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Pollution: चीन की राह दिल्ली के लिए नहीं आसान, इस तरह भी प्रदूषण से निपट सकती है राजधानी
डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Fri, 19 Dec 2025 03:33 PM IST
सार
राजधानी दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों 'जहरीली हवा' का व्यापक असर देखा जा रहा है। प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा को पार कर चुका है। साल के अंतिम महीने में हवा की गुणवत्ता खराब से बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है।
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दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण।
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में बना हुआ है। गुरुवार-शुक्रवार की मध्यरात्रि को दिल्ली का औसत एक्यूआई 570 अंक रहा। दिन होने के बाद इसमें कुछ गिरावट आई और यह 370 के आसपास रहा, लेकिन प्रदूषण का यह स्तर भी बहुत खराब श्रेणी में आता है। प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति के बाद भी इसे रोकने का कोई स्थायी उपाय दिखाई नहीं दे रहा है। दिल्ली सरकार प्रदूषण पर लगाम लगाने के विभिन्न उपाय कर रही है, लेकिन महाकाय प्रदूषण के सामने इस पर नियंत्रण के हर उपाय बौने साबित हो रहे हैं।
ठंड का मौसम प्रदूषण की दृष्टि से बेहद गंभीर हो जाता है, लेकिन वर्षा के सीजन के कुछ दिनों को छोड़ दें तो पूरे साल भर दिल्ली-एनसीआर के इलाके में प्रदूषण की स्थिति लगातार बनी रहती है। गर्मी के मौसम में जब हवा का बहाव सबसे तेज होता है, उस समय भी विभिन्न कारणों से दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत नहीं मिलती। इसे देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि अब प्रदूषण से निपटने के उपाय स्थायी तौर पर पूरे साल भर और लगातार चलना चाहिए। प्रदूषण से केवल तभी कारगर तरीके से निपटा जा सकता है।
चीन के सुझाए उपाय कितने कारगर
दिल्ली के गंभीर प्रदूषण के बीच चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया है कि उनके देश ने किस तरह अपने औद्योगिक शहरों में प्रदूषण से निजात पाई है। चीन ने इसके लिए लगातार प्रयास किए और लगभग दस वर्षों के बाद अब इन शहरों का एक्यूआई सौ अंक से भी नीचे रहता है। इसे लेकर एक बहस शुरू हो गई है कि क्या भारत चीन की तरह के प्रयास लागू कर सकता है।
चीन के उपाय भारत में लागू करना पूरी तरह संभव नहीं
चीन के कुछ उपाय तो लागू करने से दिल्ली को भी प्रदूषण से राहत मिलने में सहायता मिल सकती है। जैसे वाहनों को इलेक्ट्रिक करना, भारी उद्योगों को मुख्य शहर से बाहर ले जाना। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने से भी प्रदूषण से निपटने में मदद मिल सकती है। लेकिन चीन के हर उपाय भारत जैसे देश में सहज रूप से लागू नहीं किए जा सकेंगे। उदाहरण के तौर पर चीन ने जिस तरह शंघाई और आसपास के शहरों की एकीकृत एजेंसी बनाकर उसके नेतृत्व में प्रदूषण से निपटने के उपाय किए हैं, उसी तरह से दिल्ली और आसपास के राज्यों के दिल्ली से सटे शहरों का एकीकृत मॉडल खड़ा करना आसान नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड का प्रस्ताव आज तक शुरू नहीं हुआ
दिल्ली-एनसीआर की कई समस्याओं को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड बनाने का एक प्रस्ताव वर्ष 1985 में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य था कि आसपास के इलाकों की आवश्यकताओं को साथ रखते हुए सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित की जाए जिससे भारी जाम से निजात मिल सके। लेकिन यह प्रस्ताव आज तक सिरे नहीं चढ़ पाया। अब लगभग 41 वर्षों के बाद दिल्ली सरकार ने एकीकृत परिवहन व्यवस्था स्थापित करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।
दिल्ली-एनसीआर को विकसित करने के लिए 'नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड' (NCRPB) कार्य कर रहा है, लेकिन अपने उद्देश्य और सीमाओं के कारण यह उन उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सका है जिसको लेकर केंद्रीय एकीकृत बोर्ड की कल्पना की गई थी।
बोर्ड में अपराधियों पर लगाम लगाने की सोच भी शामिल
एकीकृत बोर्ड के बनाने का एक उद्देश्य यह भी था कि इससे दिल्ली में अपराध कर पड़ोसी राज्यों में भाग जाने वाले अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। इसी सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई है और कहा है कि दिल्ली में अपराध कर अपराधी यूपी-हरियाणा या आसपास के दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। प्रशासनिक जटिलताओं के कारण कई बार इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होता।
