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India-Bangladesh: खुला है 856 किमी लंबा 'भारत-बांग्लादेश' बॉर्डर, 11 वर्ष में 21000 घुसपैठिये गिरफ्तार
डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Tue, 23 Dec 2025 04:52 PM IST
सार
बांग्लादेश में हिंसा फिर भड़कने से भारत-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव बढ़ा है। इंकलाब मंच नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत और दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद हालात गंभीर हुए हैं। दोनों देशों के बीच वीजा सेवाएं निलंबित हैं। 856 किमी खुली सीमा घुसपैठ का बड़ा खतरा बनी हुई है। 11 वर्षों में 21 हजार से ज्यादा घुसपैठिये पकड़े गए हैं और बीएसएफ हाई अलर्ट पर है।
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बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए बांग्लादेश के हिंसक प्रदर्शनों के बाद अब एक बार फिर वहां पर हिंसा हो रही है। इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद दोनों देशों के मध्य, रिश्तों में तनाव और कड़वाहट है। बांग्लादेश में यह अफवाह फैलाई जा रही है कि जिन लोगों ने हादी को गोली मारी है, वे भारत में जाकर छिप गए हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने दीपू चंद्र दास की 'बर्बर हत्या' कर दी। दोनों मुल्कों के बीच वीजा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। भारत और बांग्लादेश के बीच अभी तक 856 किमी लंबा हिस्सा ऐसा है, जो खुला है। यानी वहां पर 'बाड़' नहीं लगी है। गत 11 वर्ष में 21000 बांग्लादेशी घुसपैठिये गिरफ्तार किए गए हैं। कई जगहों पर घरों एवं गलियों के बीच से 'सीमा' रेखा गुजरती है।
बता दें कि भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 4096.70 किलोमीटर है। इसमें से 3239.92 किलोमीटर, यानी 79.08 प्रतिशत क्षेत्र पर बाड़ लगाई गई है। इस सीमा पर 856.778 किलोमीटर क्षेत्र, मतलब 20.92 प्रतिशत, ये ऐसा इलाका है, जहां बाड़ नहीं लगी है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर 2014 से लेकर 2024 तक घुसपैठियों ने भारत में घुसने के लिए 7528 प्रयास किए हैं। इस वर्ष नवंबर तक ऐसे प्रयासों की संख्या 1104 रही है। 11 साल में घुसपैठ के कुल 8632 प्रयास किए गए। 2014 से लेकर 2024 तक बॉर्डर पार करने का प्रयास करने वाले 18851 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया है। इस वर्ष 2556 घुसपैठिये गिरफ्तार किए गए। ऐसे में पिछले 11 वर्षों के दौरान 21407 घुसपैठियों को पकड़ा गया है।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ के प्रयास ...
साल घुसपैठ के प्रयास गिरफ्तार
2014 855 2160
2015 874 2809
2016 654 1601
2017 456 907
2018 420 884
2019 500 1109
2020 486 955
2021 703 1208
2022 857 2076
2023 746 2617
2024 977 2525
2025 में घुसपैठ के प्रयास गिरफ्तार
जनवरी 84 190
फरवरी 80 167
मार्च 110 243
अप्रैल 95 185
मई 54 110
जून 89 194
जुलाई 127 242
अगस्त 102 209
सितंबर 127 330
अक्तूबर 125 380
नवंबर 111 306
भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट ...
बांग्लादेश से लगती भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है। सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' पूरी तरह चौकस एवं सतर्क है। भारत और बांग्लादेश सीमा का कुछ हिस्सा ऐसा है, जहां अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) मकानों, गलियों, खेतों और तालाबों से गुजरती है। मकान एक है, मगर उसका कमरा भारत में है तो किचन बांग्लादेश में है। सोने का कमरा बांग्लादेश में तो पशुओं का बाड़ा हिन्दुस्तान में है। अब यहां पर घुसपैठ की प्रबल संभावना बन गई है। बीएसएफ ने अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा के ऐसे क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है।
बॉर्डर पर एक कमरा भारत में, दूसरा बांग्लादेश में ...
