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SHANTI Act: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शांति विधेयक को दी मंजूरी, कानून के लागू होने के बाद क्या-क्या होगा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Sun, 21 Dec 2025 11:13 PM IST
सार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद में पारित शांति विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया। ऐसे में अब सैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के सभी पुराने कानून शांति कानून में शामिल हो गए हैं और इससे निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में भागीदारी का भी अवसर मिलेगा।

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President Draupadi Murmu has given her approval to the SHANTI Bill News In Hindi
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू - फोटो : एक्स@rashtrapatibhvn
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विस्तार
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के शीतकालीन सत्र में पारित सतत परमाणु ऊर्जा दोहन एवं विकास (शांति) विधेयक को भी मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह कानून बन गया है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने शनिवार को शांति विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही असैन्य परमाणु क्षेत्र से संबंधित सभी कानून अब शांति कानून में समाहित हो गए हैं और इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी का दरवाजा भी खुल गया है।

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बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव के लिए लाया गया विधेयक गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया था। शांति 2025 विधेयक का पूरा नाम सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया है। यह बिल भारत में नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक नया कानून बनाता है और निजी कंपनियों को इसमें भाग लेने का अवसर देता है।
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विधेयक के लागू होने से क्या होगा?
इस बिल के लागू होने से 1962 का एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 2010 का सिविल लाइबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट रद्द हो गया, जो पहले नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की विकास में बाधा बने हुए थे। ऐसे में अब शांति विधेयक के अनुसार, अब निजी कंपनियां और संयुक्त उद्यम सरकार से लाइसेंस लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट्स का निर्माण, संचालन और डी-कमीशनिंग कर सकती हैं।


हालांकि, यूरेनियम और थोरियम की खनन, उन्नयन, आइसोटोपिक पृथक्करण, खर्च हुए ईंधन का पुनःप्रसंस्करण, उच्च स्तर का रेडियोधर्मी कचरा प्रबंधन और भारी जल उत्पादन केवल केंद्र सरकार या सरकारी संस्थाओं के अधिकार में रहेगा। इस बिल से भारत में नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

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अब जानें- नए विधेयक में क्या?

शांति, 2025 विधेयक में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, इस्तेमाल और नियमन के लिए एक नया वैध ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा रेडिएशन के मानकों को लेकर भी इस विधेयक में कई नियम शामिल किए गए हैं। विधेयक में कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा भारत की स्वच्छ ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी अहम है। खासकर जैसे-जैसे ऊर्जा की मांग वाली तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डाटा सेंटर्स और उत्पादन की मांग बढ़ती जा रही है। 

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