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Sirmour News: गोंदपुर–बांगरण सड़क बनी ग्रामीण विकास की नई धुरी
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विकास की बात--
दर्जनों गांवों की बदली तस्वीर, रोज़गार और कारोबार को मिली रफ्तार
आदेश शर्मा
पुरुवाला (सिरमौर)। बांगरण और एनएच 07 के बीच करीब पांच करोड़ की लागत से 8.655 किलोमीटर लंबी और 5 से 7 मीटर चोड़ी पीएमजीएसवाई मध्य सड़क गोंदपुर–करतारपुर–बांगरन की टारिंग का काम अंतिम चरण में है। मध्य मार्ग तैयार होने से दर्जनों गांवों को लाभ मिलना शुरू हो गया है।
इससे सबसे अधिक राहत स्कूल जाने वाले बच्चों, रोज़गार–नौकरी करने वालों, मजदूरों तथा किसान-बागवानों को मिली है, जो अब समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं। ग्रामीण सुनील चौधरी, हरजीत, ओमन चौधरी, बलबीर चौधरी, हरदेव सिंह, हरीश, संजय ने कहा कि गोंदपुर, अमरकोट, निहालगढ़, अजौली, करतारपुर, नारीवाला, किशनकोट, मुग़लांवाला, सालघाटी, फूलपुर, शमशेरगढ़ और बांगरण सहित कई गांवों के लोगों की किस्मत चमकने लगी है। वर्षों पुरानी सड़क सुविधा की मांग के इंतजार में बैठे ग्रामीणों को अब घर–आंगन से ही यातायात की सुविधा मिलने लगी है।
सड़क बनने से इन गांवों की दूरी अब कई किलोमीटरों में घट गई है। सड़क सुविधा का सबसे बड़ा असर महिलाओं में देखा जा रहा है। कई महिलाओं ने घर के बाहर छोटी दुकानें, सब्ज़ी टेबल, दूध बिक्री केंद्र शुरू कर दिए हैं। ताजी सब्जियां, हरा धनिया, मूली, अदरक, गाय-बकरी का दूध अब सीधे ग्रामीणों के घरों से शहर तक पहुंच रहा है। इतना ही नहीं, शिमला के बागवान भी यहां से बकरी के गोबर की खाद बोरी-दर-बोरी खरीद कर ले जा रहे हैं।
सड़क बनने से पहले ग्रामीण अपने क्षेत्र को पिछड़ा मानते थे और विकास के लिए दूसरे इलाकों पर निर्भर थे लेकिन सड़क पहुंचते ही परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। किसी ने अपना उद्योग खड़ा किया, किसी ने निजी स्कूल शुरू किया, तो कई युवाओं ने गाय, बकरी पालन और मशरूम फार्म शुरू कर दिए हैं। जो लोग रोजगार की तलाश में बाहर भटकते थे, वे अब गांव में ही अपने व्यवसाय खोलकर दूसरों को नौकरी दे रहे हैं।
गांवों में हरा चारा, किराना की दुकानें, दूध और सब्जी बिक्री जैसे कई नए आय स्रोत बनने लगे हैं। विकास की संभावनाओं के नए रास्ते खुल रहे हैं। सड़क निर्माण के बाद ग्रामीणों की जमीनों की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कई घर, दुकानें और प्लॉट अब लीज और किराए पर चढ़ने लगे हैं।
जगदीश चौधरी, ओमप्रकाश, रामनाथ, कर्मसिंह पूर्व प्रधान, देवेंद्र चौधरी आदि ग्रामीणों में सड़क निर्माण को लेकर जबरदस्त उत्साह है। उनका कहना है कि सड़कें विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर सामान और लोगों के आवागमन को सुगम बनाती हैं, जिससे व्यापार और विकास को बढ़ावा मिलता है। यह कनेक्शन नदी की तरह ही जीवनदायिनी होता है। सड़क ने न केवल दूरी घटाई है, बल्कि गांवों को शहरों की तरह तरक्की की राह पर भी ला खड़ा किया है।
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता रामभज तोमर ने बताया कि बांगरन और एनएच 07 के बीच करीब पांच करोड़ की लागत से 8.655 किलोमीटर लंबे और 5 से 7 मीटर चौड़े मध्य मार्ग गोंदपुर–करतारपुर–बांगरन की टारिंग की जा रही है। मध्य मार्ग तैयार होने से दर्जनों गांवों को लाभ मिलना शुरू हो गया है।
