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Sukhoi Su-30: आर्मेनिया ने अपने सुखोई बेड़े को अपग्रेड करने के लिए भारत से मांगी मदद, मांगी यह खास मिसाइल
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 14 Sep 2024 09:12 PM IST
सार
आर्मेनिया ने रूस में बने सुखोई-30एसएम फाइटर जेट के अपने छोटे से बेड़े को अपग्रेड करने के लिए भारत से मदद मांगी है। बता दें कि सोवियत संघ का पतन होने के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दो बार युद्ध हो चुका है और दोनों के बीच अभी भी गतिरोध बरकरार है।
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आर्मेनिया ने भारत से मांगी मदद
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आर्मेनिया भारत के लिए हथियारों का बड़ा बाजार बन रहा है। भारत ने पहले ही आर्मेनिया के साथ पिनाका रॉकेट्स, आकाश मिसाइल और मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर समेत अन्य हथियारों की आपूर्ति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वहीं अब आर्मेनिया ने रूस में बने सुखोई-30एसएम फाइटर जेट के अपने छोटे से बेड़े को अपग्रेड करने के लिए भारत से मदद मांगी है। बता दें कि सोवियत संघ का पतन होने के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दो बार युद्ध हो चुका है और दोनों के बीच अभी भी गतिरोध बरकरार है।
आर्मेनिया अपने सुखोई-30 को एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण और हथियारों से अपग्रेड करना चाहता है। इसकी वजह है कि 2019 में रूस से खरीदे गए चार सुखोई-30 विमान अजरबैजान के साथ 2020 में हुए नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में हिस्सा नहीं ले पाए थे, क्योंकि उनमें एयर-टू-एयर गाइडेड मिसाइलें नहीं थीं। इसलिए वह भारत से बियोंड द विजुअल रेंज एस्ट्रा एमके-1 एयर-टू-एयर मिसाइलें खरीद कर सुखोई-30 में लगाना चाहता है। मामले से जुड़े सेना सूत्रों का कहना है कि आर्मेनिया ने भारत से रॉकेट सिस्टम, आर्टिलरी गन और हथियारों का पता लगाने वाले रडार का ऑर्डर दिया है।
आर्मेनिया ने क्या-क्या मांगी मदद?
आर्मेनिया के खरीदे गए चारों सुखोई-30 को "सफेद हाथी" के नाम से जाना जाता है। क्योंकि नागोर्नो-काराबाख युद्ध में उनका कोई इस्तेमाल नहीं हो पाया था। वहीं अजरबैजान ने ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस हथियार खरीदे, जिन्होंने आर्मेनिया के कई एयर डिफेंस एसेट्स को निशाना बनाया और आर्मेनियाई सेना के ऑर्मर्ड कॉलम को नष्ट किया। सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया के सुखोई-30 और भारत के सुखोई-30एमकेआई से अलग हैं। एस्ट्रा मिसाइलें उनमें लगाई जा सकती हैं या नहीं, यह हमें देखना होगा। सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया ने सुखोई-30 विमानों का मेंटेनेंस और इसके पायलटों की ट्रेनिंग को लेकर भी मदद मांगी है।
यूक्रेन संघर्ष के बाद आर्मेनिया से दूर हुआ रूस
सूत्रों ने बताया कि रूस शुरुआत में तो आर्मेनिया के साथ खड़ा था, लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद वह अजरबैजान के नजदीक हो गया, क्योंकि मॉस्को को तुर्की का साथ चाहिए था। वहीं आर्मेनिया अब भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है। क्योंकि अब अजरबैजान, तुर्की और पाकिस्तानी हथियारों की मदद से आर्मेनिया को धमका रहा है, जिसके चलते आर्मेनिया बड़े पैमाने पर भारत हथियार खरीद रहा है। अजरबैजान से संघर्ष के बाद से आर्मेनिया भारत से तोपों के अलावा कुछ मिसाइलें, मोर्टार, रडार, छोटे हथियार और साइट सिस्टम की खरीद भी की है। कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड आर्मेनिया को 155 मिमी वाली आर्टिलरी गन की सप्लाई करेगीइससे पहले आर्मेनिया ने भारत से पिनाका रॉकेट सिस्टम खरीदने का फैसला किया था।
भारतीय वायुसेना के पास 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा
सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया का सुखोई-30 को अपग्रेड करने के लिए भारत से संपर्क साधना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास पहले से 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा है। इनमें से पहले 50 सुखोई रूस से आए थे, जबकि बाकी को एचएएल ने टो-ओ-टी लाइसेंस के तहत देश में ही बनाया था। वहीं भारत भी अपने सुखोई को अपग्रेड करने की योजना पर काम कर रहा है, जिसे तहत सुखोई के अपग्रेडेशन प्रोसेस में एवियोनिक्स, रडार और मिशन कंप्यूटर को लगाया जाएगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 84 सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमानों की पहली खेप को अपग्रेड करने की मंजूरी मिल गई है। सुखोई के अपग्रेड की लागत प्रति जहाज लगभग 130-140 करोड़ रुपये के आसपास होगी। एचएएल अपनी नासिक फैसिलिटी में इन लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करेगा। एचएएल का नासिक डिवीजन पहले ही सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों की ओवरहालिंग कर चुका है। इस अपग्रेडेशन प्रोसेस से सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट्स की लाइफ बढ़ जाएगी, और ये 2055 तक काम करते रहेंगे। वहीं इन अपग्रेड्स के डेवलपमेंट, टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन में मंजूरी की तारीख से सात साल तक का वक्त लग सकता है, जबकि सभी 84 जेटों के अपग्रेड्स के पूरा होने में आठ साल और लग सकते हैं।
दुनिया में बढ़ेगा HAL का रुतबा
वहीं इन अपग्रेड्स से पूरी दुनिया में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का रुतबा भी बढ़ेगा। इससे एचएएल के लिए नया बाजार भी बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद सुखोई जेट के अपग्रेडेशन, साथ मिल कर बनाने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए रूस ने सहमति दे दी है। दुनिया भर में 600 से ज़्यादा सुखोई 27/30 फाइटर जेट बनाए जा चुके हैं। वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और अल्जीरिया जैसे देशों के पास सुखोई फाइटर जेट्स हैं। वहीं सुखोई में इन अपग्रेडेशन से ये देश भी भारत का रुख करेंगे।
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आर्मेनिया अपने सुखोई-30 को एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण और हथियारों से अपग्रेड करना चाहता है। इसकी वजह है कि 2019 में रूस से खरीदे गए चार सुखोई-30 विमान अजरबैजान के साथ 2020 में हुए नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में हिस्सा नहीं ले पाए थे, क्योंकि उनमें एयर-टू-एयर गाइडेड मिसाइलें नहीं थीं। इसलिए वह भारत से बियोंड द विजुअल रेंज एस्ट्रा एमके-1 एयर-टू-एयर मिसाइलें खरीद कर सुखोई-30 में लगाना चाहता है। मामले से जुड़े सेना सूत्रों का कहना है कि आर्मेनिया ने भारत से रॉकेट सिस्टम, आर्टिलरी गन और हथियारों का पता लगाने वाले रडार का ऑर्डर दिया है।
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आर्मेनिया ने क्या-क्या मांगी मदद?
