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Agriculture: 'देश की 30 फीसदी खेती की जमीन पर मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही', कृषि मंत्री ने जताई चिंता
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 19 Nov 2024 03:10 PM IST
सार
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'भुखमरी को समाप्त करने, जलवायु कार्रवाई तथा भूमि पर जीवन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए मृदा की गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है।'
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शिवराज सिंह चौहान
- फोटो : PTI
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विस्तार
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में मिट्टी की खराब होती उर्वरता पर चिंता व्यक्त की। कृषि मंत्री ने कहा कि इससे देश की 30 प्रतिशत भूमि प्रभावित हो रही है। उन्होंने टिकाऊ खेती के लिए मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने की तत्काल जरूरत पर बल दिया। मिट्टी की गुणवत्ता पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'भुखमरी को समाप्त करने, जलवायु कार्रवाई तथा भूमि पर जीवन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए मृदा की गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है।'
केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- सफलता अपने साथ चिंताएं भी लेकर आई है
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, 'हम हर साल 33 करोड़ से अधिक खाद्यान्नों का उत्पादन कर रहे हैं और 50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहे हैं, लेकिन, यह सफलता अपने साथ चिंताएं भी लेकर आई है, खासकर मिट्टी की गुणवत्ता के मामले में।' चौहान ने बताया कि 'भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि की गुणवत्ता बढ़ती उर्वरक खपत, उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और गलत मृदा प्रबंधन के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रही है।'
उन्होंने सरकार द्वारा मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा गुणवत्ता कार्ड बांटे गए हैं और सूक्ष्म सिंचाई, जैविक व प्राकृतिक कृषि खेती को बढ़ावा दिया गया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है, खासकर बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों को देखते हुए।
पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने की अपील
चौहान ने कहा कि जल्द ही आधुनिक कृषि पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। कार्यक्रम में मौजूद रहे नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ब्राजील तथा अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में संरक्षित कृषि व जुताई रहित विधियों के सफल कार्यान्वयन के बावजूद भारत और दक्षिण एशिया में इन्हें बड़े पैमाने पर न अपनाए जाने पर निराशा जाहिर की। चंद ने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियां प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इन पहलों का दायरा सीमित है।
उन्होंने भारतीय मृदा वैज्ञानिक सोसायटी (आईएसएसएस) से बड़े पैमाने पर इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की। सम्मेलन में आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक, पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष त्रिलोचन महापात्रा और आईएसएसएस के अध्यक्ष एच पाठक भी उपस्थित थे।
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केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- सफलता अपने साथ चिंताएं भी लेकर आई है
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, 'हम हर साल 33 करोड़ से अधिक खाद्यान्नों का उत्पादन कर रहे हैं और 50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहे हैं, लेकिन, यह सफलता अपने साथ चिंताएं भी लेकर आई है, खासकर मिट्टी की गुणवत्ता के मामले में।' चौहान ने बताया कि 'भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि की गुणवत्ता बढ़ती उर्वरक खपत, उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और गलत मृदा प्रबंधन के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रही है।'
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उन्होंने सरकार द्वारा मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा गुणवत्ता कार्ड बांटे गए हैं और सूक्ष्म सिंचाई, जैविक व प्राकृतिक कृषि खेती को बढ़ावा दिया गया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है, खासकर बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों को देखते हुए।
पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने की अपील
चौहान ने कहा कि जल्द ही आधुनिक कृषि पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। कार्यक्रम में मौजूद रहे नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ब्राजील तथा अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में संरक्षित कृषि व जुताई रहित विधियों के सफल कार्यान्वयन के बावजूद भारत और दक्षिण एशिया में इन्हें बड़े पैमाने पर न अपनाए जाने पर निराशा जाहिर की। चंद ने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियां प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इन पहलों का दायरा सीमित है।
उन्होंने भारतीय मृदा वैज्ञानिक सोसायटी (आईएसएसएस) से बड़े पैमाने पर इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की। सम्मेलन में आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक, पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष त्रिलोचन महापात्रा और आईएसएसएस के अध्यक्ष एच पाठक भी उपस्थित थे।