{"_id":"68c8ca70376552f7e6015801","slug":"census-natural-features-highways-must-be-updated-in-geo-spatial-layers-rgi-tells-its-directorates-2025-09-16","type":"story","status":"publish","title_hn":"Census: 'प्राकृतिक विशेषताओं, राजमार्गों को भू-स्थानिक डाटा में अपडेट करना जरूरी', RGI का राज्यों को निर्देश","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Census: 'प्राकृतिक विशेषताओं, राजमार्गों को भू-स्थानिक डाटा में अपडेट करना जरूरी', RGI का राज्यों को निर्देश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Tue, 16 Sep 2025 07:54 AM IST
विज्ञापन
सार
Census: भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त ने जनगणना-2027 की तैयारी के तहत सभी प्राकृतिक और प्रशासनिक सीमाओं को मानचित्रों में अपडेट करने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसी क्षेत्र की गणना में चूक न हो। जनगणना 16 वर्षों बाद दो चरणों में होगी, जिसमें जातिगत गणना भी शामिल रहेगी।

जनगणना
- फोटो : फ्रीपिक
विज्ञापन
विस्तार
भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (आरजीआई) ने अपने सभी निदेशालयों को निदेशालयों को निर्देश जारी किए हैं कि देश में जनगणना के दौरान भौगौलिक क्षेत्र की पूरी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए नदी, वन जैसी सभी प्राकृतिक विशेषताओं, परिवहन मार्गों (राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग एवं रेल पटरियां) को मानचित्र विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए भू-स्थानिक डाटा में अपडेट करना अनिवार्य है। आजीआई ने कहा कि प्रशासनिक सीमाओं से जुड़े मौजूदा भू-स्थानिक डाटा को भी अपडेट करना जरूरी है, ताकि जनगणना के दौरान कोई भी क्षेत्र न छूटे या दोहराव न हो।
अपने सभी कार्यालयों को जारी एक सरकारी आदेश में आरजीआई मृत्युंजन कुमार नारायण ने कहा, नदियां, नाले, आरक्षित वन जैसी सभी प्राकृतिक विशेषताओं को मानचित्र विभाग की ओर से दिए गए भू-स्थानिक आंकड़ों को सही तरीके से अपडेट करना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के साथ-साथ रेल लाइनों (ब्रॉड गेज और मीटर गेज) जैसी परिवहन सुविधाओं को भी नवीनतम जानकारी के आधार पर सावधानीपूर्वक अपडेट किया जाना चाहिए।
ये भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के SIR को लेकर तैयारी तेज, आज से शुरू होगी चुनाव से जुड़े अधिकारियों की ट्रेनिंग
आरजीआई ने कहा, यह जनगणना की तैयारियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और राज्यों, जिलों, उप-जिलों, शहरों, वार्डों और गांवों की मौजूदा सीमाओं के अनुसार प्रशासनिक सीमाओं को अपडेट करना जरूरी है। इसका मकसद जनगणना के दौरान देश के हर कोने को कवर करना है।
आदेश में बताया गया कि ये अपडेट किया हुआ डाटा डिजिटल फ्रेमवर्क के रूप में इस्तेमाल होगा, जिससे घरों की सूची के खंड बनाए जाएंगे। इसमें कहा गया, डिजिटल जनगणना के लिए अपडेट की गई प्रशासनिक सीमाएं बेहद जरूरी हैं, जिससे क्षेत्रीय कार्यों और जनगणना कवरेज की निगरानी प्रभावी ढंग से की जा सके। आरजीआई ने बताया कि इन मानचित्रों का उपयोग हर गांव और शहर (वार्ड सहित) की पुष्टि के लिए किया जाएगा कि वे किस उप-जिला या शहरी निकाय में आते हैं। सभी अपडेट एक जनवरी 2010 के बाद हुए प्रशासनिक बदलावों को कवर करेंगे, जिनकी अधिसूचना संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों ने जारी की है।
इसमें यह भी कहा गया है कि रेल स्टेशनों की सही लोकेशन, साथ ही राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के नाम व नंबर सही तरीके से दर्शाए जाने चाहिए। जब यह अपडेट का काम पूरा हो जाएगा, तब उप-जिलों और शहरी स्थानीय निकायों के कार्य मानचित्र (वर्किंग मैप) तैयार किए जाएंगे और उन्हें गांवों व शहरों की सूची के साथ जिला जनगणना अधिकारी (डीसीओ) के जनगणना अनुभाग को भेजा जाएगा, जो फिर संबंधित अधिकारियों करवाएंगे। आरजीआई ने यह भी कहा कि शहरी निकायों के वार्ड की सीमाओं पर खास फोकस किया जाए और इन्हें संबंधित निकायों से सत्यापित कराया जाए। यदि डाटा मिलने के बाद वार्ड की सीमाओं में कोई बदलाव हुआ है, तो नया डाटा शहरी निकायों से लिया जाना चाहिए।
ये भी पढ़ें: अरुणाचल का अनोखा शिक्षा मार्च: आधी रात 65 किमी पैदल चलीं 90 छात्राएं, स्कूल में शिक्षकों की कमी से हैं नाराज
