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Aviation: भारत-चीन हवाई रूट पर इंडिगो-एयर इंडिया को मिलेगी चुनौती, इन दो चीनी कंपनियों ने भी दिखाई रुचि
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 24 Nov 2025 04:26 PM IST
सार
2019 के दौर में जब दोनों देशों के बीच सीधी विमान सेवा भी तब भी इस रुट पर चीनी एयरलाइन कंपनियों का दबदबा होता था। क्योंकि उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुभव के साथ साथ तमाम प्रकार के संसाधन मौजूद थे। भारत की तुलना में अभी भी उनके पास मजबूत संसाधन है। लेकिन इंडिगो और एयर इंडिया नई ऊर्जा और नई ताकत और नए संसाधन के साथ कैसे चीनी कंपनियों से मुकाबला करेंगे ये देखना अब दिलचस्प होगा।
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इंडिगो-एयर इंडिया को मिलेगी चुनौती (सांकेतिक)
- फोटो : Freepik
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विस्तार
भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो गई है। इस बीच दो चीनी एयरलाइन कंपनियां जल्द ही भारत के लिए अपनी उड़ान सेवाएं शुरू करने की तैयारी में हैं। सुपर्णा एयरलाइंस और जिआंगसू जिंगडोंग कार्गो एयरलाइंस ने भारत–चीन रूट पर ऑपरेशन शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से औपचारिक संपर्क किया है।
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सूत्रों का कहना है कि, चीनी एयरलाइन कंपनी सुपर्णा एयरलाइंस के साथ जिआंगसू जिंगडोंग कार्गो एयरलाइंस ने भी भारत–चीन रूट पर सेवाएं शुरू करने के लिए भारत सरकार के पास आवेदन किया है। जिआंगसू जिंगडोंग कार्गो एयरलाइंस का कार्गो सेवाएं शुरू करने का विचार कर रही है। जबकि सुपर्णा एयरलाइंस पैसेंजर उड़ानें संचालित करना चाहती है या केवल मालवाहक सेवाओं के लिए आवेदन कर रही है, अभी साफ नहीं हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि, भारत के मुकाबले चीनी एयरलाइन कंपनियां मजबूत हैं। 2019 के दौर में जब दोनों देशों के बीच सीधी विमान सेवा भी तब भी इस रुट पर चीनी एयरलाइन कंपनियों का दबदबा होता था। क्योंकि उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुभव के साथ साथ तमाम प्रकार के संसाधन मौजूद थे। भारत की तुलना में अभी भी उनके पास मजबूत संसाधन है। लेकिन इंडिगो और एयर इंडिया नई ऊर्जा और नई ताकत और नए संसाधन के साथ कैसे चीनी कंपनियों से मुकाबला करेंगे ये देखना अब दिलचस्प होगा।
इस वजह से शुरू हुई सीधी विमान सेवा
इसी वर्ष अगस्त–सितंबर के दौरान भारत और चीन के संबंधों में सुधार देखा गया है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे। वहां पीएम की मुलाकात राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हुई। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच हालिया कूटनीतिक गर्माहट का संकेत मानी जा रही है। 31 अगस्त को त्येनजिन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि, सीधी उड़ानों की बहाली पर विचार चल रहा है। गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसके चलते उड़ानें बंद हो गई थीं। सीधी उड़ान सेवा फिर से शुरू होना दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है। इंडिगो एयरलाइंस ने 26 अक्टूबर 2025 से कोलकाता से चीन के गुआंगज़ौ के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू की है। इसके अलावा इंडिगो ने 10 नवंबर 2025 को दिल्ली से चीन के गुआंगज़ौ के बीच भी एक विमान सेवा शुरु की है। एयर इंडिया भी 1 फरवरी 2026 से दिल्ली से शंघाई के लिए अपनी नॉन-स्टॉप उड़ानें फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है।
दोनों देशों के बीच अच्छी है यात्री डिमांड
भारत और चीन के बीच यात्रियों की संख्या हमेशा से अच्छी रहती है। 2019 में जब सीधी उड़ानें थीं तब 12 लाख से ज्यादा लोग इन उड़ानों से सफर करते थे। अगर दूसरे रूट के उड़ानों को जोड़ा जाए, तो ये संख्या 19 लाख तक पहुंच जाती थी। वहीं, जब सीधी उड़ान सेवा बंद थी तब 5.72 लाख यात्री सिंगापुर, हांगकांग, बैंकॉक और वियतनाम से चीन तक का सफर तय करते थे। ये रास्ता न केवल लंबा होता था बल्कि महंगा भी होता है। ऐसे में सीधी उड़ानें शुरू होने से यात्रियों को समय और पैसे दोनों की बचत होगी। विश्लेषकों का कहना है कि, अगर दोनों देशों के बीच वीजा नियम आसान होते हैं, तो यात्रियों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि, भारत-चीन के बीच अब रिश्ते सामान्य हो रहे है। लेकिन 2019-20 के मुकाबले 2025 की विमानन क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। पहले एयर इंडिया सरकार के अधीन थी। लेकिन अब टाटा समूह जैसी महत्वपूर्ण कंपनी ने इसे टेक ओवर कर लिया है। इंडिगो एयरलाइन ने 1,800 से ज्यादा विमानों का ऑर्डर दे रखा है। इनमें लंबी दूरी का सफर तय करने वाले कई विमान शामिल है। यह दोनों ही विमानन कंपनियां दिल्ली और मुंबई को अंतरराष्ट्रीय अब बनाना चाहती है। इस दृष्टिकोण से चीन का बाजार अहम है। भारतीय एयरलाइंस चीन के चार बड़े शहर बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझोउ और चेंगदू को टारगेट कर रही हैं। इन शहरों में व्यापार और पर्यटन की जबरदस्त संभावनाएं हैं।