Seat Ka Samikaran: यहां से जो जीता वो एक से ज्यादा बार विधानसभा पहुंचा, ऐसा है भागलपुर सीट का चुनावी इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज भागलपुर विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट से अश्विनी चौबे और विजय मित्रा पांच-पांच बार विधायक रह चुके हैं। मौजूदा समय में अजीत शर्मा यहां से विधायक हैं।
विस्तार
बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ी हमारी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज बात भागलपुर सीट की करेंगे। भागलपुर सीट जो कभी भाजपा के अश्विनी चौबे का गढ़ हुआ करती थी। पिछले तीन चुनाव से यहां से कांग्रेस के अजीत शर्मा जीत हासिल कर रहे हैं। भागलपुर विधानसभा सीट की एक और खास बात है कि यहां की जनता ने जिसे चुना उसे कम से कम दो बार जरूर चुना है।
बिहार के 38 जिलों में से एक जिला भागलपुर है। भागलपुर जिला 3 अनुमंडल और 16 ब्लॉक में बंटा है। इस जिले में सात विधासभा सीटें आती हैं। इनमें बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती (एससी), कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर शामिल हैं। आज ‘सीट का समीकरण’ सीरीज में भागलपुर विधानसभा सीट की बात करेंगे। भागलपुर सीट पर 1952 में पहला चुनाव हुआ था।
1952: पहले तीन चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत
भागलपुर सीट से पहली जीत कांग्रेस को मिली। कांग्रेस के उम्मीदवार सतेंद्र नारायण अग्रवाल ने भारतीय जनसंघ के गौरी शंकर प्रसाद को 7,446 वोट से हराया। उन्हें कुल 10,461 वोट मिले थे। वहीं, गौरी शंकर को मात्र 3,015 वोट मिले थे।
1957 के चुनाव में भी सतेंद्र नारायण को जीत मिली। इस बार उन्होंने जनसंघ के सीता राम किशोरपुरी को 4,082 वोट से हराया। इस चुनाव में सतेंद्र को 9,815 वोट मिले। वहीं, सीता राम को 5,733 वोट से संतोष करना पड़ा।
1962 के चुनाव में सतेंद्र नारायण ने जीत की हैट्रिक लगाई। इस बार उन्हें 9,030 वोट से जीत मिली। उन्हें कुल 17,190 वोट मिले। वहीं, जनसंघ के सीता राम को 8,160 वोट मिले थे।
1967: जनसंंघ को मिली पहली जीत
- पिछले तीन चुनाव में हार का सामना कर चुकी जनसंघ को 1967 के चुनाव में जीत मिली। इस चुनाव में जनसंघ के विजय मित्रा ने जीत हासिल की। उन्होंने जन क्रांति दल के ए हामिद को 6,311 वोट से हराया। विजय को कुल 16,098 वोट मिले थे। वहीं, ए हामिद को 9,787 वोट मिले। इस चुनाव में तत्कालीन विधायक सतेंद्र प्रसाद तीसरे नंबर पर रहे।
- 1969 के चुनाव में भी जनसंघ के विजय मित्रा ने जीत दर्ज की। इस बार जीत का आंकड़ा बढ़कर 13,106 हो गया। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के रामेश्वर नारायण अग्रवाल रहे। विजय को कुल 25,693 वोट मिले और रामेश्वर को 12,587 वोट मिले।
- 1972 के चुनाव में विजय ने कांग्रेस के हरेंद्र प्रसाद झा को 12,175 वोट से हराया था। विजय को कुल 27,264 वोट मिले थे। वहीं, झा को 15,089 वोट मिले। इसके साथ ही विजय मित्रा ने भागलपुर सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई।
- 1977 के चुनाव में विजय ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने 20,247 वोट से जीत हासिल की। उन्हें कुल 30,188 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के तालिब अंसारी को मात्र 9,941 वोट मिले। ये मित्रा की भागलपुर सीट पर चौथी जीत थी। इस तरह भागलपुर सीट पर हुए पहले सात चुनाव में सिर्फ दो चेहरे ही यहां से जीते।
1980: 13 साल बाद कांग्रेस की वापसी
1980 के चुनाव में भागलपुर सीट से कांग्रेस ने 13 साल बाद वापसी की। इस चुनाव में कांग्रेस के शियो चंद्र झा ने जीत हासिल की। 1985 के चुनाव मेंं यहां से झा को जीत मिली। 1980 में शियो चंद्र झा ने जनता पार्टी के बनारसी प्रसाद गुप्ता को 3,313 वोट से हराया था। शियो को कुल 24,347 वोट मिले थे और बनारसी को 21,034 वोट मिले थे। वहीं तात्कालिन विधायक विजय मित्रा तीसरे नंबर पर रहे।
