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FTA: भारत-इस्राइल के बीच एफटीए वार्ता फिर शुरू हुई, GTRI ने कहा- व्यापार नहीं, रणनीतिक साझेदारी है मुख्य लाभ

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 24 Nov 2025 04:01 PM IST
सार

जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत-इस्राइल के बीच चल रहे एफटीए वार्ता का मुख्य फोकस रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करना होगा।दोनों देशों के बाजार छोटे हैं और उनकी मांग भी सीमित है। इसलिए अगर एफटीए पूरा हो भी जाता है, तो सामानों के व्यापार में बहुत बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।

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India-Israel FTA talks resume, GTRI says strategic partnership, not trade, is key advantage
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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भारत-इस्राइल के बीच चल रहे एफटीए वार्ता का सबसे बड़ा फायदा माल-व्यापार को नहीं, बल्कि दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने में होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने अपने रिपोर्ट में यह दावा किया है। 

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दोनों देशों के बाजार में है सीमित मांग

जीटीआरआई के मुताबिक, दोनों देशों के बाजार छोटे हैं और उनकी मांग भी सीमित है। इसलिए अगर एफटीए पूरा हो भी जाता है, तो सामानों के व्यापार में बहुत बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि दोनों देशों के लिए यह समझौता असल में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने का मौका है। FTA के बाद भी सामानों के व्यापार में तेज बढ़ोतरी होना मुश्किल है।


इस्राइल, एक उच्च आय और प्रौद्योगिकी-संचालित अर्थव्यवस्था है। इसकी जनसंख्या 10 मिलियन से भी कम है। यह देश भारत के कपड़ा, ऑटोमोबाइल और सामान्य इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे बड़े पैमाने पर निर्यात के लिए सीमित संभावनाएं प्रदान करता है।

जीटीआरआई का कहना है कि कृषि, जेनेरिक दवाइयां, इस्पात और रसायन जैसे क्षेत्रों में भारत प्रतिस्पर्धी है, लेकिन इस्राइल या तो आत्मनिर्भर है, सख्त गुणवत्ता और पादप स्वच्छता मानकों का पालन करता है, या पहले से ही यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे प्रमुख साझेदारों को टैरिफ वरीयता प्रदान करता है, जिससे भारतीय निर्यातक नुकसान में हैं। परिणामस्वरूप, द्विपक्षीय व्यापार हीरे, चावल और सिरेमिक टाइलों जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर ही निर्भर है।

भारत-इस्राइल के आर्थिक संबंधों को गहरे करने के नए प्रयास

भारत ने इस्राइल के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिए एक नए प्रयास की शुरुआत की है। इसके तहत उसने लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए वार्ता को पुनर्जीवित किया है। यह वार्ता पहली बार शुरू होने के एक दशक से भी अधिक समय बाद हुई है। नई दिल्ली और यरुशलम ने 2010 में एफटीए पर चर्चा शुरू की, 2012-13 तक कई दौर की बातचीत की, और फिर 2014 के बाद संवेदनशील उत्पादों के लिए टैरिफ, मानकों और बाजार पहुंच पर मतभेदों के बीच इस प्रक्रिया को स्थगित कर दिया। 2024-25 में कई उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान के बाद, दोनों सरकारों ने अब बातचीत फिर से शुरू करने के लिए नए संदर्भ-बिंदुओं को अंतिम रूप दिया है।

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