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Spying: भारतीय सेनाओं की मल्टीनेशनल एक्सरसाइज से दहशत में चीन, नेवल बेस की जासूसी की साजिश

Harendra Chaudhary हरेंद्र चौधरी
Updated Sat, 12 Oct 2024 08:07 PM IST
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सार

Spying: सूत्रों के मुताबिक इतालवी नौसेना ने हाल ही में भारतीय नौसेना के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 1 से 6 अक्तूबर तक गोवा तट पर दोनों देशों के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स (सीएसजी) ने पहला संयुक्त अभ्यास किया था।

China in panic due to multinational exercise of Indian forces, conspiracy to spy on naval base
भारतीय नौसेना का युद्धाभ्यास - फोटो : X/@indiannavy
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भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में भारतीय सेनाओं के साथ एक के बाद एक लगातार हो रहीं मल्टीनेशनल एक्सरसाइज से चीन की नींद हराम हो गई है। हाल ही में बंगाल की खाड़ी में क्वॉड देशों की भारतीय नौसेना के साथ मालाबार 2024 एक्सरसाइज चल रही है। इसके ठीक पहले 1-6 अक्तूबर को गोवा तट पर भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना और इटली की नौसेना के बीच कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स की एक एक्सरसाइज भी हुई थी। वहीं भारतीय सेनाओं के साथ हो रहे संयुक्त अभ्यासों से चीन की बैचेनी इतनी बढ़ गई कि वह न केवल नजर रखने के लिए अपने खुफिया जहाज भेजे, बल्कि ड्रोन से भी निगरानी करने में जुटा हुआ है। चीन को इस बात का डर सता रहा है कि इन एक्सरसाइज के बहाने पर भारतीय नौसेना हिंद महासागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। 

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गोवा तट पर भारत-इटली का संयुक्त अभ्यास
सूत्रों के मुताबिक इतालवी नौसेना ने हाल ही में भारतीय नौसेना के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 1 से 6 अक्तूबर तक गोवा तट पर दोनों देशों के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स (सीएसजी) ने पहला संयुक्त अभ्यास किया था। इस अभ्यास में भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य (R33) और आईएनएस विशाखापत्तनम (D66), विमानवाहक पोत आईटीएस कैवूर (550), मल्टी-मिशन फ्रिगेट आईटीएस अल्पिनो (F594) और मल्टीपर्पज पेट्रोलिंग बोट आईटीएस मोंटेक्यूकोली ने भी हिस्सा लिया था। खास बात यह रही कि इस अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों और भारतीय वायुसेना के सुखोई-30एमकेआई, राफेल और 'ब्लैक पैंथर स्क्वाड्रन' के अवाक्स पूर्व चेतावनी विमानों के अलावा इटली की तरफ से कैवूर, अल्पिनो और मोंटेक्यूकोली जहाजों पर तैनात एफ-35बी, सात एवी-8बी+ हैरियट जेट, तीन एनएच-90 हेलीकॉप्टर और एक ईएच-101 हेलीकॉप्टर ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया था। वहीं इटली के इन जहाजों पर तैनात चालक दल के तकरीबन 1200 सदस्यों ने भी इस अभ्यास में हिस्सा शामिल हुए थे। 
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चीन ने भेजे थे ये वॉरशिप
सूत्रों ने बताया कि चीन ने इन अभ्यासों पर नजर रखने के लिए अपने वॉरशिप भी भेजे थे। मिली जानकारी के मुताबिक रूस और चीन की नौसेना ने एक्सरसाइज पर नजर रखने के बहाने उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर में एंटी-सबमरीन मिशन को अंजाम दिया था। इस मिशन में रूसी जहाजों के अलावा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के क्रूजर सीएनएस वूशी (104), डेस्ट्रॉयर सीएनएस शिनिंग (117), फ्रिगेट सीएनएस लिन्यी (547) और फ्लीट ऑइलर सीएनएस ताइहू (889) शामिल हुए थे। सूत्रों ने बताया कि बीबू/इंटरैक्शन 2024 नेवी एक्सरसाइज में हिस्सा लेने के बाद रूसी और चीनी युद्धपोतों ने प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त पेट्रोलिंग की। सूत्रों का कहना है कि चीन के जहाज निगरानी के मकसद से शनिवार सुबह ही यहां पहुंच गए थे। 

