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चेतावनी: सदी के अंत तक अमेजन के 38% जंगलों पर विलुप्ति का खतरा, पूरी जलवायु प्रणाली होगी प्रभावित

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Mon, 22 Dec 2025 04:48 AM IST
सार

संयुक्त प्रभाव की पहली व्यवस्थित पड़ताल सामने आई है, जिसमें भयावह भविष्य की चेतावनी दी है। सदी के अंत तक अमेजन के 38 फीसदी जंगलों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में तेज बदलाव के कारण संकट बढ़ा है। इससे पूरी जलवायु प्रणाली प्रभावित होगी

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By the end of century 38 percent of the Amazon rainforest will be at risk of extinction
अमेजन वर्षावन - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में तेज बदलाव दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन अमेजन को ऐसे मोड़ पर ले जा रहे हैं, जहां से उसकी वापसी लगभग असंभव हो सकती है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहे, तो सदी के अंत तक अमेजन के करीब 38 फीसदी जंगल नष्ट हो सकते हैं। एक ऐसा नुकसान जो पूरी पृथ्वी की जलवायु प्रणाली को झकझोर देने की क्षमता रखता है।
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जर्मनी की लुडविग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में बदलाव मिलकर अमेजन को अभूतपूर्व संकट की ओर धकेल रहे हैं। शोध में अनुमान लगाया गया है कि कुल 38 फीसदी जंगल का नुकसान हो सकता है, जिसमें 25 फीसदी हिस्सा कृषि, पशुपालन और अन्य मानवीय गतिविधियों के लिए भूमि उपयोग में बदलाव से जबकि 13 फीसदी हिस्सा बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण होगा।
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यह आंकड़ा इसलिए भी बेहद गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि पहले के अध्ययनों में चेताया जा चुका है कि अगर अमेजन का 20 से 25 फीसदी हिस्सा खत्म हो जाता है, तो यह वर्षावन एक ऐसे ‘टिपिंग पॉइंट’ को पार कर सकता है, जहां से इसका पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से सवाना जैसी खुली भूमि में बदलने लगेगा। करीब 55 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला अमेजन सिर्फ पेड़ों का घना जंगल नहीं है। यह पृथ्वी की जैव विविधता का सबसे बड़ा केंद्र है और लाखों मूल निवासियों का घर भी। वैज्ञानिकों के अनुसार अमेजन के पेड़ों और मिट्टी में धरती के कुल जमीनी कार्बन का लगभग 10 फीसदी जमा है। यही कारण है कि इसे अक्सर ‘पृथ्वी के फेफड़े’ कहा जाता है।

संयुक्त प्रभाव की पहली व्यवस्थित पड़ताल
लुडविग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख की भूगोलविद सेल्मा बुल्टन के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में पहली बार यह व्यवस्थित रूप से आंका गया है कि भूमि उपयोग में बदलाव और जलवायु परिवर्तन मिलकर अमेजन को कैसे प्रभावित कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने अर्थ सिस्टम मॉडलों की मदद से 1950 से 2014 तक वनों की कटाई का विश्लेषण किया और दो अलग-अलग जलवायु परिदृश्यों के आधार पर भविष्य की तस्वीर पेश की। इस अध्ययन के नतीजे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुए हैं।

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भयावह भविष्य की चेतावनी
अध्ययन के मुताबिक यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि 2.3 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाती है तो अमेजन में अचानक और बड़े पैमाने पर जंगल खत्म होने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा नीतियों और देशों की घोषणाओं के आधार पर दुनिया कम से कम 2.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की ओर बढ़ रही है, जो अमेजन के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।शोधकर्ताओं का मानना है कि बेलेम जलवायु सम्मेलन सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वर्षावनों की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम उम्मीद तो जगाते हैं, लेकिन वे अभी नाकाफी हैं। वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि अब जलवायु कार्रवाई की रफ्तार बढ़ाना और अमेजन जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा को कहीं अधिक सख्ती से लागू करना विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुका है।
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