एक्यूआई से लड़ाई नक्सल पर आई: दिल्ली में लगे नक्सलियों के लिए नारे, कौन था हिड़मा जिसके पोस्टर पर हुआ विवाद?
Madvi Hidma: दिल्ली में हवा के खराब क्वालिटी के लेकर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान एनकाउंटर में मारे गए नक्सली हिड़मा के समर्थन में नारे भी लगे। देखते ही देखते यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया।
विस्तार
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर मिर्ची स्प्रे छिड़का गया। इस घटना में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस ने इस मामले में 22 लोगों को हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारियों के नारों में कई वामपंथी विचारधारा के नेता जैसे कन्हैया, हिड़मा के नाम भी सुनाई दिए। इसी के साथ हिड़मा के पोस्टर भी लहराए गए। इस कारण यह प्रदर्शन एक राजनीतिक विचारधारा से पोषित नजर आया। हिड़मा एक कुख्यात नक्सली था, जिसे सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था।
आइए जानते हैं दिल्ली में प्रदर्शन का आयोजन क्यों किया गया था? प्रदर्शन के दौरान क्या हुआ?, प्रदर्शनकारियों पर क्या आरोप है?, सियासी दलों का इस पर क्या कहना है? हिड़मा कौन था?, कौन-कौन से हमलों का मास्टरमाइंड रहा? हिड़मा कैसे मारा गया?
दिल्ली में प्रदर्शन का आयोजन क्यों किया गया था?
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता के लगातार खबर होने के चलते रविवार को कई युवा इंडिया गेट के पास प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए। प्रदर्शनकारी सरकार से दिखावटी कदम उठाने की जगह ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों में दिल्ली समन्वय समिति के सदस्य और कई छात्र संगठन शामिल थे।प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में क्या हुआ?
दिल्ली के इंडिया गेट पर प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर मिर्ची स्प्रे छिड़का गया। दिल्ली पुलिस ने दो थानों में एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने 22 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। एफआईआर दर्ज होने से पहले पुलिस ने 15 लोगों को हिरासत में लिया। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने कुछ माओवादी नेताओं के समर्थन में नारे भी लगाए। इसमें से एक हाल में ही मारे गए खूंखार नक्सली हिड़मा का भी नाम शामिल था। हिड़मा को पर्यावरण के प्रति संघर्ष करने वाला बताया गया।
प्रदर्शनकारियों पर क्या आरोप है?
दिल्ली पुलिस ने जिन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है उन पर इंडिया गेट पर तैनात कर्मचारियों पर मिर्च स्प्रे इस्तेमाल करने का आरोप है। न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक प्रदर्शनकारी C-हेक्सागन स्ट्रेच के पास जमा हो गए थे। पुलिस उन्हें बार बार हटने के लिए कह रही थी। क्योंकि इससे एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ का रास्ता ब्लॉक हो रहा था। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने रास्ता साफ नहीं किया। प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर सड़क पर आ गए और बैठ गए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की। इसी दौरान पुलिस पर मिर्ची स्प्रे छिड़का गया।
सियासी दलों का इस पर क्या कहना है?
प्रदर्शन के दौरान नक्सली हिड़मा के समर्थन में लगे नारों के बारे में भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा “ दिल्ली में जो प्रोटेस्ट हुआ, उसके लिए पॉल्यूशन सिर्फ़ एक बहाना था। उनका असली मकसद हिड़मा के एनकाउंटर पर सरकार को टारगेट करना था। ये ‘अर्बन नक्सल’ हैं जो भेष बदलकर आते हैं, और ये ‘प्रोटेस्ट जीवी’ हैं। जिस तरह से हिड़मा के सपोर्ट में नारे लगाए गए, वह बिल्कुल मंजूर नहीं है। ऐसे ‘अर्बन नक्सल’ के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए। इस देश में नक्सलियों और आतंकवादियों के सपोर्ट में आवाज़ उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”
वहीं छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि वह बच्चे है उन्हें नहीं पता कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। फिर भी, उन्हें यह सीखने की ज़रूरत है कि डेमोक्रेसी कैसे काम करती है, असली सरकारें कैसे बनती हैं, उनका मकसद और वजूद क्या है, और वे असल में कैसे काम करती हैं।
वहीं आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार को बढ़ रहे प्रदूषण पर निष्क्रिय रहने के लिए घेरा है। आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने दिल्ली सरकार से आपात्कालीन मीटिंग की मांग की। उन्होंने कहा यह एक नेशनल हेल्थ इमरजेंसी है। केंद्र सरकार को एक ज़िम्मेदार सरकार की तरह काम करना चाहिए। उन्हें दिल्ली में आए 10 महीने हो गए हैं। क्या आपने प्रदूषण को लेकर उनके उठाए एक भी कदम के बारे में सुना है?

