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Mumbai Train Blasts Case: आईएम के सह-संस्थापक की स्वीकारोक्ति सबूतों के अभाव में खारिज, जांच पर फिर उठे सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Tue, 22 Jul 2025 12:13 AM IST
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सार
मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एटीएस के उस सिद्धांत को खारिज कर दिया, जिसमें स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता बताई गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन सबूतों पर अभियोजन ने भरोसा किया, वे पर्याप्त नहीं हैं। बम किस तरह के थे, यह भी रिकॉर्ड में ठीक से दर्ज नहीं किया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका मामले में 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बाद जांच की विश्वनीयता पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के उस सिद्धांत को खारिज कर दिया, जिसमें स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता बताई गई थी।

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गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात जगहों पर बम धमाके हुए थे। ये धमाके पश्चिमी लाइन पर हुए थे, जिनमें 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।
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2008 में पुलिस ने आईएम के नेटवर्क का किया था भंडाफोड़
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि 2008 में अपराध शाखा ने इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। अपराध शाखा ने सादिक शेख को गिरफ्तार किया था, जो इस संगठन का थिंक टैंक बताया गया। सादिक ने शुरुआत में विस्फोट मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी, जिसके बाद उसे एटीएस को सौंप दिया गया।
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बम विस्फोटों में शेख की भूमिका साबित नहीं कर सकी एटीएस
एटीएस ने शेख से पूछताछ की, लेकिन बम विस्फोटों की साजिश में उसकी भूमिका साबित नहीं कर सका। बाद में, जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि शेख ने एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों से संदेह हटाने के लिए जानबूझकर विस्फोटों की जिम्मेदारी स्वीकार की होगी।
मजिस्ट्रेट के सामने पुराने बयान से पलट गया शेख
अधिकारी ने बताया कि शेख का बयान मकोका के तहत पुलिस आयुक्त के सामने दर्ज किया गया था। हालांकि, अपने साथियों के साथ विस्फोट में शामिल होने का उसका दावा साबित नहीं हुआ, जिसके बाद एटीएस ने उसे वापस मुंबई अपराध शाखा को सौंप दिया। 2013 में बचाव पक्ष के वकीलों ने शेख को गवाह बनाने की कोशिश की, लेकिन वह मजिस्ट्रेट के सामने अपने पुराने बयान से पलट गया। शेख, आरिफ बदरुद्दीन और अंसार अहमद को 2008 में भारत में उस वर्ष हुए विभिन्न विस्फोटों में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था।
एटीएस ने मामले में 13 लोगों को किया था गिरफ्तार
एटीएस ने मुंबई ट्रेन विस्फोटों के सिलसिले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया और आरोपपत्र दाखिल किया। इन 12 दोषियों में से पांच को 2015 में विशेष अदालत ने मृत्युदंड और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मृत्युदंड की सजा पाए एक दोषी की 2021 में मृत्यु हो गई। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत द्वारा अभियुक्तों को दी गई सजा और उनकी दोषसिद्धी को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों को स्वीकार कर लिया।
एटीएस ने किया था ये दावा
एटीएस ने दावा किया था कि अभियुक्त प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे। उन्होंने आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के पाकिस्तानी सदस्यों के साथ मिलकर साजिश रची थी।
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आरोपियों को दोषी साबित करने में नाकाम रहा अभियोजन पक्ष
हालांकि, हाईकोर्ट ने सोमवार को अभियुक्तों के सभी इकबालिया बयानों को अस्वीकार्य घोषित कर दिया और कहा कि शायद ये जबरन कराए गए थे। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन सबूतों पर अभियोजन ने भरोसा किया, वे पर्याप्त नहीं हैं। बम किस तरह के थे, यह भी रिकॉर्ड में ठीक से दर्ज नहीं किया गया। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की विशेष पीठ ने यह कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों को दोषी साबित करने में नाकाम रहा।
आदेश का विश्लेषण करने के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी एटीएस
हाईकोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुए है। वहीं, एटीएस ने कहा कि वह आदेश का विश्लेषण करने और विशेष लोक अभियोजक से परामर्श करने के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी।
हाईकोर्ट से बरी होने के बाद सात लोग जेल से रिहा
मुंबई ट्रेन धमाका मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को 12 लोगों को बरी कर दिया। इसके बाद इनमें से सात लोगों को नागपुर, अमरावती और पुणे की जेलों से रिहा कर दिया गया। जिन लोगों को रिहा किया गया है, उनमें एहतेशाम सिद्दीकी भी शामिल हैं। 2015 में निचली अदालत ने सिद्दीकी को मौत की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, उम्रकैद की सजा काट रहे मोहम्मद अली को भी रिहा किया गया है। रिहा होने वाले बाकी लोगों में सुहैल शेख, तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद शफी और जमीर अहमद लतीफुर रहमान शेख शामिल हैं।