Himachal Disaster : 100 से अधिक जगह भूस्खलन ने बदल दी 97 किमी हाईवे की सूरत, एनएच को 120 करोड़ का भारी नुकसान
Himachal Disaster : 97 किमी लंबे औट-बंजार-सैंज हाईवे-305 पर 100 से अधिक जगह भारी भूस्खलन हुआ है। भले ही एनएच ने करीब 25 दिन बाद हाईवे को सेब सीजन को देखते हुए छोटे वाहनों के लिए अस्थायी रूप से बहाल किया है, लेकिन बसों के लिए करीब 15 से 20 दिन और हाईवे को स्थायी रूप से खोलने में दो से तीन माह का समय लग सकता है।

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मानसून सीजन में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने सिर्फ घरवार, जमीनों, दुकानों, खेत खलिहानों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि जीवनरेखा कही जाने वाली सड़कों को भी गहरे जख्म दिए हैं। चारों तरफ भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। जिला कुल्लू की लाइफलाइन दो हाईवे को सबसे ज्यादा क्षति पहुंची। यह हाईवे न केवल जिला को आपस में जोड़ते हैं, बल्कि अन्य राज्यों को भी इन्हीं से आवाजाही रहती है। कुल्लू-मनाली हाईवे 23 जगह भूस्खलन हुआ या ब्यास नदी की जद में आ गया। वहीं 97 किमी लंबा औट-बंजार-सैंज हाईवे-305 पर भी 100 से अधिक जगह भारी भूस्खलन हुआ है। लारजी डैम से लेकर लुहरी-सैंज तक भूस्खलन ने हाईवे की सूरत ही बदलकर रख दी है।

हाईवे-305 चंडीगढ़-मनाली हाईवे तीन को औट में और दूसरी तरफ हाईवे-पांच को सैंज में जोड़ता है। 10,280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रे से गुजरने वाले हाईवे-305 को बरसात ने गहरे जख्म दिए हैं। यह हाईवे जहां बाह्य सराज की 69 पंचायतों की 1.30 लाख आबादी को जिला मुख्यालय से जोड़ता है। वहीं उपमंडल बंजार, गाडागुशैणी, मंडी का बालीचौकी की करीब एक लाख आबादी की भी जीवन रेखा है।
भले ही एनएच ने करीब 25 दिन बाद हाईवे को सेब सीजन को देखते हुए छोटे वाहनों के लिए अस्थायी रूप से बहाल किया है, लेकिन बसों के लिए करीब 15 से 20 दिन और हाईवे को स्थायी रूप से खोलने में दो से तीन माह का समय लग सकता है। इसके लिए एनएच ने 22 मशीनें लगाई हैं। छोटे वाहन चालकों को सावधानी बरतने की जरूरत है। बंजार के भेयाट मोड़, सोझा का कैंची मोड़, बालीचौकी, बिंद्राबनी, खनाग के झेड में हाईवे अतिसंवेदनशीन बना हुआ है। जबकि चार से पांच जगह ऐसी हैं, जहां सड़क 50 से 100 मीटर तक धंसकर नीचे बैठ गई है। यहां एनएच अथॉरिटी के लिए भी हाईवे को दुरूस्त करना एक चुनौती है।
औट से लेकर बंजार-आनी व सैंज तक हाईवे-305 अभी वनवे है। बरसात में जहां सड़क धंसने व भूस्खलन से तहस-नहस हुआ है। वहीं पहाड़ी से भूस्खलन व इसके साथ चट्टानें व पेड़ गिरने से भी बड़ी तबाही हुई है। यहां पर क्रेटवाॅल, डंगे लगाने में काफी वक्त लगेगा।
हाईवे -305 को हुए भारी नुकसान के जख्मों को भरना एनएच अथॉरिटी के लिए आसान नहीं है। 97 किलोमीटर लंबे इस हाईवे को 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पिछले ढाई माह से बसों को आवाजाही बंद है। छोटे वाहन भी करीब एक माह बाद दौड़ रहे हैं। बावजूद अभी सफर सुरक्षित नहीं है।
सोझा टूरिज्म एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र प्रकाश कहते हैं कि हाईवे को डबललेन करने की डीपीआर को केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली है। आम लोगों की आवाजाही के लिए कृषि, बागवानी व पर्यटक के लिए यह हाईवे महत्वपूर्ण है। ऐसे में हाईवे को डबललेन का निर्माण किया जाना चाहिए। आनी के करशाला निवासी जगदीश ठाकुर ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को प्रस्तावित जलोड़ी टनल व हाईवे को डबललेन का निर्माण जल्द कर देना चाहिए। वहीं लारजी से लेकर जिभी-सोझा तक वामतट होकर एक वैकल्पिक मार्ग का निर्माण किया जाना चाहिए, जिससे ऐसी स्थिति बनने पर वाहनों की आवाजाही बंद न हो और बाह्य सराज व बंजार घाटी के लोगों व सैलानियों को परेशानी का सामना न करना पड़े।