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Kerala: BLO ने किया SIR का बहिष्कार, अधिकारी की आत्महत्या के बाद फैसला; विपक्ष बोला- माकपा के खिलाफ हो जांच
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 17 Nov 2025 01:02 PM IST
सार
Kerala SIR: केरल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर फिलहाल ग्रहण लगता दिख रहा है। दरअसल, बीते एक अधिकारी ने आत्महत्या कर ली, जिस पर परिजनों ने आरोप लगाया कि एसआईआर से जुड़े काम के दबाव के कारण उन्होंने यह कदम उठाया। इसके बाद राज्य के सभी बीएलओ ने एसआईआर बहिष्कार करने का फैसला किया है।
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एसआईआर (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
केरल में सोमवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पूरे राज्य में प्रभावित रही क्योंकि बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) ने कथित तौर पर काम के तनाव के कारण एक अधिकारी की आत्महत्या के बाद काम का बहिष्कार कर दिया। जानकारी के मुताबिक, कन्नूर जिले के पय्यान्नूर में बीएलओ, 44 वर्षीय अनीश जॉर्ज रविवार को अपने घर में फंदे से लटके पाए गए। मामले में परिवार के सदस्यों और स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया से जुड़े काम के दबाव के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
यह भी पढ़ें - Bengal: राजभवन में तलाशी अभियान चलाएंगे राज्यपाल, टीएमसी सांसद ने हथियार होने के लगाए थे आरोप
ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन, SIR स्थगित करने की मांग
वहीं राज्य सरकार के कर्मचारियों के कई ट्रेड यूनियनों, जिनमें राज्य सरकार के कर्मचारियों और शिक्षकों की कार्य परिषद और शिक्षक सेवा संगठनों की संयुक्त समिति शामिल हैं, ने जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि अधिकारी बीएलओ पर अत्यधिक दबाव न डालें और एसआईआर को स्थगित करने पर विचार करें। केरल एनजीओ एसोसिएशन ने भी राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि आगे आत्महत्याओं को रोकने के लिए एसआईआर प्रक्रियाओं को रोका जाए।
एसआईआर से जुड़े काम का अधिक दबाव- परिजन
इस बीच, सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद जॉर्ज का शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया। जॉर्ज के परिवार ने दोहराया कि एसआईआर से संबंधित काम का दबाव उन पर बहुत अधिक था। जॉर्ज के बहनोई सैजू ने संवाददाताओं को बताया, 'उन्हें ठीक से खाने और सोने का भी समय नहीं मिला। एसआईआर अभ्यास के तहत सौंपे गए काम को पूरा करने के लिए उन पर बहुत दबाव था।' सैजू ने आगे बताया कि वरिष्ठ अधिकारी जॉर्ज से लगातार अपडेट के लिए संपर्क करते थे। उन्होंने कहा, 'काम का बोझ बहुत ज्यादा था, इसे देखते हुए जॉर्ज के पिता ने उनसे कहा कि अगर उनकी नौकरी भी चली जाए, तो भी चिंता न करें।'
'माकपा कार्यकर्ताओं की भूमिका की भी जांच हो'
वहीं विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि जॉर्ज की आत्महत्या में माकपा कार्यकर्ताओं की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, 'हमें पता चला कि जॉर्ज को तब धमकाया गया था जब कांग्रेस का एक बूथ-स्तरीय एजेंट उनके साथ गणना के लिए गया था।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और माकपा दोनों ही पारंपरिक कांग्रेसी मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर रखने की कोशिश कर रही हैं।
भाजपा और माकपा पर भी बरसे सतीशन
उन्होंने कहा, 'जहां भाजपा एसआईआर को गलत इरादे से लागू कर रही है, वहीं माकपा इसे केरल में आगे बढ़ा रही है। हम इसका कड़ा, कानूनी और राजनीतिक रूप से विरोध करेंगे।' सतीशन ने राज्य सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने और गहन जांच करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर बीएलओ महिलाएं हैं। एक मतदान केंद्र में लगभग 700-1,200 मतदाता होते हैं, और बीएलओ को कम समय में लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रत्येक घर में कई बार जाना पड़ता है।'
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ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन, SIR स्थगित करने की मांग