सीमा पर एक ही मकान और एक ही गली में भारत-बांग्लादेश, ये दोनों देश मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) घरों और गलियों में से होकर गुजरती है। किसी घर का एक कमरा भारत में है तो दूसरा कमरा बांग्लादेश की सीमा में स्थित है। घर का एक दरवाजा भारत में खुल रहा है तो दूसरा दरवाजा बांग्लादेश में खुलता है। आईबी पर एक जगह तो ऐसी है, जहां मात्र तीन फुट की गली के बीचोंबीच से आईबी रेखा गुजर रही है। ऐसे में जब कोई आदमी उस गली में चलता है तो उसका एक पांव भारत में टिकता है और दूसरा पांव बांग्लादेश में होता है। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि बीएसएफ को इतने सघन बॉर्डर पर चौकसी करने में कितना पसीना बहाना पड़ता होगा।
जिगजैग आकार में खींची गई सीमा रेखा ...
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थित गांव हरिपुकुर में उक्त स्थिति देखी जा सकती है। यह गांव बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में पड़ता है। सीमा रेखा के दूसरी ओर पश्चिम बंगाल का दक्षिण दिनाजपुर जिला है। इस गांव में एक तालाब भी है। हालांकि सीमा रेखा के मुताबिक, वह भारत में है, लेकिन उसका इस्तेमाल दोनों देशों के लोग कर लेते हैं। इस गांव में अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा जिगजैग आकार में खींची गई है। तालाब के किनारे से होते हुए जब गांव में प्रवेश करते हैं तो एक गली आती है। इस गली की चौड़ाई मुश्किल से दो-तीन फुट है। गली के एक तरफ भारत है तो दूसरी ओर बांग्लादेश है। जब भी कोई व्यक्ति इस गली से गुजरता है तो वह एक साथ भारत-बांग्लादेश में चल रहा होता है।
यूं लांघी जाती है दस इंच चौड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा ...
यहां पर जो मकान बने हैं, वे भी आधे भारत में हैं और आधे बांग्लादेश में हैं। गांव में एक मस्जिद है, जिसका आधा-आधा हिस्सा दोनों देशों में है। लोग ऐसे घरों में जाते हैं और गली में भी चलते हैं, जो दोनों देशों में स्थित हैं। जब बीएसएफ या बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवान गश्त पर आते हैं तो वे लोग सावधान हो जाते हैं। गांव में खेत-खलिहान या पशुओ के बाड़े भी एक साथ बने हैं। खेतों में जब पानी दिया जाता है तो वह दस इंच चौड़ी आईबी को लांघ कर एक-दूसरे की सीमा में चला जाता है। पश्चिम बंगाल के लोग जब यहां खेती करने आते हैं तो वे बांग्लादेश के लोगों से बातचीत करते हैं। वे एक साथ बैठते हैं। फसल कटती है तो वह कभी भारत की सीमा में गिरती है तो कभी बांग्लादेश में। गांव के पशु सीमा पार जाकर एक-दूसरे देश के खेतों में चरते रहते हैं। उन्हें लाना होता है तो सीमा भी लांघनी पड़ती है। अगर कोई बीमार है या किसी के साथ कोई हादसा हो गया है तो उस वक्त गली के बीच से गुजर रही सीमा रेखा को नहीं देखा जाता।
सघन आबादी के बीच हर पल नजर रखना मुश्किल ...
सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ जवान समय-समय पर यहां गश्त करते रहते हैं।चूंकि बॉर्डर इतनी सघन आबादी के बीच है कि वहां हर समय नजर रखना संभव नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए आप मस्जिद को ही ले लें। यहां पर नमाज पढ़ने के लिए दोनों देशों के लोग आते हैं। मस्जिद का ढांचा भी दोनों देशों में बंटा है। सप्ताह में बीएसएफ के जवान कई बार ग्रामीणों के साथ बैठते हैं। दरअसल, ये ग्रामीण ही इंटेलीजेंस का बड़ा स्त्रोत हैं। जब भी कोई संदिग्ध व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है या आसपास नजर आता है तो वे लोग बीएसएफ को बता देते हैं। कोई व्यक्ति संदिग्ध उपकरण या सामग्री लेकर गांव में आया है तो देर-सवेर वह जानकारी भी बीएसएफ तक पहुंच जाती है। बीएसएफ संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देती है। रॉ और खुफिया एजेंसी का नेटवर्क भी इन इलाकों में रहता है।
सामान को गली के पार फेंक देते हैं ...