1985 के चुनाव में शियो चंद्र की जीत के आंकड़े में बड़ी बढ़त हुई। इस चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी के फैयाज भागलपुर को 38,756 वोट से हराया। शियो चंद्र को कुल 51,755 वोट मिले थे। वहीं, फैयाज को मात्र 12,996 वोट मिले थे।
1990: भाजपा ने खोला खाता
1990 के चुनाव में विजय मित्रा ने भाजपा से अपनी किस्मत अपनाई और जीत हासिल की। इसी जीत के साथ विजय ने भागलपुर सीट पर पांचवीं बार जीत दर्ज की। इस चुनाव में विजय मित्रा ने कांग्रेस के इस्माइल खान को 22,137 वोट से हराया। विजय को कुल 41,000 वोट मिले। वहीं, इस्माइल को 18,863 वोट मिले।

1995: अश्विनी चौबे का उदय
- 1995 के चुनाव में भागलपुर सीट से भाजपा के अश्विनी चौबे ने जीत हासिल की। चौबे की जीत का सिलसिला पांच चुनाव तक जारी रहा। 1995 के चुनाव में चौबे ने जनता दल के केदार नाथ यादव को 4,926 वोट से हराया। चौबे को कुल 44,944 वोट मिले। वहीं, केदार नाथ को 40,018 वोट मिले।
- 2000 के चुनाव में अश्विनी चौबे ने राजद के अरुण कुमार को 22,877 वोट से हराया। चौबे को कुल 64,364 वोट मिले। वहीं, अरुण कुमार को 41,487 वोट से ही संतोष करना पड़ा।
- 2005 में बिहार में दो बार चुनाव हुआ था। पहला फरवरी और दूसरा अक्तूबर में। दोनों चुनाव में भागलपुर से अश्विनी चौबे को जीत मिली। और दोनों चुनाव में चौबे ने कांग्रेस के उम्मीदवार को मात दी। फरवरी के चुनाव में चौबे ने अजीत शर्मा को 20,210 वोट से हराया। चौबे को कुल 53,765 वोट मिले । वहीं, अजीत शर्माा को 33,555 वोट मिले।
- 2005 अक्तूबर में चौबे ने कांग्रेस के पवन सिंह को 21,777 वोट से शिकस्त दी। उन्हें कुल 53,698 वोट मिले थे। पवन सिंह को 31,921 वोट मिले थे।
- 2010 चुनाव में चौबे की जीत के आंकड़े में कमी आई। अश्विनी चौबे ने कांग्रेस के अजीत शर्मा को 11,060 वोट से मात दी। अश्विनी चौबे को कुल 49,164 वोट मिले। वहीं, अजीत शर्मा को 38,104 वोट मिले। ये अश्विनी चौबे की भागलपुर सीट पर पांचवीं जीत थी।
लगातार जीत दर्ज के साथ ही अश्विनी चौबे ने नीतीश सरकार के अलग-अलग कार्यकाल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली। अश्विनी चौबे 2004 से 2005 तक भाजपा विधानमंडल दल, बिहार विधान मंडल के नेता रहे। 2005 से 2008 तक बिहार सरकार में शहरी विकास मंत्री का पद भी उनके पास रहा। 2008 से 2010 लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग मंत्री रहे। 2010 से 2013 तक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे।
2014: उपचुनाव में अजीत शर्मा को मिली जीत
2014 लोकसभा चुनाव में अश्विनी चौबे ने बक्सर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस कारण से भागलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने पड़े। इस उपचुनाव में दो बार हार का सामना कर चुके कांग्रेस के अजीत शर्मा ने जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के नभय चौधरी को 17,229 वोट से हराया। अजीत को कुल 63,753 वोट मिले थे। वहीं, नभय को 46,524 वोट मिल थे।
2015: अजीत शर्मा के जीत का सिलसिला जारी
2015 और 2020 के चुनाव में भी अजीत शर्मा ने जीत दर्ज की। 2015 के चुनाव में अजीत ने भाजपा के अर्जित शाश्वत चौबे को 10,658 वोट से हराया। अजीत को कुल 70,514 वोट मिले थे। वहीं, अर्जित को 59,856 वोट मिले थे।

2020 के चुनाव में अजीत शर्मा ने 1,419 वोट से जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्हें 65,502 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के रोहित पांडे को 64,389 वोट मिले।
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