वहीं राज्य सरकार के कर्मचारियों के कई ट्रेड यूनियनों, जिनमें राज्य सरकार के कर्मचारियों और शिक्षकों की कार्य परिषद और शिक्षक सेवा संगठनों की संयुक्त समिति शामिल हैं, ने जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि अधिकारी बीएलओ पर अत्यधिक दबाव न डालें और एसआईआर को स्थगित करने पर विचार करें। केरल एनजीओ एसोसिएशन ने भी राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि आगे आत्महत्याओं को रोकने के लिए एसआईआर प्रक्रियाओं को रोका जाए।
एसआईआर से जुड़े काम का अधिक दबाव- परिजन
इस बीच, सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद जॉर्ज का शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया। जॉर्ज के परिवार ने दोहराया कि एसआईआर से संबंधित काम का दबाव उन पर बहुत अधिक था। जॉर्ज के बहनोई सैजू ने संवाददाताओं को बताया, 'उन्हें ठीक से खाने और सोने का भी समय नहीं मिला। एसआईआर अभ्यास के तहत सौंपे गए काम को पूरा करने के लिए उन पर बहुत दबाव था।' सैजू ने आगे बताया कि वरिष्ठ अधिकारी जॉर्ज से लगातार अपडेट के लिए संपर्क करते थे। उन्होंने कहा, 'काम का बोझ बहुत ज्यादा था, इसे देखते हुए जॉर्ज के पिता ने उनसे कहा कि अगर उनकी नौकरी भी चली जाए, तो भी चिंता न करें।'
'माकपा कार्यकर्ताओं की भूमिका की भी जांच हो'
वहीं विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि जॉर्ज की आत्महत्या में माकपा कार्यकर्ताओं की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, 'हमें पता चला कि जॉर्ज को तब धमकाया गया था जब कांग्रेस का एक बूथ-स्तरीय एजेंट उनके साथ गणना के लिए गया था।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और माकपा दोनों ही पारंपरिक कांग्रेसी मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर रखने की कोशिश कर रही हैं।
भाजपा और माकपा पर भी बरसे सतीशन
उन्होंने कहा, 'जहां भाजपा एसआईआर को गलत इरादे से लागू कर रही है, वहीं माकपा इसे केरल में आगे बढ़ा रही है। हम इसका कड़ा, कानूनी और राजनीतिक रूप से विरोध करेंगे।' सतीशन ने राज्य सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने और गहन जांच करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'ज्यादातर बीएलओ महिलाएं हैं। एक मतदान केंद्र में लगभग 700-1,200 मतदाता होते हैं, और बीएलओ को कम समय में लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रत्येक घर में कई बार जाना पड़ता है।'
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माकपा कार्यकर्ताओं ने बीएलओ को धमकाया- जोसेफ
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा कि जॉर्ज की तरफ से टेलीफोन पर की गई बातचीत से पता चला कि गणना के दौरान कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंटों के साथ जाने पर माकपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें धमकी दी थी। जोसेफ ने कहा, 'बातचीत से पता चला कि माकपा ने जॉर्ज के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी थी, जिसमें उन पर घरों में कांग्रेस के पर्चे बांटने का आरोप लगाया गया था। काम के तनाव के अलावा, इस राजनीतिक धमकी के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।'
प्रदर्शनकारी बीएलओ का पूरा समर्थन- सनी जोसेफ
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रदर्शनकारी बीएलओ का पूरा समर्थन करती है। उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि बीएलओ का विरोध चुनाव आयोग की आंखें खोलने पर मजबूर करेगा। हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद, आयोग ने ऐसे समय में एसआईआर कराने का फैसला किया जब स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है।' जोसेफ ने कहा कि पार्टी एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने आरोप लगाया, '2002 की मतदाता सूची को देखते हुए, मेरे पास भी मतदान का अधिकार नहीं है। कई राजनीतिक नेताओं के नाम मतदाता सूची में नहीं होंगे। भारत सरकार और चुनाव आयोग नागरिकों के बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म कर रहे हैं।'
माकपा कार्यकर्ताओं ने बीएलओ को धमकाया- जोसेफ
