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Madras High Court: टीवीके नेता आधव अर्जुन के खिलाफ FIR रद्द, सोशल मीडिया पोस्ट से उपजा था विवाद; जानिए मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 21 Nov 2025 03:19 PM IST
सार
TVK leader Aadhav Arjuna: मद्रास हाईकोर्ट ने टीवीके नेता आधव अर्जुन के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दिया था। विवाद बढ़ने पर पोस्ट हटा दिया गया था। अदालत ने मामले की सुनवाई में एफआईआर को सही आधार न मिलने पर इसे खारिज कर दिया।
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मद्रास हाईकोर्ट
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु पुलिस द्वारा टीवीके नेता आधव अर्जुन के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया। यह एफआईआर 29 अक्तूबर को किए गए एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज हुई थी। इसमें कथित तौर पर राज्य सरकार के खिलाफ नेपाल जैसी विद्रोह जैसी कार्रवाई के लिए कहा था। पोस्ट के सामने आते ही व्यापक आलोचना हुई और बाद में इसे डिलीट कर दिया गया।
तमिलनाडु पुलिस ने इस आधार पर अर्जुन के खिलाफ मामला दर्ज किया कि पोस्ट से हिंसा भड़क सकती थी और यह कानून-व्यवस्था के लिए खतरा था। जस्टिस जगदीश चंद्रा की बेंच ने अर्जुन की याचिका पर सुनवाई करते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया। याचिका में कहा गया था कि पोस्ट को गलत तरीके से समझा गया और इसका उद्देश्य हिंसा भड़काना नहीं था।
अदालत ने माना एफआईआर उचित नहीं
अदालत ने माना कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर को जारी रखना उचित नहीं है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आने वाला मामला है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट को आपराधिक इरादे से जोड़ने के लिए ठोस सामग्री होनी चाहिए, जो इस मामले में नहीं पाई गई। इसके साथ ही इस मामले पर चल रही सभी कानूनी कार्यवाहियां समाप्त हो गईं।
खबर अपडेट की जा रही है...
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तमिलनाडु पुलिस ने इस आधार पर अर्जुन के खिलाफ मामला दर्ज किया कि पोस्ट से हिंसा भड़क सकती थी और यह कानून-व्यवस्था के लिए खतरा था। जस्टिस जगदीश चंद्रा की बेंच ने अर्जुन की याचिका पर सुनवाई करते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया। याचिका में कहा गया था कि पोस्ट को गलत तरीके से समझा गया और इसका उद्देश्य हिंसा भड़काना नहीं था।
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अदालत ने माना एफआईआर उचित नहीं
अदालत ने माना कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर को जारी रखना उचित नहीं है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आने वाला मामला है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट को आपराधिक इरादे से जोड़ने के लिए ठोस सामग्री होनी चाहिए, जो इस मामले में नहीं पाई गई। इसके साथ ही इस मामले पर चल रही सभी कानूनी कार्यवाहियां समाप्त हो गईं।
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