से चुने गए किसी भी व्यक्ति को अस्वीकार करने का आग्रह किया। दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का जश्न 30 जून को धर्मशाला के पास मैकलॉडगंज के मुख्य मंदिर सुगलागखांग में शुरू हुआ। वहीं, चीन जो ल्हामा थोंडुप को अलगाववादी मानता है, ने कहा था कि बीजिंग सदियों पुरानी रस्म के माध्यम से उत्तराधिकारी की पहचान को मंजूरी देगा।

क्या है दलाई लामा चुने जाने की प्रक्रिया  
तिब्बती परंपरा में माना जाता है कि एक वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु की आत्मा उसकी मृत्यु के बाद एक बच्चे के शरीर में पुनर्जन्म लेती है। दलाई लामा की वेबसाइट के अनुसार 6 जुलाई, 1935 को वर्तमान किंघई प्रांत के एक किसान परिवार में लामो धोंडुप के रूप में जन्मे 14वें दलाई लामा की पहचान ऐसे ही एक पुनर्जन्म के रूप में तब हुई थी, जब उनकी उम्र महज दो साल थी।

हमारा फैसला ही होगा मान्य : चीन
बीजिंग। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को खारिज कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी मिलनी चाहिए। इस तरह तिब्बती बौद्ध धर्म के चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ दशकों से चले आ रहे संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, दलाई लामा के उत्तराधिकारी को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, स्वर्ण कलश प्रक्रिया और चीनी सरकार के अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।  

  • दलाई लामा ने 1959 में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग की कमान में चीनी सेना के तिब्बत पर कब्जा करने के बाद तिब्बतियों के एक बड़े समूह के साथ भारत में अपने उच्च-स्तरीय दलबदल के बाद दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। 
  • तब से उन्होंने धर्मशाला को अपना घर बना लिया, जिससे बीजिंग नाराज हो गया और वहां उनकी उपस्थिति चीन और भारत के बीच विवाद का विषय बनी रही। 
  • तिब्बती स्वायत्तता के लिए संघर्ष को उनके उत्तराधिकारी को जारी रखना पड़ सकता है।

अमेरिका ने कहा-चीन बंद करे हस्तक्षेप

  • बीजिंग ने फिर दोहराया कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को मंजूरी देनी होगी और यह चीन में सदियों पुराने अनुष्ठान के माध्यम से किया जाना चाहिए। उधर अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह चीन से उत्तराधिकार में हस्तक्षेप बंद करने और धर्म की स्वतंत्रता का सम्मान करने का आह्वान करना जारी रखेगा।

चीन के चुने उत्तराधिकारी को कभी स्वीकार नहीं करेगा तिब्बत 
पेंपा शेयरिंग दलाई लामा के उनके उत्तराधिकारी के फैसले में चीन के लिए कोई भूमिका नहीं छोड़ने के बाद तिब्बत के राष्ट्रपति पेंपा शेयरिंग सिक्योंग ने कहा कि तिब्बत के लोग राजनीतिक लाभ के लिए चीन के चुने उत्तराधिकारी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। 

उन्होंने कहा कि तिब्बत के अंदर और बाहर के तिब्बतियों ने राष्ट्रीय एकता बनाए रखने और दलाई लामा की महान इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए पूरे दिल से सहयोग का प्रण किया है। चीनी सरकार तिब्बती भाषा और धर्म को निशाना बनाकर तिब्बती पहचान को मिटाने की साजिश के तहत काम कर रही है जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

अमेरिका ने तिब्बत के लिए रोकी मदद को फिर किया बहाल : शेरिंग 
तिब्बती सरकार ने कहा कि अमेरिका ने निर्वासित तिब्बतियों के लिए मदद में कटौती को वापस ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी परियोजनाओं के लिए 70 लाख डॉलर की मदद करने का फैसला लिया है। जनवरी में सत्ता संभालते ही ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका प्रथम मुहिम के तहत तिब्बत को विदेशी मदद में कटौती शुरू कर दी थी। 

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