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Central Govt: वित्त मंत्रालय का इन सरकारी विभागों को निर्देश, दीवाली व दूसरे त्योहारों पर बंद करें गिफ्ट देना

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Sat, 20 Sep 2025 01:24 PM IST
सार

आर्थिक सलाहकार की तरफ से लोक उद्यम विभाग (डीपीई) को कहा गया है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में  दीवाली और दूसरे त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा पर रोक लगाई जाए। गिफ्ट से सरकारी खर्च बढ़ता है।

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Central Government: Finance Ministry directs government departments to stop giving gifts on Diwali and other f
वित्त मंत्रालय - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. सुमंत्र पाल की एक सलाह, कर्मचारियों के बीच चर्चा का केंद्र बनी है। इस सलाह पर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसयू) के कर्मचारी हैरान और परेशान हैं। दरअसल, आर्थिक सलाहकार की तरफ से 17 सितंबर को लोक उद्यम विभाग (डीपीई) को कहा गया है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में  दीवाली और दूसरे त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा पर रोक लगाई जाए। गिफ्ट से सरकारी खर्च बढ़ता है। अर्थव्यवस्था में जनता के संसाधनों का न्यायपूर्ण उपयोग हो, इसके लिए यह कदम उठाना जरुरी है। 

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आर्थिक सलाहकार ने लोक उद्यम विभाग के चीफ एग्जीक्यूटिव को लिखे पत्र में कहा है, यह देखने में आया है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में दीवाली सहित दूसरे त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रेक्टिस है। अर्थव्यवस्था में पब्लिक रिसोर्स का न्यायपूर्ण इस्तेमाल हो, इसके लिए ऐसी प्रेक्टिस पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके चलते अब सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से आग्रह किया गया है कि वे इस प्रेक्टिस को बंद कर दें। किसी भी त्योहार पर गिफ्ट का आदान प्रदान रोक दें। आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।  
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'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि वित्त मंत्रालय का ये निर्देश ठीक नहीं है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में काम करने वाले कर्मचारियों को अगर दीवाली या दूसरे त्योहार पर गिफ्ट मिल जाता है तो इसमें क्या हर्ज है। यह एक बहुत छोटा सा टोकन होता है, लेकिन इसकी वैल्यू बड़ी होती है। कर्मचारी यह सोचता है कि उसके काम का सम्मान हो रहा है। उस छोटे से गिफ्ट से वह कर्मचारी दोगुने उत्साह से काम करता है। सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर गलत किया है। ये कर्मियों का उत्साह तोड़ने वाला कदम है। 

बता दें कि डीपीई, वित्त मंत्रालय के अधीन एक नोडल विभाग है, जो केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से संबंधित नीतियों और दिशानिर्देशों को तैयार करता है, उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। उनके कार्य-निष्पादन, स्वायत्तता व कार्मिक प्रबंधन पर नीतिगत दिशानिर्देश निर्धारित करता है। तीसरी लोकसभा (1962-67) की प्राक्कलन समिति की 52वीं रिपोर्ट में सार्वजनिक उद्यमों के प्रदर्शन का निरंतर मूल्यांकन करने के लिए एक केंद्रीकृत समन्वय इकाई की स्थापना की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया था। परिणामस्वरूप, भारत सरकार ने 1965 में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (बीपीई) की स्थापना की और इसे वित्त मंत्रालय के अधीन कर दिया।

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सितंबर 1985 में केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के पुनर्गठन के बाद, बीपीई उद्योग मंत्रालय का एक हिस्सा बन गया। मई 1990 में इसमें और सुधार हुए, जिससे बीपीई को एक पूर्ण विभाग का दर्जा मिला जिसे लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के नाम से जाना गया। डीपीई का मिशन, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए नीतियां तैयार करना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना और जिम्मेदार शासन को बढ़ावा देना है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में उत्कृष्टता, स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा देने में एक प्रेरक शक्ति बनना, जो राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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