{"_id":"5def4be68ebc3e87ae37daa3","slug":"cab-jdu-pawan-verma-appeals-nitish-kumar-to-reconsider-his-decision","type":"story","status":"publish","title_hn":"नागरिकता बिल पर जेडीयू में मचा संग्राम, पीके के बाद अब पवन वर्मा ने भी उठाए सवाल ","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
नागरिकता बिल पर जेडीयू में मचा संग्राम, पीके के बाद अब पवन वर्मा ने भी उठाए सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमित मंडल
Updated Tue, 10 Dec 2019 01:17 PM IST
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जनता दल यू में घमासान
- फोटो : अमर उजाला
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नागरिकता संशोधन बिल पर सियासी संग्राम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इसे लेकर अब भाजपा के सहयोगी दलों में फूट नजर आने लगी है। लोकसभा में इस पर वोटिंग के दौरान नीतीश कुमार की जनता दल यू ने भी केंद्र सरकार का साथ दिया। लेकिन इसे लेकर अब पार्टी में ही घमासान मच गया है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के बाद वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने भी पार्टी के रुख पर सवाल उठाए हैं।
पवन वर्मा ने नीतीश कुमार से इस बिल को समर्थन देने पर दोबारा विचार करने की अपील की है। पवन वर्मा ने कहा- मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि वह राज्यसभा में इस बिल को समर्थन देने पर दोबारा विचार करें। ये बिल असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता व सौहार्द के खिलाफ है। साथ ही जेडीयू के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के भी खिलाफ है। आज गांधीजी होते तो इसे पूरी तरह ठुकरा देते।
पीके ने भी उठाए सवाल
इससे पहले प्रशांत किशोर ने लोकसभा में बिल को समर्थन दिए जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।
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पवन वर्मा ने नीतीश कुमार से इस बिल को समर्थन देने पर दोबारा विचार करने की अपील की है। पवन वर्मा ने कहा- मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि वह राज्यसभा में इस बिल को समर्थन देने पर दोबारा विचार करें। ये बिल असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता व सौहार्द के खिलाफ है। साथ ही जेडीयू के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के भी खिलाफ है। आज गांधीजी होते तो इसे पूरी तरह ठुकरा देते।
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I urge Shri Nitish Kumar to reconsider support to the #CAB in the Rajya Sabha. The Bill is unconstitutional, discriminatory, and against the unity and harmony of the country, apart from being against the secular principles of the JDU. Gandhiji would have strongly disapproved it.
— Pavan K. Varma (@PavanK_Varma) December 10, 2019
पीके ने भी उठाए सवाल
इससे पहले प्रशांत किशोर ने लोकसभा में बिल को समर्थन दिए जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।