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High Court: 'कर्मचारी को बकाया राशि का भुगतान न करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ', हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता Published by: नितिन गौतम Updated Sat, 30 Aug 2025 03:35 PM IST
सार

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी अपने इस आरोप को पुष्ट करने के लिए न तो कोई गवाह पेश कर सकी और न ही कोई कॉल रिकॉर्ड दिखा सकी कि प्रतिवादी एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी के संपर्क में था।

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calcutta high court says Non-payment of dues to employee for seeking another job against principles of natural
कलकत्ता हाईकोर्ट - फोटो : ANI
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विस्तार
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि दूसरी नौकरी ढूंढना व्यक्ति का एक बुनियादी अधिकार है और भले ही वह प्रतिद्वंद्वी कंपनी में ही क्यों ही जॉइन ने करे, इसे नैतिक पतन नहीं माना जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी कंपनी द्वारा इस आधार पर कर्मचारी को बकाया राशि का भुगतान न करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
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क्या कहा उच्च न्यायालय ने
भारत में एक विशेष प्रकार की इंसुलेटर फिल्म की एकमात्र निर्माता होने का दावा करने वाली कंपनी के अनुशासनात्मक आदेश और दंड को रद्द करते हुए जस्टिस शम्पा दत्त (पॉल) ने कंपनी को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज सहित 1.37 लाख रुपये की ग्रेच्युटी राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। जस्टिस दत्त ने गुरुवार को दिए गए फैसले में कहा, 'बेहतर सुविधाओं के साथ दूसरी नौकरी ढूंढना, भले ही वह किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी में हो, यह हर कर्मचारी का एक बुनियादी अधिकार है और यह नैतिक पतन नहीं है।'
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याचिकाकर्ता कंपनी के तर्कों से अदालत ने जताई असहमति
कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी का आदेश तर्कसंगत है और ग्रेच्युटी भुगतान के प्रावधान कानून के अनुरूप हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी अपने इस आरोप को पुष्ट करने के लिए न तो कोई गवाह पेश कर सकी और न ही कोई कॉल रिकॉर्ड दिखा सकी कि प्रतिवादी एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी के संपर्क में था। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी यह भी साबित नहीं कर सकी कि उन्हें कोई नुकसान हुआ।  
उच्च न्यायालय में यह याचिका अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कंपनी में तकनीशियन के रूप में कार्यरत सुदीप सामंत को ग्रेच्युटी देय राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर, 2012 में कंपनी में शामिल हुए तकनीशियन को 11 अक्टूबर, 2022 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

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