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हिमाचल प्रदेश: गांवों में व्यवसाय के लिए लीज पर भवन लेने को धारा 118 की अनुमति जरूरी नहीं, विधेयक सदन में पेश

अमर उजाला ब्यूरो, तपोवन (धर्मशाला)। Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 03 Dec 2025 06:00 AM IST
सार

HP Assembly Winter Session: मंगलवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने  सदन में हिमाचल प्रदेश भू अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 प्रस्तुत किया। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब व्यावयायिक गतिविधियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भवन या भवन के हिस्से को 10 वर्ष तक लीज पर देने को धारा 118 से बाहर रखा जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...

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Himachal Exemption under Section 118 for leasing buildings in rural areas for ten years
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र के दौरान मंगलवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में हिमाचल प्रदेश भू अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 प्रस्तुत किया। यह विधेयक वर्ष 1972 के अधिनियम की धारा 118 में संशोधन के लिए लाया गया है। विधेयक को आगामी दिनों में चर्चा के बाद पारित करने का प्रस्ताव किया जाएगा।

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प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब व्यावयायिक गतिविधियों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भवन या भवन के हिस्से को 10 वर्ष तक लीज पर देने को धारा 118 से बाहर रखा जाएगा। अगर संशोधन लागू होता है तो ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषकों को 10 वर्ष तक भवनों को किराये या लीज पर देने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इसका उद्देश्य यह है कि छोटे व्यवसाय, स्टार्टअप, दुकानों और ग्रामीण पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना है। 118(2)(ई) में संशोधन को प्रस्तावित करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य या केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों व वैधानिक निकायों की ओर से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत अधिग्रहीत भूमि को अधिनियम की पाबंदियों से छूट प्राप्त होगी। पूर्व में यह प्रावधान अस्पष्ट था, जिसे नए संशोधन के माध्यम से सुगम बनाया जा रहा है। राजस्व मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य धारा 118 की मूल भावना राज्य के हित और स्थानीय कृषकों की जमीन की सुरक्षा को बनाए रखते हुए आधुनिक आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप लचीलापन लाना है।

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कृषक सदस्यों वाली सहकारी समितियों को भूमि खरीदने की अनुमति
एक संशोधन यह प्रस्तावित किया गया है कि पूरी तरह कृषक सदस्यों वाली सहकारी समितियों को भूमि खरीदने की अनुमति दी गई है। बशर्ते समिति के सभी सदस्य कृषक हों। केवल कृषक ही सदस्यता ले सकेंगे। हर वर्ष रजिस्ट्रार को यह घोषणा देनी होगी कि किसी गैर कृषक को सदस्य नहीं बनाया गया है। यदि कोई समिति गैर कृषक को सदस्य बनाती है, तो समिति की ओर से खरीदी भूमि राज्य सरकार में निशुल्क निहित हो जाएगी। तर्क यह दिया गया है कि करीब 20 लाख लोग प्रदेश में सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं, इसलिए यह संशोधन कृषि आधारित आर्थिक गतिविधियों को और गति देगा।

हाउसिंग बोर्ड और टीसीपी से खरीदी भूमि पर छूट अब उत्तराधिकारियों को भी
अब तक केवल वह पहला खरीदार जो हिमुडा या टीसीपी की योजनाओं से घर व दुकान खरीदता रहा है, वह धारा 118 से मुक्त रहता था। नया संशोधन कहता है कि यह छूट आगे आने वाले खरीदारों को भी मिलेगी। ऐसे खरीदारों पर स्टांप ड्यूटी वही लागू होगी, जो सामान्य रूप से गैर-कृषकों के लिए धारा 118 अनुमति के साथ तय है।

रेरा पंजीकृत रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से घर खरीदने पर भी छूट
एक नया प्रावधान यह भी जोड़ा जा रहा है कि यदि कोई गैर-कृषक रेरा-पंजीकृत परियोजना से 500 वर्गमीटर तक का बनाया फ्लैट या भवन अपने बोनाफाइड आवासीय इस्तेमाल के लिए खरीदता है, तो उसे धारा 118 की अनुमति नहीं लेनी होगी। यह छूट भी सभी अगले खरीदारों पर लागू होगी। स्टांप ड्यूटी दर वही रहेगी जो धारा 118 अनुमति प्राप्त गैर-कृषकों पर लागू होती है।

खरीदी भूमि का उपयोग 3 वर्षों में जरूरी, अधिकतम 5 वर्ष की अतिरिक्त मोहलत
धारा 118 के तहत अनुमति लेकर भूमि खरीदने वाले गैर-कृषकों को अब भी 3 वर्ष के भीतर भूमि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए करना अनिवार्य रहेगा। नए संशोधन के अनुसार सरकार दो वर्ष तक की अतिरिक्त अवधि दे सकती है। इसके बाद एक-एक वर्ष की अवधि में कुल 5 वर्ष तक विस्तार संभव होगा। विस्तार के लिए भूमि मूल्य की अधिकतम प्रतिशत तक पेनल्टी लगाई जाएगी। यदि तय समय के भीतर भूमि का उपयोग नहीं किया जाता या बिना अनुमति उद्देश्य बदल दिया जाता है तो भूमि सरकार में निशुल्क निहित हो जाएगी।

मुख्यमंत्री बोले - एक्सटेंशन देने का प्रावधान नहीं था उसे जोड़ा
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि विधानसभा में धारा-118 को लेकर विधेयक लाया गया है। इसमें ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भूमि खरीदी है और 5 वर्ष में 70 फीसदी कार्य हुआ है, इसके बाद उसमें प्रावधान नहीं है कि एक साल की एक्सटेंशन दी जाए। एक्सटेंशन देने की पावर सरकार के पास लाने के लिए लिए विधेयक लाया गया है। इसमें जिसने भूमि खरीदी है, उसको जुर्माना लगाकर 5 वर्ष की जगह 1 या 2 साल की एक्सटेंशन दी जा सकेगी।
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