हिंद महासागर में चल रही है मालाबार-2024 एक्सरसाइज
वहीं चीन के युद्धपोतों की इस अभ्यास को मालाबार-2024 एक्सरसाइज से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। 08 से 18 अक्तूबर तक बंगाल की खाड़ी में चलने वाली क्वॉड देशों की मालाबार-2024 एक्सरसाइज में भारत की नौसेना के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के जंगी जहाज हिस्सा ले रहे हैं। विशाखापत्तनम में बंदरगाह चरण में चल रही इस एक्सरसाइज में शामिल चारों देश 'क्वाड' के तहत हिंद महासागर में चीन की हेकड़ी को खत्म करने और उसकी दादागिरी पर नकेल कसने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं इस बार जंगी अभ्यास की मेजबानी भारत कर रहा है। भारत की तरफ से डेस्ट्रॉयर आईएनएस दिल्ली (डी61), फ्रिगेट आईएनएस तबर (एफ44), कोरवेट आईएनएस कामोर्ता (पी28) और आईएनएस कदमत्त (पी29), फ्लीट ऑइलर आईएनएस शक्ति (ए57), एक पनडुब्बी और पी-8आई समुद्री गश्ती विमान हिस्सा ले रहे हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया फ्रिगेट एचएमएएस स्टुअर्ट (एफएफएच153) और रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फ़ोर्स (आरएएएफ) पी-8ए पोसिडॉन एमपीए तैनात कर रहा है। जापान डेस्ट्रॉयर जेएस अरियाके (डीडी-109) के साथ भाग ले रहा है, जबकि अमेरिका की तरफ से डेस्ट्रॉयर  यूएसएस डेवी (डीडीजी-105) और एक पी-8ए पोसिडॉन एमपीए हिस्सा ले रहे हैं। सभी चार देश अभ्यास के लिए एक विशेष ऑपरेशन बल दल भी तैनात कर रहे हैं। 

मालाबार अभ्यास 1992 में यानी करीब 32 साल पहले शुरू हुआ था। वहीं इस नौसैनिक अभ्यास का उद्देश्य इन देशों के बीच इंडो पैसेफिक रीजन में आपस में गहरा कॉर्डिनेशन, समुद्री चुनौतियों का मिलकर सामना करना है। वहीं, इस बार की मालाबार-2024 एक्सरसाइज कई लिहाज से बेहद अहम है। इस बार इसमें विध्वंसक गाइडेड मिसाइल, खतरनाक जंगी जहाज, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर युद्ध क्षमता का कौशल दिखा रहे हैं। 

अतंरराष्ट्रीय मामलों की जानकार और एशिया-प्रशांत मामलों की एक्सपर्ट स्वस्ति राव कहती हैं कि इस साल की मालाबार एक्सरसाइज चीन को देखते हुए काफी अहम है। क्योंकि इस एक्सरसाइज का असर ताइवान स्ट्रेट और साउथ चाइना सी पर भी पड़ेगा, क्योंकि चीन के चलते इस क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि इस बार मालाबार एक्सरसाइज दो चरणों में हो रही है, हार्बर फेज और सी फेज। हार्बर फेज विशाखापत्तनम में तो सी फेज समुद्र में आयोजित किया जाएगा। इन अभ्यासों में लाइव फायरिंग, कॉम्प्लैक्स सरफेस, वायु और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और संयुक्त युद्धाभ्यास का आयोजन होगा। वहीं इस बार के अभ्यास की अहमियत यह बताने के लिए काफी है कि चीन क्यों इस क्षेत्र में नजर बनाए हुए है। 

चीन का ड्रोन पहुंचा रणनीतिक नेवल बेस कारवार
सूत्रों ने बताया कि जैसे ही गोवा में भारत और इटली की नौसेना के बीच अभ्यास खत्म हुआ तो चीन ने ड्रोन के जरिए इस इलाके की टोह लेने की कोशिश की। गोवा से सटे कर्नाटक के कारवार में कदंब नौसेना बेस के पास एक चीनी ड्रोन काफी देर तक मंडराता रहा, लेकिन सतर्क सैन्यकर्मी उसकी गतिविधि पर नजर बनाए रहे। अमर उजाला के पास मौजूद वीडियो में यह ड्रोन रात के वक्त देखा गया। वहीं कारवार में कदंब नौसेना बेस पर चीनी ड्रोन का दिखना वाकई चिंता की बात है। क्योंकि आईएनएस कदंबा, जिसे नौसेना बेस कारवार या प्रोजेक्ट सीबर्ड के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक में कारवार के पास स्थित एक रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण नौसेना बेस है। हालांकि भारत ने चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया। बता दें कि, यह मुंबई और विशाखापत्तनम के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेशनल नौसैनिक अड्डा है। साथ ही, भारतीय नौसेना के सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य कारवार के नौसैनिक अड्डे पर तैनात है। युद्ध की स्थिति में इस नौसैनिक अड्डे से फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर पाकिस्तान और चीन को आसानी से अपनी जद में ले सकते हैं। यह इलाका नागरिक उड्डयन मंत्रालय के ड्रोन नियम 2021 के तहत 'रेड जोन' में आता है।   