सर्वोच्च अदालत ने सलाह दी कि इस समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली-एनसीआर को एक इकाई मानते हुए एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। लेकिन इसी समस्या को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड की कल्पना की गई थी। लेकिन आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका। यदि ऐसा हुआ होता तो आज सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
यदि ट्रैफिक और अपराध पर नियंत्रण के मामले में आज तक एकीकृत बोर्ड कार्यान्वयन में नहीं आ पाया तो प्रदूषण के मामले में इसमें कोई जल्दबाजी हो पाएगी, इसमें संदेह है। पराली जलाने की समस्या पर राजनीतिक कारणों से दिल्ली और पड़ोसी राज्य आज तक सहमति के एक बिंदु पर नहीं आ सके हैं। हालांकि, अब एक बात एकीकृत बोर्ड के पक्ष में जाती है कि दिल्ली और इसके आसपास के ज्यादातर राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान में भाजपा की सरकारें हैं। इससे इस मुद्दे पर राजनीतिक मतैक्य बनाने में सहायता मिल सकती है। ऐसे में यदि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चाहे तो दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड प्रशासनिक प्रणाली को अस्तित्व में लाकर प्रदूषण की समस्या पर कारगर प्रहार किया जा सकता है।
समन्वय बनाने का कार्य केवल दूसरे राज्यों से ही नहीं करना है। अकेले दिल्ली में ही दिल्ली सरकार, एनडीएमसी, एमसीडी, दिल्ली छावनी बोर्ड और कई अन्य इकाइयां काम करती हैं। इन सबको लेकर समन्वय स्थापित करना आसान नहीं है।
प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली क्या कर सकती है?
लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण की गंभीर स्थिति और इसके बेहद गंभीर असर को देखते हुए इस पर लगाम लगाना आवश्यक है। पर्यावरण विशेषज्ञों का सुझाव है कि दिल्ली को केंद्र के साथ मिलकर इन उपायों पर काम करना चाहिए जिससे इस समस्या का कारगर समाधान प्राप्त किया जा सके। इनमें से कुछ उपाय इस तरह हो सकते हैं---
1- दिल्ली-एनसीआर और आसपास के शहरों को मिलाकर एकीकृत बोर्ड बनाकर प्रदूषण से निपटने की समयबद्ध बाध्यकारी योजना बनानी चाहिए जिससे योजनाओं को लागू करना संभव हो।
2- एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के कुल प्रदूषण में सबसे अधिक मात्रा स्थानीय वाहनों की है। इसे देखते हुए दिल्ली में पुराने वाहनों को बिना शर्त हटाने का आदेश जारी होना चाहिए। दिल्ली में केवल बैटरी चालित इलेक्ट्रिक या सीएनजी वाहनों को ही चलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
3- बाहर से आने वाले वाहनों, खान-पान, दवाओं और अन्य आवश्यक सामान लेकर आने वाले ट्रकों का सीएनजी-इलेक्ट्रिक होना अनिवार्य करना चाहिए।
4- सार्वजनिक परिवहन की क्षमता बढ़ाकर हर आधे किलोमीटर की दूरी पर उपलब्ध कराना चाहिए। दिल्ली मेट्रो की स्थापना के समय यही लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अभी तक यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है।
5- दिल्ली के लिए बिजली पैदा करने वाले कोयला आधारित संयंत्रों को पूरी तरह सौर ऊर्जा या परमाणु ऊर्जा द्वारा चालित करना चाहिए जिससे बिजली की आपूर्ति होती रहे, लेकिन प्रदूषण को कम किया जा सके।
6- सभी घरेलू-व्यावसायिक भवनों पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाना अनिवार्य करना चाहिए जिससे स्वच्छ ऊर्जा की मांग को पूरा किया जा सके।
7- दिल्ली की सभी सड़कों पर अनिवार्य रूप से जल वाष्प स्प्रिंकलर स्थापित करना चाहिए जो समय-समय पर जलवाष्प निकालकर प्रदूषण को कम कर सकें।
8- एक निश्चित ऊंचाई से ऊपर के सभी बड़े वाहनों पर एयर प्यूरीफायर लगाना अनिवार्य करना चाहिए।
9- एक निश्चित ऊंचाई की सभी ऊंची इमारतों पर जल वाष्प फेंकने वाले स्प्रिंकलर स्थापित करना अनिवार्य करना चाहिए।
10- दिल्ली-एनसीआर में केवल उन्हीं अति आवश्यक उद्योगों को रहने की अनुमति मिलनी चाहिए जिनका यहां होने का कोई विकल्प नहीं है। सामान्य और गैरजरूरी उद्योगों को पूरी तरह दिल्ली से दूर सुरक्षित एरिया में स्थापित करना चाहिए।
11- औद्योगिक क्षेत्रों और दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर स्मॉग टावर लगाना चाहिए।
12- दिल्ली की सभी सड़कों के किनारे पत्तेदार पौधे लगाना अनिवार्य करना चाहिए। इनसे वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने में सहायता मिलती है।
13- स्कूली छात्रों, बड़ी कॉलोनियों के संगठनों, नागरिक संगठनों, सभी राजनीतिक दलों को प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं का सहभागी बनाना चाहिए।
