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West Bengal: बिकाश भवन पर शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन; ‘बंधक जैसी’ स्थिति के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 17 May 2025 09:41 AM IST
सार
कोलकाता पुलिस ने बताया कि जब उन्होंने कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रास्ता बनाने की कोशिश की, तब प्रदर्शनकारियों ने पत्थर और प्लास्टिक की बोतलें फेंकी। हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को न्यूनतम जरूरी बल का इस्तेमाल करना पड़ा। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 'करीब 19 लोग घायल हुए हैं'।
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जावेद शमीम, एडीजीपी, कोलकाता
- फोटो : ANI
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विस्तार
कोलकाता के साल्ट लेक स्थित बिकाश भवन के बाहर गुरुवार को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। यह प्रदर्शन उन शिक्षकों की तरफ से किया गया था जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अपनी नौकरियां खो दी थीं। इस दौरान माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि पुलिस को यह तक कहना पड़ा कि हालात 'बंधक जैसी स्थिति' में बदल गए थे।
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की भर्ती में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया। इसके चलते करीब 26,000 शिक्षक अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे। इसी के विरोध में ये शिक्षक गुरुवार सुबह बिकाश भवन के बाहर इकट्ठा हुए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
यह भी पढ़ें - Operation Abhyaas: कर्नाटक उच्च न्यायालय में हुई मॉक ड्रिल, बम विस्फोट के हालात से निपटने की हुई तैयारी
विरोध कब और कैसे उग्र हुआ?
पुलिस के अनुसार, गुरुवार सुबह से ही बड़ी संख्या में शिक्षक वहां जुटने लगे। धीरे-धीरे उनकी नाराजगी बढ़ने लगी और उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसके बाद कुछ प्रदर्शनकारी जबरन बिकाश भवन के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। मामले में एडीजीपी जावेद शमीम ने बताया, कि शिक्षकों ने गेट तोड़ दिए और पूरे परिसर में घुस गए। बिकाश भवन सिर्फ शिक्षा विभाग का कार्यालय नहीं है, यहाँ 58 विभागों के लगभग 500 कर्मचारी काम करते हैं।'
प्रदर्शन के दौरान अंदर फंस गए कर्मचारी
पुलिस अधिकारी ने बताया कि कार्यालय का समय शाम 5:30 बजे तक होता है, लेकिन जब कर्मचारी बाहर निकलने लगे तो प्रदर्शनकारियों ने गेट बंद कर दिया और किसी को निकलने नहीं दिया। पुलिस ने कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी अड़े रहे। एडीजीपी ने कहा- हमने शाम 5:30 बजे से 8:30 बजे तक बातचीत की, पर कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार हमें बल प्रयोग कर कर्मचारियों को बाहर निकालना पड़ा'।
यह भी पढ़ें - Postal Ballot Case: डाक मतपत्र धांधली मामले में माकपा नेता सुधाकरन पर केस, वीडियो सामने आने पर ECI कर रहा जांच
शिक्षकों का आंदोलन अब भी जारी
शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रहा, प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार की गलती से इतने सारे शिक्षकों की नौकरी चली गई है और अब वे सड़क पर आ गए हैं।
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पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की भर्ती में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया। इसके चलते करीब 26,000 शिक्षक अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे। इसी के विरोध में ये शिक्षक गुरुवार सुबह बिकाश भवन के बाहर इकट्ठा हुए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
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प्रदर्शन के दौरान अंदर फंस गए कर्मचारी
पुलिस अधिकारी ने बताया कि कार्यालय का समय शाम 5:30 बजे तक होता है, लेकिन जब कर्मचारी बाहर निकलने लगे तो प्रदर्शनकारियों ने गेट बंद कर दिया और किसी को निकलने नहीं दिया। पुलिस ने कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी अड़े रहे। एडीजीपी ने कहा- हमने शाम 5:30 बजे से 8:30 बजे तक बातचीत की, पर कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार हमें बल प्रयोग कर कर्मचारियों को बाहर निकालना पड़ा'।
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शिक्षकों का आंदोलन अब भी जारी
शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रहा, प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार की गलती से इतने सारे शिक्षकों की नौकरी चली गई है और अब वे सड़क पर आ गए हैं।
#WATCH | Kolkata, West Bengal | Teachers continue their protest for the 11th day outside Bikash Bhawan against the CM Mamata Banerjee-led State Government over 26,000 teachers losing their jobs in connection with the SSC recruitment case, following a Supreme Court judgment which… pic.twitter.com/Q8bBSx9kD0
— ANI (@ANI) May 17, 2025
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