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा कि जॉर्ज की तरफ से टेलीफोन पर की गई बातचीत से पता चला कि गणना के दौरान कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंटों के साथ जाने पर माकपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें धमकी दी थी। जोसेफ ने कहा, 'बातचीत से पता चला कि माकपा ने जॉर्ज के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी थी, जिसमें उन पर घरों में कांग्रेस के पर्चे बांटने का आरोप लगाया गया था। काम के तनाव के अलावा, इस राजनीतिक धमकी के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।'
प्रदर्शनकारी बीएलओ का पूरा समर्थन- सनी जोसेफ
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रदर्शनकारी बीएलओ का पूरा समर्थन करती है। उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि बीएलओ का विरोध चुनाव आयोग की आंखें खोलने पर मजबूर करेगा। हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद, आयोग ने ऐसे समय में एसआईआर कराने का फैसला किया जब स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है।' जोसेफ ने कहा कि पार्टी एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने आरोप लगाया, '2002 की मतदाता सूची को देखते हुए, मेरे पास भी मतदान का अधिकार नहीं है। कई राजनीतिक नेताओं के नाम मतदाता सूची में नहीं होंगे। भारत सरकार और चुनाव आयोग नागरिकों के बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म कर रहे हैं।'
SIR का बहिष्कार करेंगे तमिलनाडु राजस्व कर्मचारी
तमिलनाडु के राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार को घोषणा की कि वे 18 नवंबर से शुरू होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का बहिष्कार करेंगे। कर्मचारी संघों का कहना है कि उन पर बहुत अधिक काम का बोझ डाला जा रहा है, जबकि उपलब्ध जनशक्ति, प्रशिक्षण और संसाधन बेहद कम हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारियों की तरफ से देर रात तक समीक्षा बैठकें करना और दिन में तीन-तीन वीडियो कॉन्फ्रेंस लेना काम को और अधिक कठिन बना देता है। एसआईआर के दौरान कर्मचारियों को मतदाता सूची से संबंधित फॉर्म बांटने, भरवाने और ऑनलाइन अपलोड करने जैसे काम करने पड़ते हैं, जिसे वे बिना पर्याप्त तैयारी के थोपे गए दबाव के रूप में देख रहे हैं।
संघों ने मांग की है कि सभी कर्मचारियों को ठीक से प्रशिक्षित किया जाए और ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में काम करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति की जाए। इस विरोध में राजस्व विभाग के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिड-डे मील कर्मचारी, नगर निगम और पंचायत कर्मी भी शामिल होंगे। संघ का कहना है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता, तब तक यह विरोध जारी रहेगा।
तमिलनाडु के राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार को घोषणा की कि वे 18 नवंबर से शुरू होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का बहिष्कार करेंगे। कर्मचारी संघों का कहना है कि उन पर बहुत अधिक काम का बोझ डाला जा रहा है, जबकि उपलब्ध जनशक्ति, प्रशिक्षण और संसाधन बेहद कम हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारियों की तरफ से देर रात तक समीक्षा बैठकें करना और दिन में तीन-तीन वीडियो कॉन्फ्रेंस लेना काम को और अधिक कठिन बना देता है। एसआईआर के दौरान कर्मचारियों को मतदाता सूची से संबंधित फॉर्म बांटने, भरवाने और ऑनलाइन अपलोड करने जैसे काम करने पड़ते हैं, जिसे वे बिना पर्याप्त तैयारी के थोपे गए दबाव के रूप में देख रहे हैं।
संघों ने मांग की है कि सभी कर्मचारियों को ठीक से प्रशिक्षित किया जाए और ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में काम करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति की जाए। इस विरोध में राजस्व विभाग के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिड-डे मील कर्मचारी, नगर निगम और पंचायत कर्मी भी शामिल होंगे। संघ का कहना है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता, तब तक यह विरोध जारी रहेगा।