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West Bengal: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने EC को फिर लिखा पत्र, इन दो मामलों में तत्काल दखल देने की मांग की

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता। Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 24 Nov 2025 05:44 PM IST
सार

West Bengal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर दो मुद्दों 'डाटा एंट्री कर्मचारियों की नियुक्ति रोकने' और 'निजी परिसरों में मतदान केंद्र बनाने के प्रस्ताव' पर तत्काल दखल की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि जब जिलों में पर्याप्त कर्मचारी मौजूद हैं तो बाहरी एजेंसियों से एक साल के लिए काम आउटसोर्स करने की जरूरत क्यों पड़ रही है।

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Mamata writes to CEC, seeks his intervention into two recent issues
ममता बनर्जी - फोटो : पीटीआई (फाइल)
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विस्तार
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दो हालिया मामलों में तत्काल दखल देने की मांग की है। पत्र में उन्होंने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के उस निर्देश का जिक्र किया है, जिसमें जिलाधिकारियों को अनुबंध पर काम करने वाले डाटा-एंट्री ऑपरेटर्स और बांग्ला सहायता केंद्र के कर्मचारियों को एसआईआर या किसी अन्य चुनावी कार्य में न लगाने को कहा गया है। दूसरा मुद्दा निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र बनाने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव से जुड़ा है। 
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उन्होंने इस पत्र को एक्स पर भी साझा किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या ये कदम किसी राजनीतिक दल की मदद के लिए उठाए जा रहे हैं। पत्र में लिखा है, हाल ही में यह सामने आया है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी ने जिला चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एसआईआर या अन्य चुनावी आंकड़े से जुड़े कार्यों के लिए अनुबंध पर काम करने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटर्स और  बांग्ला सहायता केंद्र (बीएसके) के कर्मचारियों को न लगाएं। 

मुख्यमंत्री ने पूछा- आउटसोर्स करने की जरूरत क्यों पड़ रही?
पत्र में कहा गया, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने एक वर्ष की अवधि के लिए एक हजार डाटा एंट्री ऑपरेटर्स और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर नियुक्त करने के लिए एक प्रस्ताव जारी किया था। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पूछा कि जब जिला कार्यालयों में पहले से ही बड़ी संख्या में 'सक्षम पेशेवर' ये काम कर रहे हैं, तो पूरे एक साल के लिए यही काम किसी बाहरी एजेंसी से आउटसोर्स करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। 

उन्होंने कहा, पारंपरिक रूप से क्षेत्रीय कार्यालय अपनी जरूरत के अनुसार खुद ही अनुबंध पर डाटा एंट्री कर्मचारियों को नियुक्त करते रहे हैं। अगर तत्काल कोई जरूरत न हो, तो जिला चुनाव अधिकारी खुद ऐसे लोगों की नियुक्ति करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। बनर्जी ने पूछा कि फिर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी का कार्यालय क्षेत्रीय अधिकारियों की ओर से यह भूमिका क्यों निभा रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा, क्या यह काम किसी राजनीतिक दल के कहने पर उसके स्वार्थी हित साधने के लिए किया जा रहा है? यह समय और तरीका निश्चित रूप से कई संदेह पैदा करता है। 

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निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र बनाने के प्रस्ताव पर जताई आपत्ति
मुख्यमंत्री ने निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र बनाने के प्रस्ताव पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थान निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं, स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं और निवासियों व आम जनता के बीच भेदभावपूर्ण स्थिति पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि मतदान केंद्र हमेशा सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्थानों में बनाए जाते रहे हैं, ताकि सभी के लिए पहुंच और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। बनर्जी ने पूछा, ऐसा कदम उठाने पर विचार ही क्यों किया जा रहा है? फिर वही सवाल- क्या यह किसी राजनीतिक दल के दबाव में उनके पक्षपातपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है? उन्होंने दावा किया कि ऐसे फैसले का असर चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर रूप से पड़ सकता है।
 
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