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SIR: बंगाल के राज्यपाल बोस बोले- भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर पलायन कर रहे लोग; चेन्नई में VCK ने किया प्रदर्शन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई/कोलकाता Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 24 Nov 2025 04:08 PM IST
सार

SIR:  कई राज्यों में चुनाव से पहले एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस प्रक्रिया को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि लोगों के भारत-बांग्लादेश सीमा की पलायन करने की खबरें आ रही हैं। वहीं, टीएमसी और वीसीके पार्टी ने प्रक्रिया में जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं।  

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west bengal governor cv ananda bose and tmc on sir vck protest
एसआईआर (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : एएनआई (फाइल)
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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि ऐसी खबरें आई हैं कि भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर लोगों का पलायन हो रहा है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। स्थिति का आकलन करने से पहले मैं मौके पर जाकर वास्तविकता का जायजा लेना चाहता हूं, ताकि मैं इस मुद्दे पर अपनी राय बना सकूं। उन्होंने कहा, एसआईआर एक अहम प्रक्रिया है और इसके क्रियान्वयन के दौरान अगर कोई शिकायत आती है, तो चुनाव आयोग उसका समाधान करेगा। निश्चित रूप से हमें उम्मीद है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।
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चुनाव आयोग को बीएलओ की सुरक्षा करनी चाहिए: टीएमसी सांसद
उधर, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि अगर चुनाव आयोग वास्तव में स्वतंत्र है तो उसे बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और एसआईआर प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रखनी चाहिए।
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राज्यसभा सांसद ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि कि पार्टी को एसआईआर से आपत्ति नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल में जिस जल्दबाजी, अव्यवस्थित और अपारदर्शी तरीके से यह प्रक्रिया चल रही है, उसका वह कड़ा विरोध करते हैं।

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टीएमसी इस बात को लेकर लगातार चुनाव आयोग की आलोचना कर रही है कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर का काम कर रहे कई बूथ स्तर के अधिकारियों की थकान या आत्महत्या से मौत की घटनाएं सामने आई हैं। गोखले ने कहा, क्या एसआईआर करने के लिए बर्बरता जरूरी है? बंगाल और देश के कई हिस्सों में एसआईआर में लगे बीएलओ थकान या आत्महत्या के कारण मर रहे हैं। जिस प्रक्रिया में कुछ महीने लगने चाहिए, उसे 30 दिनों में निपटाया जा रहा है। 

उन्होंने कहा, हम साफ कह चुके हैं कि हमें एसआईआर के उद्देश्य से कोई समस्या नहीं है। उसका मकसद मतदाता सूची को स्पष्ट करना है। लेकिन बंगाल में इसे जिस जल्दबाजी, अव्यवस्थित और अपारदर्शी तरीके से किया जा रहा है, उससे हम सहमत नहीं हैं। 
 
उन्होंने कहा,  एसआईआर का काम बीएलओ के लिए मौत की सजा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एसआईआर वैध मतदाताओं के नाम हटाने का बहाना नहीं बनना चाहिए। गोखले ने बताया कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र इन तीन राज्यों में एसआईआर नहीं हुआ था। तो फिर बंगाल में इसे 30 दिनों में क्यों करवाया जा रहा है?

उन्होंने कहा कि बीएलओ को बिना तनाव के काम करने दिया जाना चाहिए और लोगों को अपने दस्तावेज ढूंढने व प्रक्रिया समझने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर चुनाव आयोग सच में स्वतंत्र है, तो उसे बीएलओ की सुरक्षा करनी चाहिए, मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और एसआईआर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए। 

एसआईआर के खिलाफ वीसीके ने किया प्रदर्शन
विदुथलाई सिरुथैगल काची (वीसीके) ने तमिलनाडु में जारी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ सोमवार को चन्नई में प्रदर्शन किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया नागरिकता छीनने की एक साजिश है।

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वीसीके प्रमुख थोल तिरुमावलवन  के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन हुआ। उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि दलितों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश की जा रही है।

अपने संबोधन में तिरुमालवन ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में चुनाव से पहले एसआईआर को इतनी जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह भाजपा की सुनियोजित चाल है, जिसके जरिये दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं को निशाना बनाकर उनके नाम हटाने की कोशिश की जा रही है। 

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