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ASMI SMG: नजदीकी लड़ाई में आतंकियों को मौत की नींद सुलाएगी ये घातक गन, NSG और भारतीय सेना भी हुई कायल
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सार
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ASMI SMG
- फोटो :
Amar Ujala
विस्तार
मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत में डिजाइन और तैयार की गई पहली भारतीय सब मशीन गन (SMG) अस्मि (ASMI) को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। भारतीय सेना की नॉर्दन कमान के लिए ASMI 9x19mm को चुना है। अस्मि को बनाने वाली कंपनी लोकेश मशींस लिमिटेड को सेना की उत्तरी कमान से 550 सबमशीन गन (एसएमजी) सप्लाई करने का ऑर्डर मिला है, जिसकी कीमत 4.26 करोड़ रुपये है। सेना को 28 सितंबर तक इसकी डिलीवरी करनी है। वहीं, इस ऑर्डर के बाद आधिकारिक तौर पर अब अस्मि की एंट्री भारतीय सेना में हो गई है। वहीं अस्मि को केंद्रीय सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी और पुलिसिंग में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
ट्रैक्टरों के इंजन पार्टस बनाने से हुई शुरुआत
9x19 एमएम कैलिबर वाली सबमशीन गन अस्मि की निर्माता कंपनी लोकेश इंजीनियरिंग (हैदराबाद) के डायरेक्टर एम श्रीनिवास अमर उजाला से खास बातचीत में बताते हैं कि अस्मि का अर्थ है "गर्व, आत्म-सम्मान और कड़ी मेहनत"। पहले वे महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के ट्रैक्टरों के इंजन पार्टस बनाते थे। वे देश की टॉप 5 सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल) मशींस बनाने वाली कंपनियों में शामिल थे। 2020 में उन्होंने बिजनेस को डाइवरसिफाई करने के लिए डिफेंस डिविजन की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने डीआरडीओ के पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट में संपर्क किया। वह आगे बताते हैं कि वहां उनकी मुलाकात सिख रेजिमेंट के अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसोड़ से हुई, जिन्हें कर्नल कलाश्निकोव के नाम से भी जाना जाता है। वे उस दौरान पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान में प्रतिनियुक्ति पर थे। जहां वे सब मशीन गन बनाने के बारे में सोच रहे थे। कंपनी ने उनके साथ मिल कर काम शुरू किया और हमने भारतीय सेनाओं की जरूरतों को जाना और तीन साल के भीतर हथियार को डिजाइन कर दिया।
100 फीसदी स्वदेशी है अस्मि
श्रीनिवास आगे बताते हैं कि डिफेंस सेगमेंट में एंट्री करना रणनीतिक फैसला था, जिसने कंपनी के रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने के रास्ते खुले। उन्होंने शुरुआत में छोटे हथियारों पर ध्यान केंद्रित किया। वे चाहते थे कि वह ऐसा प्रोडक्ट बनाया जाए, जो पूरी तरह से स्वदेशी हो, साथ ही उसकी मैन्यूफैक्चरिंग भी देश में ही हो। वह कहते हैं कि इसी शुरुआत केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से हुई। इसके लिए उन्होंने गृह मंत्रालय (एमएचए) से जरूरी लाइसेंस लिया और एक 12000 यूनिट प्रतिवर्ष की सप्लाई के लिए एक स्टेट-ऑफ द आर्ट मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी बनाई और ग्लोबल स्टैंडर्ड्स को पूरा किया।
भारत के पास नहीं थी सबमशीन गन