क्यों अहम है कारवार नेवल बेस?
सूत्रों का कहना है कि कारवार बेस की भौगोलिक स्थिति उसे हर मामले में खास बनाती है। कारवार पश्चिमी घाट की पहाड़ियों और अरब सागर के बीच स्थित नौसैनिक अड्डा है। मुंबई, गोवा और नॉर्थ कोच्चि के साउथ में स्थित इस नेवल बेस की मदद से चीन और पाकिस्तान दोनों आसानी से काउंटर किया जा सकता है। साथ ही, यह चीन और पाकिस्तान के ज्यादातर फाइटर प्लेन की रेंज से दूर है और फारस की खाड़ी और पूर्वी एशिया के बहुत करीब स्थित है। सूत्रों ने बताया कि कारवार से हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर नजर रखी जा सकती है। कारवार से इंडियन नेवी के लिए अरब सागर और हिंद महासागर दोनों जगह पहुंचना आसान है। वहीं, जरूरत पड़ने पर कारवार नेवल बेस पर 30 से ज्यादा युद्धपोत और सबमरीन तैनात किए जा सकते हैं। यहां पर एक नेवल एयर स्टेशन भी है, जहां 3 हजार फीट लंबा रनवे बना है, जहां फाइटर जेट भी उड़ान भर सकते हैं। 

अगस्त में भी की थी जासूसी
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने किसी एक्सरसाइज पर खुफिया नजर रखने के लिए अपने जहाज भेजे हों। इससे पहले भी अगस्त में तमिलनाडु में सुलूर एयरबेस में भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल एयर एक्सरसाइज तरंग शक्ति  औऱ तमिलनाडु के सुलूर से 200 किमी की दूरी पर स्थित कोच्चि में भारतीय नौसेना के बेस पर रूसी नौसेना एक्सरसाइज कर रही थी, तो चीन ने अपने तीन जासूसी जहाजों को भारत में हो रही इस एक्सरसाइज पर खुफिया नजर रखने के लिए हिंद महासागर में भेजा था। इस पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज की गई था। तरंग शक्ति अभ्यास के पहले चरण में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन ने हिस्सा लिया था, जो नॉटो का भी हिस्सा हैं। इंटेल लैब में जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस रिसर्चर डेमियन साइमन की तरफ से जारी सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि चीनी निगरानी शिप जियांग यांग होंग 03, झोंग शान दा ज़ू और युआन वांग 7 को बंगाल की खाड़ी के मध्य हिंद महासागर क्षेत्र में एयर फोर्स एक्सरसाइज की निगरानी करने के लिए भेजे थे। 

भारतीय नौसेना रख रही है नजर
भारतीय नौसेना के सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में हो रहीं चीन की गतिविधियों की उन्हें पूरी जानकारी है, और वे चीनी जहाजों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि केवल चीनी जहाज ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में आने वाले हर शिप की सैटेलाइट और यूएवी के जरिए मॉनिटरिंग की जाती है और यह मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस का हिस्सा है।    

हिमाचल में दिखे चीनी ड्रोन 
वहीं इसी महीने अक्तूबर में चीन ने हिमाचल प्रदेश में भी अपने ड्रोन भेजे थे। भारत की सीमा में चीन के ड्रोन देखे जाने का दावा किया गया है। सूत्रों ने बताया कि किन्नौर जिले में भारत की सीमा में ये चीनी ड्रोन देखे गए और उन्होंने एयर स्पेस का उल्लंघन किया। साथ ही, शिपकी ला बॉर्डर और पूह ब्लॉक हेडक्वार्टर के सामने ऋषि डोगरी में भी चीनी ड्रोन देखे गए। सूत्रों का कहना है कि भारत में जिस तेजी से सरकार सीमाई इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दे रही है, उससे चीन काफी डरा हुआ है। शिपकी ला और ऋषिडोगरी दोनों जगहों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा तक सड़कें बनाने का काम चल रहा है। वहीं, चीन की तरफ से ड्रोन भेजकर भारतीय सीमा पर सड़क निर्माण समेत भारतीय सैन्य ठिकानों की जासूसी कर रहा है। 

भारतीय वायुसेना ने मार गिराया चीनी जासूसी गु्ब्बारा
इससे पहले अक्तूबर में खबरें आई थीं कि कुछ महीनों पहले वायुसेना ने पूर्वी मोर्चे पर 55 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था। भारतीय वायुसेना ने राफेल लड़ाकू विमान से चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था। इससे पहले अमेरिका ने भी ऐसे ही एक चीनी जासूसी गुब्बारे को अमेरिका एफ-22 फाइटर जेट से मार गिराया था। भारत में भी पूर्व में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में भी ऐसा ही जासूसी गुब्बारा देखा गया था और ऐसा माना जाता है कि इन गुब्बारों का उपयोग बड़े क्षेत्र में निगरानी के लिए किया जाता है। जानकारों का कहना है कि इन चीनी जासूसी गुब्बारों में किसी प्रकार का मैकेनिज्म होता है, जिससे ये लंबे समय तक एक ही जगह पर टिक कर जासूसी करते रहते हैं। 

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