इस हिस्से की चौकसी करना उतना आसान भी नहीं है। अगर कोई तस्कर आगे भाग रहा है और उसके पीछे बीएसएफ है तो वह गली के किसी भी उस मकान में घुस जाता है जो बांग्लादेश की सीमा में पड़ता है। इसके बाद बीएसएफ जवान, इंतजार या चेतावनी देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। गांव के अनेक ऐसे घर हैं, जिनका आगे का दरवाजा भारत में खुलता है तो पीछे का बांग्लादेश में। कई अवसरों पर तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं। जैसे ही उन्हें भनक लगती है कि पुलिस या बीएसएफ वाले आ रहे हैं तो वे संदिग्ध वस्तु या सामान को गली के पार फेंक देते हैं। यानी वह वस्तु अब सीमा के पार चली गई है। बीएसएफ जवान संदिग्ध गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखते हैं। अगर हमारे पास इंटेलीजेंस से कोई ऐसी सूचना आई है कि बांग्लादेश की सीमा में गलत हरकत हो रही है या तस्कर कोई संदिग्ध वस्तु लाएं हैं तो बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को सूचित किया जाता है।
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बता दें कि भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 4096.70 किलोमीटर है। इसमें से 3239.92 किलोमीटर, यानी 79.08 प्रतिशत क्षेत्र पर बाड़ लगाई गई है। इस सीमा पर 856.778 किलोमीटर क्षेत्र, मतलब 20.92 प्रतिशत, ये ऐसा इलाका है, जहां बाड़ नहीं लगी है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर 2014 से लेकर 2024 तक घुसपैठियों ने भारत में घुसने के लिए 7528 प्रयास किए हैं। इस वर्ष नवंबर तक ऐसे प्रयासों की संख्या 1104 रही है। 11 साल में घुसपैठ के कुल 8632 प्रयास किए गए। 2014 से लेकर 2024 तक बॉर्डर पार करने का प्रयास करने वाले 18851 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया है। इस वर्ष 2556 घुसपैठिये गिरफ्तार किए गए। ऐसे में पिछले 11 वर्षों के दौरान 21407 घुसपैठियों को पकड़ा गया है।
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भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ के प्रयास ...
साल घुसपैठ के प्रयास गिरफ्तार
2014 855 2160
2015 874 2809
2016 654 1601
2017 456 907
2018 420 884
2019 500 1109
2020 486 955
2021 703 1208
2022 857 2076
2023 746 2617
2024 977 2525
2025 में घुसपैठ के प्रयास गिरफ्तार
जनवरी 84 190
फरवरी 80 167
मार्च 110 243
अप्रैल 95 185
मई 54 110
जून 89 194
जुलाई 127 242
अगस्त 102 209
सितंबर 127 330
अक्तूबर 125 380
नवंबर 111 306
भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट ...
बांग्लादेश से लगती भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है। सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' पूरी तरह चौकस एवं सतर्क है। भारत और बांग्लादेश सीमा का कुछ हिस्सा ऐसा है, जहां अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) मकानों, गलियों, खेतों और तालाबों से गुजरती है। मकान एक है, मगर उसका कमरा भारत में है तो किचन बांग्लादेश में है। सोने का कमरा बांग्लादेश में तो पशुओं का बाड़ा हिन्दुस्तान में है। अब यहां पर घुसपैठ की प्रबल संभावना बन गई है। बीएसएफ ने अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा के ऐसे क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है।
बॉर्डर पर एक कमरा भारत में, दूसरा बांग्लादेश में ...
सीमा पर एक ही मकान और एक ही गली में भारत-बांग्लादेश, ये दोनों देश मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) घरों और गलियों में से होकर गुजरती है। किसी घर का एक कमरा भारत में है तो दूसरा कमरा बांग्लादेश की सीमा में स्थित है। घर का एक दरवाजा भारत में खुल रहा है तो दूसरा दरवाजा बांग्लादेश में खुलता है। आईबी पर एक जगह तो ऐसी है, जहां मात्र तीन फुट की गली के बीचोंबीच से आईबी रेखा गुजर रही है। ऐसे में जब कोई आदमी उस गली में चलता है तो उसका एक पांव भारत में टिकता है और दूसरा पांव बांग्लादेश में होता है। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि बीएसएफ को इतने सघन बॉर्डर पर चौकसी करने में कितना पसीना बहाना पड़ता होगा।
जिगजैग आकार में खींची गई सीमा रेखा ...
