सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Caste Census: How caste census is being done in Bihar, how to know how many people belong to which caste?

Caste Census: बिहार में क्यों हो रही जातिगत जनगणना, कैसे पता चलेगा कि किस जाति के कितने लोग हैं? समझें

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Fri, 20 Jan 2023 12:41 PM IST
सार

बिहार में हो रहे जातीय और आर्थिक गणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी याचिकाएं खारिज हो गईं। हिंदू सेना ने कोर्ट से जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने याची को छूट दी है कि वह इस मामले में हाईकोर्ट जा सकते हैं। 

विज्ञापन
Caste Census: How caste census is being done in Bihar, how to know how many people belong to which caste?
बिहार में जातीय जनगणना - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

लंबे समय से बिहार समेत देश के कई राज्यों में जातीय जनगणना की मांग हो रही थी। 2011 में जब जनगणना हुई थी, तब भी जातीय आधार पर रिपोर्ट तैयार हुई थी। हालांकि, इसे जारी नहीं किया गया था। बिहार से पहले राजस्थान और कर्नाटक में भी जातीय जनगणना हो चुकी है।
Trending Videos


बिहार में भी सात जनवरी से जनगणना शुरू हुई है। हालांकि, इसके खिलाफ हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इसमें जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग हुई थी। जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया। खैर, आइए जानते हैं कि बिहार में हो रही जातीय जनगणना कैसे होगी? कैसे पता चलेगा कि किस जाति के कितने लोग हैं? मकानों की गिनती कैसे होगी? 
विज्ञापन
विज्ञापन

पहले जान लीजिए क्यों हो रही है जातीय जनगणना?
दरअसल, बिहार में राजनीतिक दलों ने जातीय जनगणना की लंबे समय से मांग कर रखी थी। राजनीतिक दलों का कहना है कि इससे दलित, पिछड़ों की सही संख्या मालूम चलेगी और उन्हें इसके अनुसार आगे बढ़ाया जा सकेगा। जातीय जनसंख्या के अनुसार ही राज्य में योजनाएं बनाई जाएंगी। 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में जातीय जनगणना कराने से संबंधित प्रस्ताव पेश किया गया था। इसे भाजपा, राजद, जदयू समेत सभी दलों ने समर्थन दे दिया था। हालांकि, केंद्र सरकार इसके खिलाफ थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए। केंद्र का कहना था कि जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है। हालांकि, इसके बावजूद नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय जनगणना कराने का एलान कर दिया था। बिहार सरकार ने इस साल मई तक यह काम पूरा करने का दावा किया है। 


पहले चरण में कैसे मकानों की गिनती होगी? 
पहले चरण में लोगों के घरों की गिनती शुरू की गई है। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से हुई है। अभी तक राज्य सरकार की तरफ से मकानों को कोई नंबर नहीं दिया गया है। वोटर आईकार्ड में अलग, नगर निगम के होल्डिंग में अलग नंबर हैं। पंचायत स्तर पर मकानों की कोई नंबरिंग ही नहीं है। शहरी क्षेत्र में कुछ मोहल्लों में मकानों की नंबरिंग है भी तो वह हाउसिंग सोसायटी की ओर से दी गई है, न कि सरकार की ओर से। अब सरकारी स्तर पर मकानों को नंबर दिया जा रहा है। इस चरण में सभी मकानों को स्थायी नंबर दिया जाएगा। 

 

दूसरे चरण में आर्थिक और जातीय जनगणना होगी
दूसरे चरण में जाति और आर्थिक जनगणना का काम होगा। इसमें लोगों के शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नॉन-गजटेड आदि), गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किस काम में दक्षता है, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य हैं, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित हैं, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे। 
 

जातीय और आर्थिक जनगणना से जुड़ी अन्य खास बातें
  • जातीय और आर्थिक जनगणना कराने की जिम्मेदारी बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई है। 
  • जिला स्तर पर डीएम इसके नोडल पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं। 
  • जातीय गणना के लिए 500 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। यह बढ़ भी सकता है। 
  • आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई थी।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed