Supreme Court: बिक्रम मजीठिया को नहीं मिली राहत, अंतरिम जमानत पर 'सुप्रीम' इनकार; 19 जनवरी होगी अगली सुनवाई
आय से अधिक संपत्ति मामले में शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनकी याचिका पर नोटिस जारी कर सुनवाई 19 जनवरी तय की, लेकिन अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
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आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई बड़ी राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने की मंजूरी जरूर दी है, लेकिन अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 19 जनवरी तय की है। मजीठिया ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 4 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि मजीठिया के बाहर आने पर जांच को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मजीठिया प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति हैं और गवाहों पर दबाव डाल सकते हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया था और कहा था कि इसके बाद मजीठिया फिर से जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया की दलील
मामले में सुनवाई के दौरान मजीठिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस. मुरलीधर ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मजीठिया को पहले एनडीपीएस (ड्रग्स) मामले में जमानत मिल चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट ने उस जमानत को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की याचिका भी खारिज कर दी थी। उन्होंने कहा कि उसी ड्रग्स मामले में जिन पैसों को लेकर जांच हुई थी, अब उन्हीं लेन-देन को आधार बनाकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत नया मामला बनाया गया है, जो गलत है।
540 करोड़ रुपये की संपत्ति का आरोप
बता दें कि पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मजीठिया को 25 जून को गिरफ्तार किया था। उन पर करीब 540 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है। यह मामला 2021 के एक ड्रग्स केस की जांच से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम कर रही थी।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
ऐसे में मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि मजीठिया पंजाब के बड़े राजनीतिक नेता हैं और सात साल से ज्यादा समय तक मंत्री रह चुके हैं। जांच एजेंसी ने करीब 20 अहम गवाहों को संवेदनशील बताया है। कोर्ट के मुताबिक, अगर इस समय मजीठिया को छोड़ा गया तो वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
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मजीठिया का आरोप- राजनीतिक बदले की कार्रवाई
गौरतलब है कि मजीठिया ने अपने खिलाफ दर्ज इस मामले को राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। फिलहाल मजीठिया पटियाला की न्यू नाभा जेल में बंद हैं। इससे पहले अगस्त में मोहाली की अदालत भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी है। वहीं, विजिलेंस ब्यूरो इस मामले में 40 हजार से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर चुका है।
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