14- प्रदूषण से निपटने और कचरा प्रबंधन में स्थानीय लोगों की सहभागीदारी बढ़ानी चाहिए।
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चीन के सुझाए उपाय कितने कारगर
दिल्ली के गंभीर प्रदूषण के बीच चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया है कि उनके देश ने किस तरह अपने औद्योगिक शहरों में प्रदूषण से निजात पाई है। चीन ने इसके लिए लगातार प्रयास किए और लगभग दस वर्षों के बाद अब इन शहरों का एक्यूआई सौ अंक से भी नीचे रहता है। इसे लेकर एक बहस शुरू हो गई है कि क्या भारत चीन की तरह के प्रयास लागू कर सकता है।
चीन के उपाय भारत में लागू करना पूरी तरह संभव नहीं
चीन के कुछ उपाय तो लागू करने से दिल्ली को भी प्रदूषण से राहत मिलने में सहायता मिल सकती है। जैसे वाहनों को इलेक्ट्रिक करना, भारी उद्योगों को मुख्य शहर से बाहर ले जाना। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने से भी प्रदूषण से निपटने में मदद मिल सकती है। लेकिन चीन के हर उपाय भारत जैसे देश में सहज रूप से लागू नहीं किए जा सकेंगे। उदाहरण के तौर पर चीन ने जिस तरह शंघाई और आसपास के शहरों की एकीकृत एजेंसी बनाकर उसके नेतृत्व में प्रदूषण से निपटने के उपाय किए हैं, उसी तरह से दिल्ली और आसपास के राज्यों के दिल्ली से सटे शहरों का एकीकृत मॉडल खड़ा करना आसान नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड का प्रस्ताव आज तक शुरू नहीं हुआ
दिल्ली-एनसीआर की कई समस्याओं को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड बनाने का एक प्रस्ताव वर्ष 1985 में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य था कि आसपास के इलाकों की आवश्यकताओं को साथ रखते हुए सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित की जाए जिससे भारी जाम से निजात मिल सके। लेकिन यह प्रस्ताव आज तक सिरे नहीं चढ़ पाया। अब लगभग 41 वर्षों के बाद दिल्ली सरकार ने एकीकृत परिवहन व्यवस्था स्थापित करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।
दिल्ली-एनसीआर को विकसित करने के लिए 'नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड' (NCRPB) कार्य कर रहा है, लेकिन अपने उद्देश्य और सीमाओं के कारण यह उन उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सका है जिसको लेकर केंद्रीय एकीकृत बोर्ड की कल्पना की गई थी।
बोर्ड में अपराधियों पर लगाम लगाने की सोच भी शामिल
एकीकृत बोर्ड के बनाने का एक उद्देश्य यह भी था कि इससे दिल्ली में अपराध कर पड़ोसी राज्यों में भाग जाने वाले अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। इसी सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई है और कहा है कि दिल्ली में अपराध कर अपराधी यूपी-हरियाणा या आसपास के दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। प्रशासनिक जटिलताओं के कारण कई बार इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होता।
सर्वोच्च अदालत ने सलाह दी कि इस समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली-एनसीआर को एक इकाई मानते हुए एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। लेकिन इसी समस्या को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड की कल्पना की गई थी। लेकिन आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका। यदि ऐसा हुआ होता तो आज सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
यदि ट्रैफिक और अपराध पर नियंत्रण के मामले में आज तक एकीकृत बोर्ड कार्यान्वयन में नहीं आ पाया तो प्रदूषण के मामले में इसमें कोई जल्दबाजी हो पाएगी, इसमें संदेह है। पराली जलाने की समस्या पर राजनीतिक कारणों से दिल्ली और पड़ोसी राज्य आज तक सहमति के एक बिंदु पर नहीं आ सके हैं। हालांकि, अब एक बात एकीकृत बोर्ड के पक्ष में जाती है कि दिल्ली और इसके आसपास के ज्यादातर राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान में भाजपा की सरकारें हैं। इससे इस मुद्दे पर राजनीतिक मतैक्य बनाने में सहायता मिल सकती है। ऐसे में यदि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चाहे तो दिल्ली-एनसीआर एकीकृत बोर्ड प्रशासनिक प्रणाली को अस्तित्व में लाकर प्रदूषण की समस्या पर कारगर प्रहार किया जा सकता है।
समन्वय बनाने का कार्य केवल दूसरे राज्यों से ही नहीं करना है। अकेले दिल्ली में ही दिल्ली सरकार, एनडीएमसी, एमसीडी, दिल्ली छावनी बोर्ड और कई अन्य इकाइयां काम करती हैं। इन सबको लेकर समन्वय स्थापित करना आसान नहीं है।
प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली क्या कर सकती है?
लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण की गंभीर स्थिति और इसके बेहद गंभीर असर को देखते हुए इस पर लगाम लगाना आवश्यक है। पर्यावरण विशेषज्ञों का सुझाव है कि दिल्ली को केंद्र के साथ मिलकर इन उपायों पर काम करना चाहिए जिससे इस समस्या का कारगर समाधान प्राप्त किया जा सके। इनमें से कुछ उपाय इस तरह हो सकते हैं---
1- दिल्ली-एनसीआर और आसपास के शहरों को मिलाकर एकीकृत बोर्ड बनाकर प्रदूषण से निपटने की समयबद्ध बाध्यकारी योजना बनानी चाहिए जिससे योजनाओं को लागू करना संभव हो।
2- एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के कुल प्रदूषण में सबसे अधिक मात्रा स्थानीय वाहनों की है। इसे देखते हुए दिल्ली में पुराने वाहनों को बिना शर्त हटाने का आदेश जारी होना चाहिए। दिल्ली में केवल बैटरी चालित इलेक्ट्रिक या सीएनजी वाहनों को ही चलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
3- बाहर से आने वाले वाहनों, खान-पान, दवाओं और अन्य आवश्यक सामान लेकर आने वाले ट्रकों का सीएनजी-इलेक्ट्रिक होना अनिवार्य करना चाहिए।
4- सार्वजनिक परिवहन की क्षमता बढ़ाकर हर आधे किलोमीटर की दूरी पर उपलब्ध कराना चाहिए। दिल्ली मेट्रो की स्थापना के समय यही लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अभी तक यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है।
5- दिल्ली के लिए बिजली पैदा करने वाले कोयला आधारित संयंत्रों को पूरी तरह सौर ऊर्जा या परमाणु ऊर्जा द्वारा चालित करना चाहिए जिससे बिजली की आपूर्ति होती रहे, लेकिन प्रदूषण को कम किया जा सके।
6- सभी घरेलू-व्यावसायिक भवनों पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाना अनिवार्य करना चाहिए जिससे स्वच्छ ऊर्जा की मांग को पूरा किया जा सके।
7- दिल्ली की सभी सड़कों पर अनिवार्य रूप से जल वाष्प स्प्रिंकलर स्थापित करना चाहिए जो समय-समय पर जलवाष्प निकालकर प्रदूषण को कम कर सकें।
8- एक निश्चित ऊंचाई से ऊपर के सभी बड़े वाहनों पर एयर प्यूरीफायर लगाना अनिवार्य करना चाहिए।
9- एक निश्चित ऊंचाई की सभी ऊंची इमारतों पर जल वाष्प फेंकने वाले स्प्रिंकलर स्थापित करना अनिवार्य करना चाहिए।
10- दिल्ली-एनसीआर में केवल उन्हीं अति आवश्यक उद्योगों को रहने की अनुमति मिलनी चाहिए जिनका यहां होने का कोई विकल्प नहीं है। सामान्य और गैरजरूरी उद्योगों को पूरी तरह दिल्ली से दूर सुरक्षित एरिया में स्थापित करना चाहिए।
11- औद्योगिक क्षेत्रों और दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर स्मॉग टावर लगाना चाहिए।
12- दिल्ली की सभी सड़कों के किनारे पत्तेदार पौधे लगाना अनिवार्य करना चाहिए। इनसे वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने में सहायता मिलती है।
13- स्कूली छात्रों, बड़ी कॉलोनियों के संगठनों, नागरिक संगठनों, सभी राजनीतिक दलों को प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं का सहभागी बनाना चाहिए।
14- प्रदूषण से निपटने और कचरा प्रबंधन में स्थानीय लोगों की सहभागीदारी बढ़ानी चाहिए।