कौन था माड़वी हिड़मा?
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के रहने वाले माड़वी हिड़मा ने 16 साल की उम्र में ही हथियार उठा लिया था। बीते दो दशक से प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) से जुड़ा था। इस दौरान हिड़मा कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा। उस पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था। हिड़मा दंडकारण्य क्षेत्र के घने जंगलों में रहता था और उसे अबूझमाड़ और सुकमा-बीजापुर के वन क्षेत्रों की काफी जानकारी थी। यही वजह थी कि कई कोशिशों के बाद भी हिड़मा लंबे समय तक सुरक्षाबलों से बचता रहा। वह 26 सशस्त्र माओवादी हमले में शामिल था। तीन बड़े हमले ऐसे थे जिसने हिड़मा की मुश्किलें बढ़ा दीं थी।
इन हमलों से सबसे ज्यादा कुख्यात हुआ हिड़मा
1. 2010 में दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर हमला 76 जवान बलिदान
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में CPI-माओवादी के हमले में CRPF के 75 जवान और एक राज्य पुलिसकर्मी शहीद हुआ। यह घटना जिले के चिंतलनाड-तरमेटला गांव के पास हुई, जब CRPF की एक पेट्रोल पार्टी सुबह 6 से 7 बजे के बीच नक्सल प्रभावित मुकराना जंगल में रोड ओपनिंग ड्यूटी से लौट रही थी। घने जंगल और झाड़ियों में घात लगाकर छिपे 1000 नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया था।
2. 2013 झीरम घाटी का नरसंहार
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पार्टी की परिवर्तन रैली के दौरान लगभग 250 नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया, जिसमें कांग्रेस के राज्य प्रमुख नंद कुमार पटेल और पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित कम से कम 25 लोग मारे गए। पूर्व विधायक उदय कुमार मुदलियार भी हमले में मारे गए थे। सुकमा से जगदलपुर लौट रहे काफिले के साथ 20 पुलिसकर्मियों सहित 32 लोग भी हमले में घायल हो गए थे।
3. 2017 में सुकमा में 37 जवानों की मौत
2017 में सुकमा में एक महीने के अंतराल पर दो हमले हुए। अप्रैल में छत्तीसगढ़ राज्य के सुकमा जिले के जंगल में हुए हमले में लगभग 300 नक्सलियों ने 99 सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर बुर्कापाल और चिंतागुफा की बस्तियों के पास हमला किया। अप्रैल को हुए हमले में CRPF के 37 जवान मारे गए थे।
4. 2021 में सुकमा बीजापुर मुठभेड़
अप्रैल 2021 में हुई इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए और 31 घायल हो गए थे। सुरक्षा बलों ने सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर एक ऑपरेशन शुरू किया था, इसी दौरान मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए। इन सभी हमलों का मास्टरमाइंड हिड़मा को माना गया था।
कैसे हुआ हिड़मा का एनकाउंटर?
नक्सलियों के बढ़ते आतंक के कारण कई वर्षों से सुरक्षाकर्मी हिड़मा की तलाश कर रहे थे। सरकार ने उस पर एक करोड़ का इनाम भी घोषित किया था। इसी महीने 18 नवंबर की सुबह छह से सात बजे के करीब आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के रामपचोदवरम उप-मंडल के मारेदुमिल्ली के पास हुई मुठभेड़ में हिड़मा समेत छह माओवादी मारे गए। मौके से दो एके 47, एक रिवॉल्वर, एक पिस्तौल बरामद किए गए। इस हमले में उसकी पत्नी मदगाम राजे भी मारी गई। यह एनकाउंटर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उसे पकड़ने या खत्म करने के लिए तय की गई 30 नवंबर की डेडलाइन से कुछ दिन पहले हुआ। यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के ट्राई-जंक्शन के पास हुई, इस इलाके को माओवादी लंबे समय से सुरक्षित पनाह लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक हिड़मा का मारा जाना नक्सल हायरार्की के लिए वर्षों में सबसे बड़े झटकों में से एक है। उनका मानना है कि उसकी मौत से माओवादी कमांड स्ट्रक्चर में बड़ी दरारें आ सकती हैं और देश भर यह कमजोर हो सकते हैं।
पुलिस ने इस मामले पर क्या कहा
नई दिल्ली के DCP देवेश कुमार महला ने कहा, "इस मामले की भी पूरी जांच चल रही है, और पक्का सख्त एक्शन लिया जाएगा। पुलिस पर बल प्रयोग, सड़क जाम करने और मिर्च स्प्रे के इस्तेमाल समेत कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है" प्रदर्शन के दौरान नक्सली माडवी हिड़मा से जुड़े पोस्टरों के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।