आर्मेनिया के खरीदे गए चारों सुखोई-30 को "सफेद हाथी" के नाम से जाना जाता है। क्योंकि नागोर्नो-काराबाख युद्ध में उनका कोई इस्तेमाल नहीं हो पाया था। वहीं अजरबैजान ने ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशंस हथियार खरीदे, जिन्होंने आर्मेनिया के कई एयर डिफेंस एसेट्स को निशाना बनाया और आर्मेनियाई सेना के ऑर्मर्ड कॉलम को नष्ट किया। सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया के सुखोई-30 और भारत के सुखोई-30एमकेआई से अलग हैं। एस्ट्रा मिसाइलें उनमें लगाई जा सकती हैं या नहीं, यह हमें देखना होगा। सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया ने सुखोई-30 विमानों का मेंटेनेंस और इसके पायलटों की ट्रेनिंग को लेकर भी मदद मांगी है।
यूक्रेन संघर्ष के बाद आर्मेनिया से दूर हुआ रूस
सूत्रों ने बताया कि रूस शुरुआत में तो आर्मेनिया के साथ खड़ा था, लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद वह अजरबैजान के नजदीक हो गया, क्योंकि मॉस्को को तुर्की का साथ चाहिए था। वहीं आर्मेनिया अब भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है। क्योंकि अब अजरबैजान, तुर्की और पाकिस्तानी हथियारों की मदद से आर्मेनिया को धमका रहा है, जिसके चलते आर्मेनिया बड़े पैमाने पर भारत हथियार खरीद रहा है। अजरबैजान से संघर्ष के बाद से आर्मेनिया भारत से तोपों के अलावा कुछ मिसाइलें, मोर्टार, रडार, छोटे हथियार और साइट सिस्टम की खरीद भी की है। कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड आर्मेनिया को 155 मिमी वाली आर्टिलरी गन की सप्लाई करेगीइससे पहले आर्मेनिया ने भारत से पिनाका रॉकेट सिस्टम खरीदने का फैसला किया था।
भारतीय वायुसेना के पास 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा
सूत्रों ने बताया कि आर्मेनिया का सुखोई-30 को अपग्रेड करने के लिए भारत से संपर्क साधना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास पहले से 260 सुखोई-30 विमानों का बेड़ा है। इनमें से पहले 50 सुखोई रूस से आए थे, जबकि बाकी को एचएएल ने टो-ओ-टी लाइसेंस के तहत देश में ही बनाया था। वहीं भारत भी अपने सुखोई को अपग्रेड करने की योजना पर काम कर रहा है, जिसे तहत सुखोई के अपग्रेडेशन प्रोसेस में एवियोनिक्स, रडार और मिशन कंप्यूटर को लगाया जाएगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 84 सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमानों की पहली खेप को अपग्रेड करने की मंजूरी मिल गई है। सुखोई के अपग्रेड की लागत प्रति जहाज लगभग 130-140 करोड़ रुपये के आसपास होगी। एचएएल अपनी नासिक फैसिलिटी में इन लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करेगा। एचएएल का नासिक डिवीजन पहले ही सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों की ओवरहालिंग कर चुका है। इस अपग्रेडेशन प्रोसेस से सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट्स की लाइफ बढ़ जाएगी, और ये 2055 तक काम करते रहेंगे। वहीं इन अपग्रेड्स के डेवलपमेंट, टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन में मंजूरी की तारीख से सात साल तक का वक्त लग सकता है, जबकि सभी 84 जेटों के अपग्रेड्स के पूरा होने में आठ साल और लग सकते हैं।
दुनिया में बढ़ेगा HAL का रुतबा
वहीं इन अपग्रेड्स से पूरी दुनिया में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का रुतबा भी बढ़ेगा। इससे एचएएल के लिए नया बाजार भी बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद सुखोई जेट के अपग्रेडेशन, साथ मिल कर बनाने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए रूस ने सहमति दे दी है। दुनिया भर में 600 से ज़्यादा सुखोई 27/30 फाइटर जेट बनाए जा चुके हैं। वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और अल्जीरिया जैसे देशों के पास सुखोई फाइटर जेट्स हैं। वहीं सुखोई में इन अपग्रेडेशन से ये देश भी भारत का रुख करेंगे।
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