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ByPolls: मैनपुरी और रामपुर सीट पर भाजपा-सपा किन चेहरों पर लगा सकती है दांव? जानें दोनों सीटों के समीकरण

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Wed, 09 Nov 2022 03:26 PM IST
सार

सबसे ज्यादा चर्चा रामपुर विधानसभा और मैनपुरी लोकसभा सीट की हो रही है। रामपुर विधानसभा सीट आजम खान को सजा मिलने के बाद खाली हुई है। आइए जानते हैं कि अब इन दोनों सीटों से किनके बीच मुकाबला हो सकता है? समाजवादी पार्टी जिसके पास ये सीटें थीं वो अपना उम्मीदवार किसे बना सकती है? किन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है? दोनों सीटों का मौजूदा समीकरण क्या है? 
 

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ByPolls: On which faces BJP-SP can bet on Mainpuri and Rampur seats? Know the equation of both the seats
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पांच राज्यों की पांच विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है। आठ दिसंबर को हिमाचल और गुजरात चुनाव के साथ इन सीटों के भी नतीजे आएंगे। गुरुवार से इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिन पांच राज्यों की विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है, उनमें ओडिशा की पदमपुर सीट, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार की कुरहनी, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर, उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट शामिल हैं। इसके अलावा जिस संसदीय सीट पर उपचुनाव होने हैं, वह है उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट, जो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है। 
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इसमें सबसे ज्यादा चर्चा रामपुर विधानसभा और मैनपुरी लोकसभा सीट की हो रही है। रामपुर विधानसभा सीट आजम खान को सजा मिलने के बाद खाली हुई है। आइए जानते हैं कि अब इन दोनों सीटों से किनके बीच मुकाबला हो सकता है? समाजवादी पार्टी जिसके पास ये सीटें थीं वो अपना उम्मीदवार किसे बना सकती है? किन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है? दोनों सीटों का मौजूदा समीकरण क्या है? 
 

पहले चुनाव का पूरा कार्यक्रम जान लीजिए
चुनाव आयोग के मुताबिक, उपचुनाव के लिए 10 नवंबर को अधिसूचना जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है। नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 21 नवंबर है। पांच दिसंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। इसी दिन हिमाचल और गुजरात चुनाव के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।
 
 

मैनपुरी में अब क्या होगा? 
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से 2019 में सांसद चुने गए थे। पिछले महीने 10 अक्तूबर को उनका निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई है। अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर भाजपा और सपा दोनों ने कमर कस ली है। सपा किसी भी हालत में ये सीट अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है, जबकि भाजपा ने रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा की तरह यहां भी जीत हासिल करने की कोशिश करेगी। 

पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य ने चुनाव लड़ा था। मुलायम को 5.24 लाख वोट मिले थे, जबकि शाक्य के खाते में 4.30 लाख वोट गए थे। चर्चा है कि भाजपा यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव या फिर उनके समधी हरिओम यादव को टिकट दे सकती है। मैनपुरी में शाक्य, लोधी वोटर्स की संख्या भी काफी अधिक है। ऐसे में भाजपा अपने पुराने प्रत्याशी पर भी दांव लगा सकती है। 

वहीं, सपा की तरफ से अखिलेश यादव परिवार के ही किसी सदस्य को मौका मिल सकता है। धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव या परिवार के किसी अन्य सदस्य को मौका दिए जाने की अटकलें हैं। धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप इस सीट से पहले भी सांसद चुने जा चुके हैं। सपा सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह के निधन के बाद अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में भी नर्मी देखी गई है। ऐसे में ये भी संभव है कि मैनपुरी सीट से अखिलेश यादव अपने चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव को चुनाव लड़वा सकते हैं। दोनों के बीच, राजनीतिक दायरे का भी बंटवारा हो सकता है। अखिलेश यूपी और शिवपाल केंद्र की जिम्मेदारी संभाल सकते। ऐसा होने से परिवार का विवाद खत्म हो जाएगा। 

शिवपाल सिंह यादव इस ओर इशारा भी कर चुके हैं। सपा में वापसी के सवाल पर उन्होंने हाल ही में मीडिया के सामने बयान दिया था। शिवपाल ने कहा था, 'अभी मैं सही रोल का इंतजार कर रहा हूं। वर्तमान में नेताजी के जाने से हम सभी दुखी हैं।'
 

रामपुर विधानसभा सीट का क्या होगा? 
रामपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है।आजम खान को तीन साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई। इस वजह से यहां चुनाव हो रहे हैं। इसी साल मार्च में हुए चुनाव में आजम खान ने रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। आजम को 1.31 लाख वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना हनी को 76 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को महज चार-चार हजार वोट मिले थे।

अब आजम को सजा मिलने के बाद उनकी सीट से उनकी पत्नी तंजीन फातिमा चुनाव लड़ सकती हैं। वहीं, भाजपा फिर से आकाश सक्सेना पर दांव लगा सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लड़ने वाले नवाब काजिम अली को भी भाजपा से मौका मिल सकता है। नवाब कााजिम अली कई बार भाजपा सरकार की तारीफ कर चुके हैं और रामपुर में आजम खान परिवार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं।
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