भारत की 16वीं जनगणना साल 2027 में होगी, जिसमें जातिगत जनगणना भी शामिल होगी। लद्दाख जैसे बर्फबारी वाले क्षेत्रों में यह एक अक्तूबर 2026 को और बाकि देश में एक मार्च 2027 को संदर्भ तिथि मानी जाएगी। जनगणना-2027 दो चरणों में होगी, जिसमें जातियों की गणना भी साथ-साथ की जाएगी। यह जनगणना 16 साल बाद हो रही है, क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। आरजीआई नारायण ने पहले एक पत्र में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से कहा था कि नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, उप-विभागों या जिलों की सीमाओं में प्रस्तावित बदलाव 31 दिसंबर से पहले कर लिए जाएं। नियमों के मुताबिक, जनगणना तभी की जा सकती है, जब प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर किए हुए कम से कम तीन महीने बीत चुके हों। इसमें जिले, उप-जिले, तहसील, तालुका और थाने शामिल होते हैं।

Trending Videos
अपने सभी कार्यालयों को जारी एक सरकारी आदेश में आरजीआई मृत्युंजन कुमार नारायण ने कहा, नदियां, नाले, आरक्षित वन जैसी सभी प्राकृतिक विशेषताओं को मानचित्र विभाग की ओर से दिए गए भू-स्थानिक आंकड़ों को सही तरीके से अपडेट करना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के साथ-साथ रेल लाइनों (ब्रॉड गेज और मीटर गेज) जैसी परिवहन सुविधाओं को भी नवीनतम जानकारी के आधार पर सावधानीपूर्वक अपडेट किया जाना चाहिए।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के SIR को लेकर तैयारी तेज, आज से शुरू होगी चुनाव से जुड़े अधिकारियों की ट्रेनिंग
आरजीआई ने कहा, यह जनगणना की तैयारियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और राज्यों, जिलों, उप-जिलों, शहरों, वार्डों और गांवों की मौजूदा सीमाओं के अनुसार प्रशासनिक सीमाओं को अपडेट करना जरूरी है। इसका मकसद जनगणना के दौरान देश के हर कोने को कवर करना है।
आदेश में बताया गया कि ये अपडेट किया हुआ डाटा डिजिटल फ्रेमवर्क के रूप में इस्तेमाल होगा, जिससे घरों की सूची के खंड बनाए जाएंगे। इसमें कहा गया, डिजिटल जनगणना के लिए अपडेट की गई प्रशासनिक सीमाएं बेहद जरूरी हैं, जिससे क्षेत्रीय कार्यों और जनगणना कवरेज की निगरानी प्रभावी ढंग से की जा सके। आरजीआई ने बताया कि इन मानचित्रों का उपयोग हर गांव और शहर (वार्ड सहित) की पुष्टि के लिए किया जाएगा कि वे किस उप-जिला या शहरी निकाय में आते हैं। सभी अपडेट एक जनवरी 2010 के बाद हुए प्रशासनिक बदलावों को कवर करेंगे, जिनकी अधिसूचना संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों ने जारी की है।
इसमें यह भी कहा गया है कि रेल स्टेशनों की सही लोकेशन, साथ ही राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के नाम व नंबर सही तरीके से दर्शाए जाने चाहिए। जब यह अपडेट का काम पूरा हो जाएगा, तब उप-जिलों और शहरी स्थानीय निकायों के कार्य मानचित्र (वर्किंग मैप) तैयार किए जाएंगे और उन्हें गांवों व शहरों की सूची के साथ जिला जनगणना अधिकारी (डीसीओ) के जनगणना अनुभाग को भेजा जाएगा, जो फिर संबंधित अधिकारियों करवाएंगे। आरजीआई ने यह भी कहा कि शहरी निकायों के वार्ड की सीमाओं पर खास फोकस किया जाए और इन्हें संबंधित निकायों से सत्यापित कराया जाए। यदि डाटा मिलने के बाद वार्ड की सीमाओं में कोई बदलाव हुआ है, तो नया डाटा शहरी निकायों से लिया जाना चाहिए।
ये भी पढ़ें: अरुणाचल का अनोखा शिक्षा मार्च: आधी रात 65 किमी पैदल चलीं 90 छात्राएं, स्कूल में शिक्षकों की कमी से हैं नाराज
भारत की 16वीं जनगणना साल 2027 में होगी, जिसमें जातिगत जनगणना भी शामिल होगी। लद्दाख जैसे बर्फबारी वाले क्षेत्रों में यह एक अक्तूबर 2026 को और बाकि देश में एक मार्च 2027 को संदर्भ तिथि मानी जाएगी। जनगणना-2027 दो चरणों में होगी, जिसमें जातियों की गणना भी साथ-साथ की जाएगी। यह जनगणना 16 साल बाद हो रही है, क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। आरजीआई नारायण ने पहले एक पत्र में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से कहा था कि नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, उप-विभागों या जिलों की सीमाओं में प्रस्तावित बदलाव 31 दिसंबर से पहले कर लिए जाएं। नियमों के मुताबिक, जनगणना तभी की जा सकती है, जब प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर किए हुए कम से कम तीन महीने बीत चुके हों। इसमें जिले, उप-जिले, तहसील, तालुका और थाने शामिल होते हैं।