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Afghan Mining Offer: अफगानिस्तान ने भारत को अपने निष्क्रिय खदान ऑफर किए, जानिए क्या है पूरा मामला
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Mon, 24 Nov 2025 04:20 PM IST
सार
Afghan Mining Offer: अफगानिस्तान में 1,400 से अधिक खनिज क्षेत्रों की पहचान हो चुकी है जिनमें बैराइट, क्रोमाइट, कोयला, कॉपर, सोना, आयरन अयस्क, सीसा, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, नमक, सल्फर, लिथियम, टैल्क और जिंक सहित कई खनिज शामिल हैं। इनमें से निष्क्रिय पड़े खदानों को वहां की तालिबानी सरकार ने भारत को सौंपने की इच्छा जाहिर की है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
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जयशंकर और आमिर खान मुत्तकी
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
अफगानिस्तान ने आर्थिक सहयोग को गहरा करने और स्थानीय रोज़गार बढ़ाने के प्रयासों के तहत भारत को अपने लंबे समय से निष्क्रिय पड़े खदनों पर माइनिंग का ऑफर दिया है। भारतीय उद्योग संगठन एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया यानी एसोचैम ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ने में सावधानी बरतने की सलाह दी है। संस्था का कहना है कि खनन क्षेत्र 'थोड़ा अधिक कठिन' है और किसी भी निवेश से पहले विस्तृत भू-वैज्ञानिक तैयारी जरूरी है।
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एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल मनीष सिंघल ने एक उच्चस्तरीय अफगान शिष्टमंडल से बैठक के बाद मीडिया से कहा कि अफगानिस्तान में 'कई खानें हैं जिनकी दशकों पहले पड़ताल की गई थी, लेकिन वे अब संचालित नहीं हैं।' अफगान पक्ष भारतीय भागीदारी के लिए खुला है और उसने संकेत दिया कि “वे भारतीय माइनिंग कंपनियों को ये खानें ऑफर करने के लिए तैयार हैं।'
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अफगानिस्तान में 1,400 से अधिक खनिज क्षेत्रों की पहचान हो चुकी है जिनमें बैराइट, क्रोमाइट, कोयला, कॉपर, सोना, आयरन अयस्क, सीसा, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, नमक, सल्फर, लिथियम, टैल्क और जिंक सहित कई खनिज शामिल हैं। देश में उच्च गुणवत्ता के पन्ना, लैपिस लाजुली, रेड गार्नेट और रूबी जैसे रत्न भी पाए जाते हैं। पेंटागन और यूएस ज्योलॉजिकल सर्वे के संयुक्त अध्ययन के अनुसार अफगानिस्तान में लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के अप्रयुक्त खनिज संसाधन अनुमानित हैं।
बैठक के दौरान अफगान प्रतिनिधिमंडल ने देश में निष्क्रिय पड़ी स्वर्ण खानों का भी उल्लेख किया। अफगानिस्तान में सोने के बड़े संभावित भंडार हैं, लेकिन कई ज्ञात साइटें बुनियादी ढांचे, तकनीकी विशेषज्ञता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण अभी भी बंद हैं। वर्तमान सरकार निवेश आकर्षित करने की दिशा में प्रयासरत है।
सिंघल ने स्पष्ट किया कि अफगान सरकार निजी भारतीय खिलाड़ियों को आमंत्रित करना चाहती है ताकि “भारतीय माइनिंग कंपनियां उन खनिजों का उत्खनन कर भारत ला सकें या अफगानिस्तान से अन्य देशों को निर्यात कर सकें।” हालांकि उन्होंने खनन कारोबार की व्यावहारिक चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि निवेश से पहले कंपनियों को विस्तृत भू-वैज्ञानिक सर्वे करने होंगे और यह प्रक्रिया समय लेती है।
यह बातचीत अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अजीजी के भारत दौरे के दौरान हुई। सिंघल के अनुसार, मंत्री स्पष्ट एजेंडा लेकर आए थे। यह भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाना था। अफगान पक्ष ने यह भी कहा कि देश में जमीनी हालात पहले की तुलना में 'काफी अधिक उपयोगी और सहायक' हैं, इनमें सुरक्षा और लोगों की आवाजाही को लेकर सुधार शामिल है।
सिंघल ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान का रिश्ता मजबूत और गर्मजोशी भरा है। अफगान प्रतिनिधियों ने इस भावना को दोहराया कि “वे भारत से वस्तुएं खरीदना अधिक पसंद करेंगे क्योंकि दोनों के बीच रणनीतिक और गर्म संबंध हैं। जो कुछ भी अफगानिस्तान में हुआ, भारत लगातार सहयोग करता रहा।”
बैठक में व्यापार पर विस्तृत चर्चा हुई। सिंघल ने बताया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जिसमें करीब 70 प्रतिशत हिस्सा भारत का आयात और लगभग 30 प्रतिशत निर्यात का है। उनके अनुसार, भारत अफगानिस्तान को और अधिक निर्यात कर सकता है। जिन वस्तुओं को अफगानिस्तान अन्य देशों से आयात करता है-जैसे छोटे विनिर्मित सामान, खाद्य उत्पाद जिनमें चावल शामिल है, और दवा उत्पाद-वे भारत से प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सप्लाई किए जा सकते हैं।
अफगानिस्तान ने स्थानीय वैल्यू एडिशन में भारतीय कंपनियों से सहयोग भी मांगा। सिंघल ने उदाहरण देते हुए कहा कि “मान लीजिए हम अफगानिस्तान से मेवे, केसर और हींग आयात करते हैं। फिलहाल ये सब भारत आकर पैकेज होते हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि हम वहां क्षमता निर्माण करें और स्थानीय लोगों को पैकेजिंग सिखाएं। व्यापार बढ़ाने के लिए सुचारु बैंकिंग चैनल अनिवार्य हैं। हमें बेहद स्मूद बैंकिंग चैनल सुनिश्चित करने होंगे। अफगान और भारतीय बैंकों के इंटरबैंक रिश्तों को फिर से सक्रिय करना होगा ताकि ट्रेडिंग कंपनियों, आयातकों और निर्यातकों को कोई दिक्कत न आए।”
बिजनेस यात्रा के लिए वीजा प्रक्रिया भी आसान की जा रही है। सिंघल ने बताया कि "कुछ साल पहले तक बड़ी संख्या में अफगान ट्रेडर्स भारत आते थे। हमने उन्हें आमंत्रित किया है और आश्वस्त किया है कि वीजा आदि से जुड़ी चुनौतियों को सुव्यवस्थित किया जाएगा।" अफगानिस्तान का प्रस्ताव भारत के लिए खनिज क्षेत्र में अवसर की तरह है, लेकिन निवेश के निर्णयों से पहले भू-वैज्ञानिक सर्वे, बुनियादी ढांचा, सुरक्षा और वित्तीय चैनल जैसी बुनियादी शर्तों की जांच जरूरी है।