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थित गांव हरिपुकुर में उक्त स्थिति देखी जा सकती है। यह गांव बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में पड़ता है। सीमा रेखा के दूसरी ओर पश्चिम बंगाल का दक्षिण दिनाजपुर जिला है। इस गांव में एक तालाब भी है। हालांकि सीमा रेखा के मुताबिक, वह भारत में है, लेकिन उसका इस्तेमाल दोनों देशों के लोग कर लेते हैं। इस गांव में अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा जिगजैग आकार में खींची गई है। तालाब के किनारे से होते हुए जब गांव में प्रवेश करते हैं तो एक गली आती है। इस गली की चौड़ाई मुश्किल से दो-तीन फुट है। गली के एक तरफ भारत है तो दूसरी ओर बांग्लादेश है। जब भी कोई व्यक्ति इस गली से गुजरता है तो वह एक साथ भारत-बांग्लादेश में चल रहा होता है।
यूं लांघी जाती है दस इंच चौड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा ...
यहां पर जो मकान बने हैं, वे भी आधे भारत में हैं और आधे बांग्लादेश में हैं। गांव में एक मस्जिद है, जिसका आधा-आधा हिस्सा दोनों देशों में है। लोग ऐसे घरों में जाते हैं और गली में भी चलते हैं, जो दोनों देशों में स्थित हैं। जब बीएसएफ या बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवान गश्त पर आते हैं तो वे लोग सावधान हो जाते हैं। गांव में खेत-खलिहान या पशुओ के बाड़े भी एक साथ बने हैं। खेतों में जब पानी दिया जाता है तो वह दस इंच चौड़ी आईबी को लांघ कर एक-दूसरे की सीमा में चला जाता है। पश्चिम बंगाल के लोग जब यहां खेती करने आते हैं तो वे बांग्लादेश के लोगों से बातचीत करते हैं। वे एक साथ बैठते हैं। फसल कटती है तो वह कभी भारत की सीमा में गिरती है तो कभी बांग्लादेश में। गांव के पशु सीमा पार जाकर एक-दूसरे देश के खेतों में चरते रहते हैं। उन्हें लाना होता है तो सीमा भी लांघनी पड़ती है। अगर कोई बीमार है या किसी के साथ कोई हादसा हो गया है तो उस वक्त गली के बीच से गुजर रही सीमा रेखा को नहीं देखा जाता।
सघन आबादी के बीच हर पल नजर रखना मुश्किल ...
सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ जवान समय-समय पर यहां गश्त करते रहते हैं।चूंकि बॉर्डर इतनी सघन आबादी के बीच है कि वहां हर समय नजर रखना संभव नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए आप मस्जिद को ही ले लें। यहां पर नमाज पढ़ने के लिए दोनों देशों के लोग आते हैं। मस्जिद का ढांचा भी दोनों देशों में बंटा है। सप्ताह में बीएसएफ के जवान कई बार ग्रामीणों के साथ बैठते हैं। दरअसल, ये ग्रामीण ही इंटेलीजेंस का बड़ा स्त्रोत हैं। जब भी कोई संदिग्ध व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है या आसपास नजर आता है तो वे लोग बीएसएफ को बता देते हैं। कोई व्यक्ति संदिग्ध उपकरण या सामग्री लेकर गांव में आया है तो देर-सवेर वह जानकारी भी बीएसएफ तक पहुंच जाती है। बीएसएफ संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देती है। रॉ और खुफिया एजेंसी का नेटवर्क भी इन इलाकों में रहता है।
सामान को गली के पार फेंक देते हैं ...
इस हिस्से की चौकसी करना उतना आसान भी नहीं है। अगर कोई तस्कर आगे भाग रहा है और उसके पीछे बीएसएफ है तो वह गली के किसी भी उस मकान में घुस जाता है जो बांग्लादेश की सीमा में पड़ता है। इसके बाद बीएसएफ जवान, इंतजार या चेतावनी देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। गांव के अनेक ऐसे घर हैं, जिनका आगे का दरवाजा भारत में खुलता है तो पीछे का बांग्लादेश में। कई अवसरों पर तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं। जैसे ही उन्हें भनक लगती है कि पुलिस या बीएसएफ वाले आ रहे हैं तो वे संदिग्ध वस्तु या सामान को गली के पार फेंक देते हैं। यानी वह वस्तु अब सीमा के पार चली गई है। बीएसएफ जवान संदिग्ध गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखते हैं। अगर हमारे पास इंटेलीजेंस से कोई ऐसी सूचना आई है कि बांग्लादेश की सीमा में गलत हरकत हो रही है या तस्कर कोई संदिग्ध वस्तु लाएं हैं तो बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को सूचित किया जाता है।
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