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धर्मेंद्र के फलसफे... जब भी मेरे कदम डगमगाए... गांव के कच्चे रास्तों की धूल की खुशबू ने मुझे भटकने से बचा लिया

Jyoti Bhaskar ज्योति भास्कर
Updated Mon, 24 Nov 2025 04:08 PM IST
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Dharmendra philosophy Whenever my steps faltered village Sahnewal unpaved roads saved me from losing way
अलविदा धर्मेंद्र: 89 साल की आयु में पंचतत्व में विलीन - फोटो : एएनआई / अमर उजाला ग्राफिक्स

धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं हैं... हालांकि, स्मृतियों के धरा-धाम भारतवर्ष में जन्म लेने वाली इस अद्वितीय विभूति से जुड़ी कई ऐसी यादें हैं जो प्रशंसकों के जेहन में कौंध रही हैं। 89 साल की आयु में इस मर्त्यलोक से विदा हुई इस हस्ती की देह देह पंचतत्व में विलीन होने के बावजूद कहना गलत नहीं होगा- पल-पल दिल के पास...



गीतकार राजिन्द्र कृष्ण की इस पंक्ति का सहारा इसलिए क्योंकि अक्षरों से जादू बिखेरने के अलावा इसकी पहचान से धर्मेंद्र का नाम भी जुड़ा है... शायद नियति ने ही इस कमाल के नगमे और अभिनेता धर्मेंद्र का नाता जोड़ा था

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Dharmendra philosophy Whenever my steps faltered village Sahnewal unpaved roads saved me from losing way
स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

पौरुष की अलग परिभाषा लिखने वाले धर्मेंद्र
फिल्मी परदे पर अपने अभिनय कौशल से लाखों-करोड़ों प्रशंसकों को अपना मुरीद बनाने वाली ये हस्ती बेमिसाल कलाकार होने के साथ-साथ एक अच्छे इंसान के रूप में भी उतना ही चर्चित रही... अपने दोनों बेटों- सनी और बॉबी देओल की तरह पौरुष की अलग परिभाषा लिखने वाले धर्मेंद्र के यूं तो कई साक्षात्कार और वीडियो चर्चित रहे हैं, लेकिन टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा को अपना बीरबल बताया था। उन्होंने कहा था कि पूरी इंडस्ट्री मुझे प्यार करती है, लेकिन शत्रु इज माई डार्लिंग।

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स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

'मेरे अंदर से साहनेवाल का धर्मेंद्र नहीं जाता। वो मुझे बहुत संभालता है'
शोहरत की तमाम बुलंदियों पर पहुंचने और मायानगरी कही जाने वाली फिल्म इंडस्ट्री में छह दशकों से भी अधिक लंबा वक्त गुजारने के बाद भी निष्कपट रहने का राज बताते हुए धर्मेंद्र ने अपने जीवनकाल में एक ऐसा सूत्र भी साझा किया जो देश-काल की सीमाओं से परे है। उन्होंने कहा था, '60 साल हो गए इंडस्ट्री में आए हुए, मेरे अंदर से साहनेवाल का धर्मेंद्र नहीं जाता। वो मुझे बहुत संभालता है। शोहरत की इस चौंधिया देने वाली रौशनी में, जब भी मेरे कदम डगमगाए, मेरी आत्मा में रची मेरे गांव के कच्चे रास्तों की धूल की खुशबू ने मुझे भटकने से बचा लिया... वही हूं मैं, वैसा ही रहूंगा, इसलिए लोग मुझे प्यार करते हैं।'

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स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

उंगली पकड़कर चलते समय से गोद...
अपने बचपन का किस्सा सुनाते हुए धर्मेंद्र ने एक बार कहा था कि रोमांटिक होना अभिनेता बनने की पहली शर्त है। बकौल धर्मेंद्र, 'एक्टर के लिए शरारती, विटी, इमोशनल, मासूम और जज्बाती होना जरूरी है।' उन्होंने चौथी क्लास में अपने ननिहाल का किस्सा साझा करते हुए बताया था कि गांव में उनके परिवार की बड़ी इज्जत थी। 'मां को लोग बड़ी बीबी कहा करते थे। उंगली पकड़कर चलते समय से गोद में चढ़ने की जिद करने पर मां ने कहा, मरजाणे तुझे तो किसी अमीर के घर पैदा होना चाहिए था। इस पर मैंने कहा- दे दो किसी को।' तत्काल जवाब देने के इस हुनर  और बचपन की सुनहरी याद के हवाले से उन्होंने अपनी हाजिरजवाबी की मिसाल दी।

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स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

एक ही दिन में करीब 50 मील की साइक्लिंग...
आठ दशक से अधिक लंबे और बेशकीमती जीवन में कमाल के अनुभवों को साझा करते समय एक अन्य मौके पर धर्मेंद्र ने फिटनेस के टिप्स साझा करते हुए बताया था कि अपनी युवावस्था में परिवहन के साधन न होने पर एक ही दिन में करीब 50 मील की साइक्लिंग करते थे। इसके अलावा घर में हैंडपंप न होने के कारण पानी कुएं से भरा जाता था, वे कई घंटे तक बिना थके पानी भरा करते थे। मवेशियों के लिए हरा चारा काटने के लिए वे हाथों से चलने वाली मशीन भी चलाया करते थे।

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