......संवाद
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दर्जनों गांवों की बदली तस्वीर, रोज़गार और कारोबार को मिली रफ्तार
आदेश शर्मा
पुरुवाला (सिरमौर)। बांगरण और एनएच 07 के बीच करीब पांच करोड़ की लागत से 8.655 किलोमीटर लंबी और 5 से 7 मीटर चोड़ी पीएमजीएसवाई मध्य सड़क गोंदपुर–करतारपुर–बांगरन की टारिंग का काम अंतिम चरण में है। मध्य मार्ग तैयार होने से दर्जनों गांवों को लाभ मिलना शुरू हो गया है।
इससे सबसे अधिक राहत स्कूल जाने वाले बच्चों, रोज़गार–नौकरी करने वालों, मजदूरों तथा किसान-बागवानों को मिली है, जो अब समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं। ग्रामीण सुनील चौधरी, हरजीत, ओमन चौधरी, बलबीर चौधरी, हरदेव सिंह, हरीश, संजय ने कहा कि गोंदपुर, अमरकोट, निहालगढ़, अजौली, करतारपुर, नारीवाला, किशनकोट, मुग़लांवाला, सालघाटी, फूलपुर, शमशेरगढ़ और बांगरण सहित कई गांवों के लोगों की किस्मत चमकने लगी है। वर्षों पुरानी सड़क सुविधा की मांग के इंतजार में बैठे ग्रामीणों को अब घर–आंगन से ही यातायात की सुविधा मिलने लगी है।
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सड़क बनने से इन गांवों की दूरी अब कई किलोमीटरों में घट गई है। सड़क सुविधा का सबसे बड़ा असर महिलाओं में देखा जा रहा है। कई महिलाओं ने घर के बाहर छोटी दुकानें, सब्ज़ी टेबल, दूध बिक्री केंद्र शुरू कर दिए हैं। ताजी सब्जियां, हरा धनिया, मूली, अदरक, गाय-बकरी का दूध अब सीधे ग्रामीणों के घरों से शहर तक पहुंच रहा है। इतना ही नहीं, शिमला के बागवान भी यहां से बकरी के गोबर की खाद बोरी-दर-बोरी खरीद कर ले जा रहे हैं।
सड़क बनने से पहले ग्रामीण अपने क्षेत्र को पिछड़ा मानते थे और विकास के लिए दूसरे इलाकों पर निर्भर थे लेकिन सड़क पहुंचते ही परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। किसी ने अपना उद्योग खड़ा किया, किसी ने निजी स्कूल शुरू किया, तो कई युवाओं ने गाय, बकरी पालन और मशरूम फार्म शुरू कर दिए हैं। जो लोग रोजगार की तलाश में बाहर भटकते थे, वे अब गांव में ही अपने व्यवसाय खोलकर दूसरों को नौकरी दे रहे हैं।
गांवों में हरा चारा, किराना की दुकानें, दूध और सब्जी बिक्री जैसे कई नए आय स्रोत बनने लगे हैं। विकास की संभावनाओं के नए रास्ते खुल रहे हैं। सड़क निर्माण के बाद ग्रामीणों की जमीनों की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कई घर, दुकानें और प्लॉट अब लीज और किराए पर चढ़ने लगे हैं।
जगदीश चौधरी, ओमप्रकाश, रामनाथ, कर्मसिंह पूर्व प्रधान, देवेंद्र चौधरी आदि ग्रामीणों में सड़क निर्माण को लेकर जबरदस्त उत्साह है। उनका कहना है कि सड़कें विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर सामान और लोगों के आवागमन को सुगम बनाती हैं, जिससे व्यापार और विकास को बढ़ावा मिलता है। यह कनेक्शन नदी की तरह ही जीवनदायिनी होता है। सड़क ने न केवल दूरी घटाई है, बल्कि गांवों को शहरों की तरह तरक्की की राह पर भी ला खड़ा किया है।
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता रामभज तोमर ने बताया कि बांगरन और एनएच 07 के बीच करीब पांच करोड़ की लागत से 8.655 किलोमीटर लंबे और 5 से 7 मीटर चौड़े मध्य मार्ग गोंदपुर–करतारपुर–बांगरन की टारिंग की जा रही है। मध्य मार्ग तैयार होने से दर्जनों गांवों को लाभ मिलना शुरू हो गया है।
......संवाद