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अहमदाबाद विमान हादसा: पीड़ित परिवारों के वकील ने एअर इंडिया पर उठाए गंभीर सवाल, कहा- सच सबके सामने आना चाहिए
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 10 Aug 2025 10:57 PM IST
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सार
अहमदाबाद विमान हादसे में 65 से अधिक पीड़ित परिवारों के वकील माइक एंड्रयूज ने एयर इंडिया और बोइंग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने थ्रॉटल कंट्रोल सिस्टम की खराबी, नमी के असर और डिजाइन खामियों पर जांच की मांग की।

अहमदाबाद विमान हादसे में 65 से अधिक पीड़ित परिवारों के वकील माइक एंड्रयूज
- फोटो : X-@ANI
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विस्तार
अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए 65 से अधिक यात्रियों के परिजनों का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रमुख वकील माइक एंड्रयूज ने एअर इंडिया और विमान निर्माता कंपनी बोइंग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को सच और पूरी पारदर्शिता का हक है। यह परिवार यह जानना चाहते हैं कि उनके प्रियजनों के साथ क्या हुआ और हादसे की असली वजह क्या थी। एंड्रयूज ने हादसे के एकमात्र जीवित बचे यात्री और उनके परिवार से भी मुलाकात की और उन्हें मेहनती व साधारण परिवार बताते हुए इस त्रासदी को बेहद दर्दनाक बताया।
एंड्रयूज ने कहा कि उनकी टीम थ्रॉटल कंट्रोल सिस्टम में आई संभावित खराबी के कई कारणों की जांच कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या नमी ने इस सिस्टम को प्रभावित किया और खराबी पैदा की? साथ ही यह भी पूछा कि क्या बोइंग ने पहले कभी इस तरह की समस्या को लेकर कोई नोटिस जारी किया था? उनका मानना है कि इन तकनीकी सवालों के जवाब मिलना जरूरी है, ताकि न केवल पीड़ितों को न्याय मिले, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
जांच में आने वाली कानूनी चुनौतियां
वकील ने कहा कि विमान हादसों से जुड़े मामलों में उत्पाद की जिम्मेदारी साबित करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। सबसे पहले यह तय करना पड़ता है कि हादसा कैसे हुआ। फिर जांच करनी होती है कि क्या डिजाइन में खामी थी, मैन्युफैक्चरिंग में गलती हुई थी या रखरखाव में कमी रही थी। कई बार इन कारणों का मिश्रण भी हादसे की वजह बनता है। उन्होंने कहा कि यह पजल की तरह है, जिसमें हर टुकड़ा सही जगह फिट करना जरूरी है।
ये भी पढ़ें- खराब मौसम ने फिर बनी बचाव में बाधा, अब तक 1273 लोगों का हुआ रेस्क्यू; अब झील ने बढ़ाई चिंता
पायलट बनाम कंप्यूटर की भूमिका
एंड्रयूज ने यह भी सवाल उठाया कि हादसे के समय गलत इनपुट किसने दिया। पायलट ने या विमान के कंप्यूटर सिस्टम ने? उन्होंने कहा कि यह एक जटिल, इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर-ऑपरेटेड विमान है, जिसमें कई तरह के तकनीकी सिस्टम होते हैं। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी वैकल्पिक डिज़ाइन से यह हादसा रोका जा सकता था या चोटें कम हो सकती थीं।
ये भी पढ़ें- अरब सागर में भारतीय नौसेना करेगी युद्धाभ्यास, पाकिस्तान ने भी ड्रिल का जारी किया नोटम
भविष्य के लिए सीख
वकील ने साफ कहा कि इस हादसे से सीख लेकर विमान डिजाइन और सुरक्षा प्रणालियों में सुधार करना होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी और हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी। पीड़ित परिवार केवल मुआवजा नहीं चाहते, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस तरह की त्रासदी फिर कभी न हो।

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एंड्रयूज ने कहा कि उनकी टीम थ्रॉटल कंट्रोल सिस्टम में आई संभावित खराबी के कई कारणों की जांच कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या नमी ने इस सिस्टम को प्रभावित किया और खराबी पैदा की? साथ ही यह भी पूछा कि क्या बोइंग ने पहले कभी इस तरह की समस्या को लेकर कोई नोटिस जारी किया था? उनका मानना है कि इन तकनीकी सवालों के जवाब मिलना जरूरी है, ताकि न केवल पीड़ितों को न्याय मिले, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
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जांच में आने वाली कानूनी चुनौतियां
वकील ने कहा कि विमान हादसों से जुड़े मामलों में उत्पाद की जिम्मेदारी साबित करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। सबसे पहले यह तय करना पड़ता है कि हादसा कैसे हुआ। फिर जांच करनी होती है कि क्या डिजाइन में खामी थी, मैन्युफैक्चरिंग में गलती हुई थी या रखरखाव में कमी रही थी। कई बार इन कारणों का मिश्रण भी हादसे की वजह बनता है। उन्होंने कहा कि यह पजल की तरह है, जिसमें हर टुकड़ा सही जगह फिट करना जरूरी है।
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पायलट बनाम कंप्यूटर की भूमिका
एंड्रयूज ने यह भी सवाल उठाया कि हादसे के समय गलत इनपुट किसने दिया। पायलट ने या विमान के कंप्यूटर सिस्टम ने? उन्होंने कहा कि यह एक जटिल, इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर-ऑपरेटेड विमान है, जिसमें कई तरह के तकनीकी सिस्टम होते हैं। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी वैकल्पिक डिज़ाइन से यह हादसा रोका जा सकता था या चोटें कम हो सकती थीं।
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भविष्य के लिए सीख
वकील ने साफ कहा कि इस हादसे से सीख लेकर विमान डिजाइन और सुरक्षा प्रणालियों में सुधार करना होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी और हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी। पीड़ित परिवार केवल मुआवजा नहीं चाहते, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस तरह की त्रासदी फिर कभी न हो।