9x19 एमएम कैलिबर सबमशीन गन (एसएमजी) को चुनने की वजह को लेकर वह आगे बताते हैं कि भारत के पास अभी तक स्वदेशी 9 एमएम सब-मशीन गन नहीं थी। सेना अभी तक ब्रिटिश स्टेन कार्बाइन और स्टर्लिंग कार्बाइन से लेकर जर्मन हेकलर एंड कोच की एमपी5 और इस्राइली UZI एसएमजी पर निर्भर थी। देश में अभी तक पुरानी किस्म की एसएमजी ही इस्तेमाल हो रही हैं। वह फख्र से बताते हैं कि लोकेश इंजीनियरिंग पहली निजी कंपनी है, जिसने पूरी तरह से स्वदेशी सब-मशीन गन बनाई है। अस्मि की खूबी है कि इसमें लोकल बुलेट्स के साथ-साथ नाटो मानक वाली आयातित गोलियां भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।
NSG ने की 2400 राउंड फायरिंग
श्रीनिवास के मुताबिक अभी तक एनएसजी और मार्कोस कंमाडो एमपी5 गनों पर निर्भर थे। लेकिन उन्होंने अस्मि का गहन ट्रायल किया है, और पॉजिटिव रिजल्ट रहे हैं। वह आगे बताते हैं कि एनएसजी ने अस्मि पर हर तरह के परीक्षण किए हैं, जिनमें साल्ट वाटर टेस्ट भी है, जिसमें हथियार को नमक के पानी में रखा जाता है, लेकिन अस्मि में जंग तक नहीं लगा। वहीं इसकी क्षमता को जांचने के लिए बिना रुके लगातार (सिंगल क्लास-1 स्टॉपेज) 2400 राउंड फायरिंग भी की, इस टेस्ट में भी अस्मि कामयाब रही। एनएसजी को उन्होंने हाल ही में 10 एसएमजी का पायलट लॉट डिलीवर भी किया है। अभी भी एनएसजी इसकी इंटरनल टेस्टिंग कर रही है।
इस्राइल की UZI को पछाड़ा
वहीं अस्मि खरीदने वाली केवल एनएसजी और सेना ही ही नहीं है। असम राइफल्स ने भी इसकी टेस्टिंग की है औरइस गन को आगे शामिल करने के लिए मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से भी चार गनों का पायलट ऑर्डर मिला है। श्रीनिवास कहते हैं कि अस्मि का कड़ा मुकाबला इस्राइल की UZI एसएमजी से था। UZI ऐसा हथियार है, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और क्लोज क्वॉर्टर कॉम्बैट में इसका कोई तोड़ नहीं है। लेकिन UZI के मुकाबले अस्मि 9x19 मिमी पैराबेलम एम्युनिशन का इस्तेमाल करती है, जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना पहले से ही कर रही है। इससे गोलियां इंपोर्ट करने की जरूरत कम पड़ती है। इसके अलावा अस्मि का डिजाइन मॉडर्न है। जबकि UZI को 1940 के दशक में उज़िएल गैल ने डिजाइन किया था। अस्मि को भारतीय सेनाओं और भारत के मौसम को देखते हुए डिजाइन किया गया है। यह सिंगल पीस एरोस्पेस ग्रेड एल्यूमीनियम से बनी है। जबकि निचला हिस्सा पॉलीमर कार्बन फाइबर से बना है। जो इसके वजन को कम करता है और ज्यादा हथियार पर ज्यादा कंट्रोल देता है। वह बताते हैं कि सेना में टेस्टिंग के दौरान इसे कई बार फैंक कर भी देखा गया, लेकिन यह इतनी मजबूत निकली कि इसका बाल भी बांका न हुआ और न ही इसकी परफॉरमेंस में कोई अंतर आया। इसके अलावा UZI के मुकाबले बेहद सस्ती है। श्रीनिवास के मुताबिक इसकी कीमत एक लाख रुपये से भी कम है। अस्मि का वजन 2.4 किलोग्राम से कम है, जो इसे बाकी विदेशी कंपनियों के हथियारों के मुकाबले 10-15 फीसदी हल्का बनाता है। श्रीनिवास बताते हैं, यह प्रति मिनट 800 राउंड की दर से फायर कर सकती है इसकी मैगजीन की क्षमता 32 राउंड की है। साथ ही, 100 मीटर की रेंज में यह सटीक निशाना लगा सकती है।
सैन्य अभ्यास 'शक्ति 2024' में किया था डिस्प्ले
हाल ही में ईस्टर्न कमांड की निगरानी में मेघालय के उमरोई में भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच 13 से 26 मई संयुक्त सैन्य अभ्यास 'शक्ति 2024' का 7वां एडिशन आयोजित किया गया था। इस अभ्यास के दौरान पहली बार फील्ड एरिया में अस्मि को डिस्प्ले भी किया गया था। खुद फ्रांसिसी सेना ने भी इस घातक हथियार की जानकारी ली थी और वह इससे काफी प्रभावित हुई थी। जिसके बाद से माना जा रहा था कि जल्द ही भारतीय सेना इसका बड़ा ऑर्डर दे सकती है।