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Sirmour News: घरेलू हिंसा मामले में 10 से घटाकर 6 हजार की अंतरिम भरण-पोषण राशि
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने निचली अदालत के आदेश में किया संशोधन
पति की अपील आंशिक रूप से स्वीकार
संवाद न्यूज एजेंसी
नाहन (सिरमौर)। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने घरेलू हिंसा से जुड़े मामले में निचली अदालत द्वारा दिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह के अंतरिम भरण-पोषण आदेश में आंशिक संशोधन किया है। अदालत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के 18 अगस्त 2025 के आदेश में संशोधन करते हुए भरण-पोषण की राशि घटाकर 6 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी है।
मामले में पति नजीर की ओर से अदालत में दायर अपील में तर्क दिया गया कि वह बीमार है और उसकी कोई नियमित और स्थायी आय नहीं है। ऐसे में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा तय की गई 10 हजार रुपये प्रतिमाह की राशि उसकी आर्थिक क्षमता से अधिक है। वहीं, पत्नी मुमताज ने घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए भरण-पोषण की मांग की थी।
दालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया पति-पत्नी का संबंध और साथ रहने के तथ्य रिकॉर्ड पर स्पष्ट रूप से सामने आते हैं। इस आधार पर पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि पति की आय सीमित प्रतीत होती है और उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए 10 हजार रुपये प्रतिमाह की राशि अधिक है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कपिल शर्मा ने आदेश में कहा कि पति की अनुमानित मासिक आय को ध्यान में रखते हुए अंतरिम भरण-पोषण की राशि 6 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित करना न्यायसंगत होगा। यह राशि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दायर मुख्य याचिका के निपटारे तक देय रहेगी।
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पति की अपील आंशिक रूप से स्वीकार
संवाद न्यूज एजेंसी
नाहन (सिरमौर)। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने घरेलू हिंसा से जुड़े मामले में निचली अदालत द्वारा दिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह के अंतरिम भरण-पोषण आदेश में आंशिक संशोधन किया है। अदालत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के 18 अगस्त 2025 के आदेश में संशोधन करते हुए भरण-पोषण की राशि घटाकर 6 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी है।
मामले में पति नजीर की ओर से अदालत में दायर अपील में तर्क दिया गया कि वह बीमार है और उसकी कोई नियमित और स्थायी आय नहीं है। ऐसे में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा तय की गई 10 हजार रुपये प्रतिमाह की राशि उसकी आर्थिक क्षमता से अधिक है। वहीं, पत्नी मुमताज ने घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए भरण-पोषण की मांग की थी।
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दालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया पति-पत्नी का संबंध और साथ रहने के तथ्य रिकॉर्ड पर स्पष्ट रूप से सामने आते हैं। इस आधार पर पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि पति की आय सीमित प्रतीत होती है और उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए 10 हजार रुपये प्रतिमाह की राशि अधिक है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कपिल शर्मा ने आदेश में कहा कि पति की अनुमानित मासिक आय को ध्यान में रखते हुए अंतरिम भरण-पोषण की राशि 6 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित करना न्यायसंगत होगा। यह राशि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दायर मुख्य याचिका के निपटारे तक देय रहेगी।